एक फरवरी का इंतेजार हर साल पूरा देश करता है। इस दिन हर साल बजट पेश किया जाता है, जिससे लोगों को काफी उम्मीदें रहती हैं। इस साल नए दशक का पहला बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी यानी सोमवार को पेश करने जा रही हैं। इस बजट को लेकर लोग काफी आस लगाए बैठे हैं। क्योंकि बीते साल कोरोना महामारी ने आम जनजीवन को पूरी तरह से पटरी से उतार दिया था और देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका गहरा असर पड़ा। इन हालातों में बजट में क्या खास होगा, ये देखने वाली बात होगी।
आजाद भारत का पहला 26 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। आजादी के बाद ऐसे कई बजट पेश किए गए, जिसे लोगों ने याद रखा। इनमें से कुछ बजट अपनी खासियत, तो कुछ अपनी खामी के चलते याद रखे गए। कुछ ने भारत की तस्वीर बनाई, तो कोई काला बजट के नाम से जाना जाने लगा। आज हम ऐसे ही कुछ खास बजट के बारे में आपको बता देते हैं…
काला बजट
1973-74 के बजट को काला बजट के नाम से जाना जाता है। तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने इसे पेश किया था। इस बजट को काला बजट इसलिए कहा जाता है क्योंकि उस दौरान 550 करोड़ का घाटा हुआ था। बजट में 56 करोड़ रुपये में बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉरपोरेशन और कोल माइन्स का राष्ट्रीयकरण किया। जिसका काफी असर पड़ा।
उदारीकरण बजट
1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने जो बजट पेश किया, उसे उदारीकरण बजट के रूप में जाना जाता है। तबके बजट में विदेश कंपनियों को देश में कारोबार करने के लिए खूली छूट दे दी गई थी और यही से देश में उदाकीरण के दौर की शुरुआत हुई। इसके बाद भारतीय कंपनियों का भी देश के बाहर व्यापार करना आसान हुआ।
ड्रीम बजट
1997 में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जो बजट पेश किया था, उसे ड्रीम बजट कहा जाता है। उस बजट में वित्त मंत्री ने आयकर और कंपनी टैक्स में कटौती करने का ऐलान किया गया। साथ में सरचार्ज को भी खत्म कर दिया गया। बजट में ब्लैक मनी को बाहर लाने के लिए वॉलंटियरी डिसक्लोजर ऑफ इनकम स्कीम (VDIS) लाई गई।
मिलेनियम बजट
साल 2000 में तत्कालीन यशवंत सिन्हा ने जो बजट पेश किया गया, उसे मिलेनियम बजट कहा जाता है। इसमें भारत की IT कंपनियों को काफी रियायत दी थी। 21 वस्तुओं जैसे कंप्यूटर और सीडी रोम पर कस्टम ड्यूटी को कम करने का फैसला लिया गया।
रोलबैक बजट
2002 में यशवंत सिन्हा ने जो बजट पेश किया, उसे रोलबैक बजट के नाम से जाना जाता है। दरअसल, बजट को पेश करने के बाद विपक्ष के दबाव के चलते यशवंत सिन्हा ने कई प्रस्तावों को वापस ले लिया, जिसे चलते इसे ये नाम दिया गया। बजट में सर्विस टैक्स और LPG सिलेंडर समेत कई चीजों के दामों में बढ़ोत्तरी की गई।