फूलन देवी एक डाकू थी जिसने 22 आदमियों को एक लाइन में खड़ाकर गोलियों से भून डाला, ये बात देश विदेश में फैली। मीडिया ने तो फूलन देवी को एक नया नाम ही दे दिया बैंडिट क्वीन लेकिन फूलन देवी ने क्यों ऐसा किया? उसने 22 लोगों की जान ले ली? इस बारे में तब कम ही चर्चा होती थी। उसके जीवन से जुड़े घटनाएं जानकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
यूपी में जालौन के ‘घूरा का पुरवा’ में 10 अगस्त 1963 को फूलन पैदा हुई लेकिन बदकिस्मती भी उससे चिपकी ही रही। पहले फूलन के पिता गुजर गए। फिर चाचा ने 40 साल बड़े शख्स उसकी शादी करा दी। 11 साल की बालिका वधु फूलने के साथ शादी के बाद हर रोज उसके पति ने उसके साथ रेप को अंजाम दिया लेकिन फूलन तो हमेशा से निडर रही थी। वो हार नहीं मानी और रोज के प्रताड़ना से परेशान फूलन अपने मां के घर चली आई।
इसी दौरान उसकी दोस्ती कुछ लोगों से जो कि डाकू गैंग से थे और इन्हीं में से गैंग का सरदार बाबू गुज्जर को फूलन से प्यार हो गया और इसी गैंग के विक्रम मल्लाह को भी फूलन से प्यार हुआ। फिर दोनों में ऐसी ठनी कि विक्रम ने सरदार की हत्या कर दी।
एक दिन पति के गांव फूलन अपने गैंग के साथ गई और वहां उसकी और उसकी दूसरी बीवी को जमकर पीटा। दूसरी तरफ जब डाकुओं के एक ठाकुरों के गैंग से फूलन की भिड़ते हुआ देखा, तो उसका बेहद क्रूर नतीज फूलन को सहना पड़ा।
ठाकुरों के गैंग का एक सरगना श्रीराम ठाकुर था और एक लाला ठाकुर जिसको बाबू गुज्जर की हत्या से खफा था और उसकी हत्या की वजह फूलन को समझता था। फिर क्या दोनों गुटों में खूब लड़ाई हुई। इस खूनी लड़ाई से बीच निकलकर फूलन और विक्रम एक जगल में जा छिपे। यही वो रात थी जब फूलन-मल्लाह साथ रहे साथ सोए लेकिन साथ जगे नहीं। ठाकुर गैंग ने मल्लाह को मार डाला और फूलन को किडनैप कर ले गए।
फूलन ने अपनी एक किताब में कुसुम के बारे में भी लिखती है कि उसने विक्रम के दिए जेवर उसके बदन से उतार लिए और उसके कपड़े फाड़ दिए। ऐसी ही नग्न हालत में उसे श्रीराम और उसके साथी रस्सियों से बांध नदी के रास्ते बेहमई गांव लेकर गए जहां उसे पूरे गांव में तो घुमाया ही गया इसके अलावा सबसे पहले श्रीराम ने उसका रेप किया और फिर गांव के लोगों ने उसके साथ रेप किया। उसे बालों से पकड़कर घसीते रहे और लाठियों से पीटते रहे।
कहते हैं कि ठाकुरों ने फूलन को नग्न हालत में ही 2 सप्ताह से ज्यादा वक्त तक एक कोठरी में जानवरों की तरह बंद करके रखा और हर रोज उसके रेप किया करते जब तक की वो बेहोश नहीं हो जाती। इस दौरान वो बस 18 साल की थी। यहां से जब फूलन छूटी तो डाकुओं के गैंग में जा मिली और साल 1981 में उसने बेहमई गांव लौटकर जो किया उसकी आज भी चर्चा होती है।
उसने पहले तो उन दो लोगों को पहचाना जिन्होंने उनके साथ रेप किया और फिर उसने गांव से 22 ठाकुरों को निकाला और एक लाइन में खड़ाकर के गोलियों से भून डाला। यहां के बाद सताई हi फूलन नहीं बल्कि खूंखार डकैत फूलन अस्तित्व में आआई। भिंड के एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी फूलन के गैंग से बातचीत करते रहे जिसका नतीजा ये हुआ कि सरेंडर करने के लिए फूलन ने मान गयी। तब फूलन पर 22 हत्या, 30 डकैती और 18 किडनैपिंग के चार्जेज लगाए गए थे। 11 साल फूलन जेल में रही और फिर साल 1993 में मुलायम सिंह की सरकार ने उस पर लगे सारे आरोप वापस लिया। साल 1994 में फूलन जेल से बाहर आआई और उम्मेद सिंह से उसने शादी की। 1996 में फूलन देवी ने सपा से मिर्जापुर का चुनाव जीता और सांसद बनीं। बिहड़ों की फूलन आलिशान बंगले में रहने लगी। साल 1998 में उसकी हार हुई पर फिर साल 1999 में वो चुनाव जीत गआई।
25 जुलाई 2001 को एक शख्स शेर सिंह राणा ने फूलन को फूलन को गोली मार कर उसकी हत्या कर दी और कहा कि उसने बेहमई हत्याकांड का बदला उतारा है। दिल्ली की एक कोर्ट ने 14 अगस्त 2014 को शेर सिंह राणा को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।