जब संविधान को लिखा जा रहा था, तब उसमें देश के कानून, राज्य के अधिकार, केंद्र के अधिकार, गांवों और शहरों के अधिकार सभी को अनुच्छेद और धाराओं के माध्यम से सूचिबृद्ध किया गया था। इस दौरान गांवों के लिए एक अनुच्छेद को लेकर बाबा साहब अंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच बड़ी बहस शुरू हो गई। हालांकि दोनों के विचार आपस में कभी भी मेल नहीं खाते थे, तो भला इस अनुच्छेद को लेकर भी दोनों की सोच कैसे मेल खाती…. जिसके कारण भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को हस्तक्षेप करना पड़ा और तब जाकर बना अनुच्छेद 40। ऐसा क्या है अनुच्छेद 40 में, जिसके कारण गांधी जी और बाबा साहब आपस में भिड़ गए थे, आइए जानते हैं…
क्या कहता है अनुच्छेद 40-
अनुच्छेद 40 कहता है कि हर गांव में ग्राम पंचायत होना चाहिए। गांव की जमीनी समस्या को सरपंच और प्रधान से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है और इसलिए ग्राम पंचायत गांव के भले के लिए सही है।
बाबा साहेब का था ये मानना
बाबा साहब ग्राम पंचायत बनाने के पक्ष में नहीं थे। बाबा साहब का कहना था कि अगर ग्राम पंचायत बनती है तो केंद्र की तरफ से जाने वाला पैसा गांव के सरपंच और प्रधान ही गबन कर लेंगे और गांव के विकास के लिए कुछ नहीं बचेगा।
गांधी जी ने दिया था ये तर्क
वहीं इसके विपरीत गांधी जी का कुछ और ही कहना था। गांधी जी का कहना था कि ग्राम पंचायत होना चाहिए, क्योंकि गांव की समस्या को गांव में रहने वाले बेहतर तरीके से समझ सकते है। इस दौरान उन्होंने माना कि केंद्र की तरफ से जो पैसा आयेगा, उसका गबन होगा। अगर केंद्र की तरफ से 10 रुपये ही आते है और प्रधान और सरपंच के पास 5 रुपये पहुंचते हैं, तो वो एक-एक रुपये रख लेंगे लेकिन 3 रुपये तो गांव के भले के लिए लगाएंगें। लेकिन अगर ग्राम पंचायत ही नहीं होगा तो गांव से संपर्क रखना और उनकी समस्याओं का पता किसी को नहीं चलेगा।
फिर ऐसे सुलझा ये पूरा मसला
गांधी जी की दलील के बाद भी बाबा साहेब मानने के लिए राजी नहीं थे। जब इस बहस का कोई हल नहीं निकल रहा था तब भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने एक सलाह दी। उन्होंने कहा कि एक ऐसा अनुच्छेद बनाओ ग्राम पंचायत को लेकर, जिसमें ये लिखा हो कि जिस राज्य को अपने राज्य में ग्राम पंचायत लागू करना है वो करें, जिन्हें नहीं करना है वो न करें। वैसे भी ग्राम पंचायत राज्य के अधीन आता है तो ये राज्य सरकार का मसला बनेगा। राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि इसे नीति निदेशक में शामिल कर दो, इसमें न्यायालय कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। जिसके बाद ही अनुच्छेद 40 बना था।