अंधविश्वास किस हद तक हो सकता है, क्या अंधविश्वास को सीमाओं में बांधा जा सकता है। दरअसल, अंधविश्वास एक ऐसी बीमारी बन जाती हैं, जो लोगों की जान लेने से भी नहीं चुकती है। आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताएंगे जो अंधविश्वास से जुड़ी सारी हदें पार करती है।
अमेरिका के पास ही है गुयाना, यहां के जोंसटाउन में रोंगटे खड़ेकर देने वाली एक ऐसी घटना घटी जो सच्ची तो है लेकिन उस पर विश्वास ही नहीं होता की। ये स्टोरी जानकर आप यही सोचेंगे कि भला ऐसा भी हो सकता है। ऐसी क्या नौबत आई होगी कि 1 या 2 या 10 नहीं बल्कि अंधविश्वास में जकड़े करीब 900 लोगों ने एक साथ खुदकुशी कर ली, जो कि खुदकुशी की सबसे बड़ी घटना मानी जाती है। इस घटना के पीठे का प्राइम विलेन कौन था? किसने इतने लोगों को खुदकुशी की जद में झोंक दिया?
900 खुदकुशियों के पीछे था ये शख्स
दरअसल, इस घटना के पीछे था जिम जोंस जो कि एक धर्मगुरु था। वो खुद को भगवान का अवतार बताया करता था। जिम जोंस ने लोगों के बीच तो अपनी पकड़ बनाई ही लोगों के दिमाग में भी पैठ बनानी शुरू कर दी और जरूरतमंद लोगों की हेल्प के नाम पर ‘पीपल्स टेंपल’ नाम का एक चर्च साल 1956 में बनवाया। फिर उसने अपनी धार्मिक बातों का ऐसा जाल बिछाया, ऐसी अंधविश्वास की बीमारी लोगों में फैलाई कि देखते ही देखते हजारों लोगों को अपने अनुयायी के तौर पर अपने पीछे कर लिया। हजारों लोग उसे फॉलो करने लगे थे।
कम्युनिस्ट विचारधारा वाला जिम जोंस की सोच अमेरिकी गवर्नमेंट से अलग थी। ऐसे में वो अपने अनुयायियों के संग शहर से दूर गुयाना के जंगलों में जा बसा और वहीं एक गांव बसाकर रहने लगा। फिर धीरे धीरे उसकी पोल खुलने लगी और लोगों को उसकी सच्चाई पता लगने लगी।
अपने फॉलोवर्स पर यूं रखता था नजर
वो अपने सभी महिला पुरुष अनुयायियों से काम करवाता वो भी दिनभर और जब रात होती तो वो तब भी उन थके हारे लोगों को सोने नहीं देता और अपना भाषण देना शुरू कर देता और इस दौरान उसके सिपाही घर-घर जाकर इस बात की जांच करते कि कोई सो तो नहीं गया।
कोई सोता पाया गया तो उनकी कड़ी सजा मिलती और तो और अपने अनुयायियों को गांव से बाहर तक नहीं जाने देता था जिम जोंस। जब पुरुष और महिलाएं काम कर रही होती तो एक कम्युनिटी हॉल में उनके बच्चों को रखा जाता था। उसके सिपाही गांव के चारों तरफ पहरेदारी करते कि कोई भाग तो नहीं रहा।
जब सरकार लेनी लगी एक्शन तो…
जिम जोंस का अंधविश्वास लोगों के जहन में घुल चुका था। वो इनसे कुछ भी कहता उसे उसके अनुयायी झट से मान लेते। इस दौरान अमेरिकी सरकार को इस एक्टिविटी की खबर हुई और फिर सरकार ने जिम जोंस के खिलाफ एक्शन लेने की सोची। जब सरकार की प्लांनिग का जिम जोंस को पता चला तो उसने अपने सभी अनुयायियों को इकट्ठा कर उनसे कहा कि अमेरिकी सरकार हमे मारने आ रही है। उनकी गोलियां हमको छलनी करें उससे पहले हमको पवित्र जल पी लेना चाहिए। ऐसे में गोलियों के दर्द से हम बच पाएंगे। अगर ये पवित्र जल हमने नहीं पिया तो वो हमको बम से उड़ाएंगे, उनके साथ जानवरों के जैसा सलूक करेंगे, वो महिलाओं से रेप करेंगे तो वहीं बच्चों को तकलीफें देंगे। ऐसे में इन सबसे बचने के लिए पवित्र जल पीना पड़ेगा।
क्या था वो पवित्र जल का राज?
दरअसल, एक टब में जोंस ने खतरनाक जहर मिलाया और एक सॉफ्ट ड्रिंक तैयार किया फिर लोगों को दिया पीने को। जो पीना नहीं चाहता था उसको जबरदस्ती पिलाया गया। इस तरह पवित्र जल पीकर एक अंधविश्वासी के चक्कर में पड़ चुके 900 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। जिसमें 300 से ज्यादा बच्चे भी थे। इसे एक बड़े नरसंहार के तौर पर देखा जाता है। कहते हैं कि लोगों के मरने के बाद एक जगह पर जिम का शव भी मिला जिसने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी।