1 अप्रैल के दिन को मूर्ख दिवस के रूप में कई देशों में मनाया जाता है. हर देश में मूर्ख दिवस को लेकर अलग अलग प्रथाएं हैं और लोगों के इस फेस्टिवल को अलग अलग तरीके से सेलिब्रेट करने के तरीके हैं. ऐसे में जानते हैं कि आखिर इसकी शुरुआत कहां से हुई और कब की गई.
ये कहानियां भी प्रचलित
इतिहास पर नज़र डाली जाए, तो 1 अप्रैल के दिन कई फनी घटनाएं हुई जिसके चलते इस दिन को अप्रैल फूल डे के तौर पर मनाया जाने लगा. कहा जाता है कि अप्रैल फूल्स डे (मूर्ख दिवस) की शुरुआत फ्रांस में 1582 में उस वक्त हुई, जब पोप चार्ल्स 9 ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू किया. वहीं 1539 में फ्लेमिश कवि ‘डे डेने’ ने एक अमीर आदमी के बारे में लिखा, जिसने 1 अप्रैल को अपने नौकरों को मूर्खतापूर्ण कार्यों के लिए भेजा था. ऐसी ही कई अन्य कहानियां भी प्रचलित हैं.
डेनमार्क में इस दिन बनाया जाता है मूर्ख दिवस
ईरानी फारसी नववर्ष के 13वें दिन एक-दूसरे पर तंज कसते हैं, यह 1 या 2 अप्रैल का दिन होता है. अप्रैल फूल की कहानियों की तरह इसे मनाने के तरीके भी काफी अलग अलग हैं. फ्रांस, इटली, बेल्जियम में कागज की मछली बनाकर लोगों के पीछे चिपका दी जाती है और मजाक बनाया जाता है. डेनमार्क में 1 मई को यह मनाया जाता है और इसे मज-कट कहते हैं. वहीं स्पेनिश बोलने वाले देशों में 28 दिसंबर को अप्रैल फूल मनाया जाता है, जिसे डे ऑफ होली इनोसेंट्स कहा जाता है.
हिलारिया त्यौहार से भी किया जाता है लिंक
कुछ लोग मानते हैं कि इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय की एनी से सगाई के कारण अप्रैल फूल डे मनाया जाता है. कुछ लोग इसे हिलारिया त्यौहार से भी जोड़ कर देखते हैं. हिलारिया एक त्यौहार है जो प्राचीन काल में रोम में मनाया जाता था. इस त्यौहार में देवता अत्तिस की पूजा होती थी. हिलारिया त्यौहार में उत्सव का भी आयोजन किया जाता था. इस उत्सव के दौरान लोग अजीब-अजीब कपड़े पहनते थे. साथ ही मास्क लगाकर तरह-तरह के मजाक करते थे. उत्सव में होने वाली इस गतिविधि के कारण ही इतिहासकारों ने इसे अप्रैल फूल डे से जोड़ दिया.