भारत में भीमराव अंबेडकर की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण आज, यहां जानिए सबकुछ…

AMBEDKAR STATUE, Tallest statue of Ambedkar
Source-Google

Tallest statue of Ambedkar – आज भारत के संविधान रचयिता बाबा साहेब डॉ भीम राव आंबेडकर की 132 वीं जयंती हैं इस खास मौके पर हैदराबाद में आज तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की 125 फुट ऊंचे स्टेचू  का अनावरण करेंगे. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव बीआर अम्बेडकर कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे. एक आधिकारिक सूचना ये इस बात की पुष्टि की गयी है कि  अम्बेडकर के पोते प्रकाश अम्बेडर को कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने हाल ही में अम्बेडकर की प्रतिमा, नए सचिवालय भवन परिसर के उद्घाटन और अन्य मुद्दों के संबंध में मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में निर्णय लिया गया कि अम्बेडकर की प्रतिमा पर शुक्रवार को पुष्पांजलि अर्पित कर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की जाएगी.

क्या है स्टैच्यू की खासियत?

मूर्ति का वजन 474 टन है, जबकि 360 टन स्टेनलेस स्टील का उपयोग मूर्ति की आर्मेचर संरचना के निर्माण के लिए किया गया था, मूर्ति की ढलाई के लिए 114 टन कांस्य का उपयोग किया गया था.दिलचस्प बात यह है कि मूर्ति को उत्तर प्रदेश के नोएडा में प्रसिद्ध मूर्तिकारों राम वनजी सुतार और उनके बेटे अनिल राम सुतार द्वारा डिजाइन किया गया था, जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा (Dr Ambedkar) सहित कई स्मारकीय मूर्तियां भी डिजाइन की थीं. गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 597 फीट है.

परियोजना की कुल लागत ₹146.50 करोड़ आंकी गई थी और निर्माण 3 जून, 2021 को हुए समझौते के अनुसार केपीसी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया गया था. Tallest statue of Ambedkar

ALSO READ: Bheem Rao Ambedkar: जब बाबा साहेब ने निम्न जाति को दिलाया पानी पीने का अधिकार

जिस आधारशिला पर प्रतिमा स्थापित है, उसमें 26,258 वर्ग फुट के कुल निर्मित क्षेत्र के साथ तीन मंजिलें हैं. वहीँ संरचना में एक संग्रहालय होगा जिसमें अम्बेडकर के जीवन इतिहास को दर्शाने वाले कई लेख और चित्र हैं और प्रस्तुत करने के लिए 100 सीटर सभागार है.

अम्बेडकर के जीवन के ऑडियो-विजुअल के साथ एक पुस्तकालय भी बनाया जाएगा. लगभग 450 कारों के लिए पार्किंग सुविधा प्रदान करने के अलावा, 11 एकड़ में फैले पूरे परिसर को 2.93 एकड़ में लैंडस्केप और हरियाली से सजाया गया है. अम्बेडकर के चरणों तक पहुँचने के लिए चबूतरे के शीर्ष तक पहुँचने वाले आगंतुकों के लिए दो लिफ्ट हैं.

हेलीकॉप्टर से होगी फूलों की बारिश

भारतीय संविधान निर्माता को श्रद्धांजलि देने के लिए अनावरण के दौरान प्रतिमा पर विशेष हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की जाएगी. अनावरण के हिस्से के रूप में, मूर्ति पर से पर्दा हटाने के लिए एक विशाल क्रेन का उपयोग किया जाएगा और इसे गुलाब, सफेद गुलदाउदी और पान के पत्तों से बनी एक विशाल माला के साथ माला पहनाई जाएगी. पारंपरिक तरीके से होने वाले समारोह में केवल बौद्ध भिक्षुओं को ही आमंत्रित किया जाएगा.

Interesting Points about Ambedkar Statue Telangana

  • हैदराबाद में 125 ऊंची अम्बेडकर की भारत की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी. इस प्रतिमा को राज्य सचिवालय के बगल में बुद्ध प्रतिमा के सामने और तेलंगाना शहीद स्मारक के बगल में स्थित किया गया है.
  • केसीआर की ओर से अम्बेडकर की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लेने के बाद से इसे अंतिम रूप देने में कम से कम दो साल लग गए.

ALSO READ: Films on Baba saheb bhim rao ambedkar : बाबा साहेब के जीवन पर अबतक की बनी बेहतरीन फिल्में!

  • प्रतिमा के मूर्तिकार 98 वर्षीय राम वनजी सुतार को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है. बता दें कि राम वनजी सुतार को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
  • ये सुनिश्चित करने की व्यवस्था की गई है कि सभी 119 निर्वाचन क्षेत्रों के 35,000 से अधिक लोग अम्बेडकर प्रतिमा अनावरण बैठक में भाग लें, जिसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से 300 लोग शामिल हों.
  • आम जनता के लिए राज्य पथ परिवहन निगम की 750 बसों का संचालन किया जाएगा.
  • हैदराबाद पहुंचने से पहले 50 किमी के दायरे में विधानसभा परिसर में आने वाले लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाएगी.
कौन थे ‘भारतीय संविधान के जनक?

14 अप्रैल 1891 को जन्मे, अम्बेडकर को देश में जाति व्यवस्था और लाखों भारतीयों को पीड़ित सामाजिक-आर्थिक अभाव के खिलाफ लड़ने और निचले तबकों को उनका अधिकार दिलाने के लिए जाना जाता है. एक छात्र के रूप में बाबासाहेब को उच्च जातियों के छात्रों के साथ कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं थी क्योंकि वे “अछूत” के परिवार से थे. बता दें कि बीआर अम्बेडकर (Tallest statue of Ambedkar) कानून और न्याय के पहले मंत्री थे और 29 अगस्त, 1947 से 24 जनवरी, 1950 तक इस पद पर रहे थे. बाबासाहेब बाद में बौद्ध धर्म अपना लिया था.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here