एक पीर के पास शुरुआत से ही कुछ सवाल मन में हमेशा घर किए रहते थे। जिसका उसके पास कोई जवाब नहीं था। न हीं उसे किसी ने कभी उसके सवालों का जवाब दिया। अपने इन सवालों से परेशान पीर काफी मायूस रहता था। जिसके बाद उसने एक दिन आए गुरु नानक देव जी से अपने सवालों के जवाब मांगे। इस दौरान पीर ने ये भी कहा कि अगर गुरुजी ने उसे सही जवाब नहीं दिए तो उन्हें दंड भी मिल सकता है। तो आइए बताते है किया थे पीर के सवाल और गुरु जी ने कैसे दिया उसके सवालों का जवाब।
बगदाद जो कि इस्लामिक जगह है और इराक की राजधानी है, वहां एक बार गुरु नानक देव जी संदेश देने पहुंचे। भजन-कीर्तन करने के दौरान उन पर पत्थरों से हमले भी हुए। जिस पर पीर दस्तागीर ने गुरु जी से कहा हे फकीर तुझे मालूम नहीं कि इस्लाम में गाना बजाना मना है। इस पर गुरु नानक जी ने कहा प्रकृति खुद ही गाना बजाना करती है, जो ईश्वर की ही देन है, जैसे कल-कल करती नदियां, सर-सर बहती हवाएं ये सभी गाते बजाते है तो हम क्यों नहीं।
पीर के तीन सवाल
गुरु जी के बातें सुनकर पीर दस्तागीर ने सोचा कि क्यों ना गुरु जी से अपने सवालों के जवाब मांगे जाए। इस पर पीर ने गुरु जी से तीन सवालों के जवाब मांगे। वो सवाल ये थे कि परमात्मा से पहले कौन था। दूसरा सवाल अगर वो है तो रहता कहां है और तीसरा सवाल कि वो करता क्या है। गुरु जी ने बड़ी ही विनम्रता से पीर के सवालों का जवाब कुछ उदाहरणों के जरिये दिया।
गुरु नानक देव जी ने दिए ये जवाब
पहले सवाल कि परमात्मा से पहले कौन था के जवाब में गुरु जी ने कहा कि एक से पहले कुछ नहीं था, वो ईश्वर एक ही, है और उससे पहले कुछ नहीं था। दूसरे सवाल कि वो रहता कहां है के जवाब में गुरु जी ने कहा जैसे दूध में मक्खन नजर नहीं आता वैसे ही परमात्मा नजर नहीं आते लेकिन हर जगह और हर समय हमारे आस-पास ही होते है। तीसरे सवाल वो करता क्या है के जवाब में गुरु जी ने कहा कि उसके लिए मुझे तुम्हारी जगह पर और तुम्हें मेरी जगह पर आना पड़ेगा। जिसके बाद गुरु जी सिंहासन पर विराजमान हो गए और सिंहासन पर बैठा पीर जमींन पर खड़ा हो गया। इस पर गुरु जी ने कहा कि परमात्मा का यहीं काम है कि वो अमीर को गरीब और गरीब को अमीर बना सकता है।
जवाब मिलने से पीर हुआ खुश
अब पीर दस्तागीर को अपने तीनों सवालों के जवाब मिल चुके थे। पीर अपने जवाब पाकर बेहद ही खुश हुआ और खुद को सवालों के बोझ से मुक्त पाया।