Real Story of Thomas Cook in Hindi– अर्श से फर्श पर आई दुनिया की सबसे पुरानी ब्रिटिश टूर और ट्रेवल कंपनी थॉमस कुक अब मार्केट से विलुप्त हो चुकी है। किसी ने सोचा भी न होगा कि इस 178 साल पुरानी कंपनी का रातोंरात शटर डाउन हो जाएगा। करीब डेढ़ अरब पाउंड (13,226 करोड़ रुपये) के कर्ज तले डूबी कंपनी की मदद करने से अब ब्रिटिश सरकार ने भी अपने हाथ पीछे कर लिए हैं। जिसके चलते अब कंपनी में कार्यरत दुनियाभर के 9 हज़ार कर्मचारी पल भर में बेरोज़गार हो गए हैं। साथ ही उन 9 लाख लोगों की खुशियों पर ग्रहण लग गया है जो इस कंपनी से बुकिंग कराकर घूमने निकले हैं। आइये जानें इस सबसे पुरानी ब्रिटिश कंपनी के अब तक के सफर की पूरी कहानी। कैसे जमीं से आसमां पर और फिर आसमां से धरती पर धड़ाम हुई थॉमस कुक?
1841 में रखी गई थी नींव
ये ब्रिटेन की सबसे पुरानी ट्रैवल कंपनी है जिसकी नींव 1841 में एक स्थानीय नागरिक थॉमस कुक द्वारा रखी गई थी। इसकी शुरुआत मार्केट हारबोरफ में की गई थी। ये ऐसी पहली कंपनी थी जिसने परिवार सहित टूर पैकेज का कांसेप्ट रखा। ये कंपनी उस दौरान एक टूरिज्म क्षेत्र में क्रांति लेकर आई थी। रेलवे लाइन के बिछाये जाने के बाद से ही ये ब्रिटेन के दोनों वर्ग कामगार और कुलीन के लिए छुट्टियां बिताने का एक बेहतरीन जरिया बन गई थी। ये समय के साथ धीरे धीरे अपने आकर्षक पैकेजों का दायरा बढ़ा रही थी। 1855 में कंपनी ने लोगों के लिए यूरोप ट्रिप का ऑफर शामिल किया तो वहीं 1866 तक ये पर्यटकों को अमेरिका के सफर पर भी ले चल पड़ी।
1955 में दिया हॉलिडे पैकेज
कंपनी धीरे धीरे तरक्की की ओर बढ़ रही थी। 1955 में कंपनी अपनी इंटरनेशनल हो गई और दुनिया के अलग अलग शहरों में अपने पांव पसार लिए। उस दौरान कंपनी ने लंदन से पेरिस ट्रिप का एलान किया जिसमें पूरे हॉलिडे पैकेज की पेशकश की गई। थॉमस कुक ऐसी पहली कंपनी बनी जिसने दर्शकों को टूर कराने से लेकर उनके खाने पीने और रहने के भी इंतज़ामात किये। 1892 में कंपनी के संस्थापक थॉमस कुक के निधन के बाद उनके बेटे जॉन मैसन कुक ने अपने पिता की विरासत को आगे संभाला। जिसके बाद 1928 में ये जिम्मेदारी थॉमस के पोते फ्रैंक और अर्नेस्ट पर आई। लेकिन इसको संभाल न पाने के चलते उन्होंने इसे बाहरी मालिकों को बेचने का फैसला किया।
1948 में सरकार ने किया अधिग्रहण
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद थॉमस कुक की हालत काफी बदतर हो गई थी। लेकिन इसको फिर से पटरी पर लाने के लिए 1948 में इस कंपनी को ब्रिटिश सरकार ने अपने हाथों ले लिया। हालात संवरने के बाद 1972 में फिर ये कंपनी सरकारी से प्राइवेट बन गई। और कंपनी मिडलैंड बैंक, होटलियर ट्रंस्ट हाउस फोर्ट और ऑटोमोबाइल असोसिएशन के हाथों आ गई।
Real Story of Thomas Cook – उस वक़्त ब्रिटेन में मजदूरों की हड़ताल से जहां बाकि कंपनियों की हालत पतली हो गई वहीं थॉमस कुक का ये सारी परेशानियां बाल भी बांका न कर पाईं। धीरे धीरे कंपनी का फिर ग्लोबलाइज़ेशन होना शुरू हुआ। ये कंपनी धीरे धीरे अलग अलग हाथों में ट्रांसफर होती रही। 1992 में जर्मन कंसोर्टियम के पास तो वहीं 2001 में जर्मन कंपनी C&N टूरिस्टिक एजी को इसकी कमान मिली। जिसके बाद इसका नाम थॉमस कुक एजी में तब्दील हो गया।
2007 में माई ट्रैवल का विलय साबित हुआ आत्मघाती
2007 में कंपनी ने यूके बेस्ड पैकेज ट्रैवल कंपनी माइ ट्रैवल से हाथ मिलाया और वहीं से इसके पतन की शुरुआत हुई। कंपनी पर साल दर साल इतना कर्ज का भार चढ़ता गया कि वो उससे चाह कर भी उबर पाने में नाकामयाब रही। इसके अलावा मार्केट में आई जेट2हॉलिडे से कंपनी को तगड़ा कंपटीशन मिला।
पिछले महीने चीन की एक इन्वेस्टमेंट कंपनी फोसन थॉमस कुक के लिए एक आशा की किरण लेकर आई और 1. 1 अरब डॉलर की रेस्क्यू डील साइन की। लेकिन ये भी बेअसर रही। इसके अलावा कंपनी को तबाह करने की बची कसर इंटरनेट ने पूरी कर दी। जिसके जरिये लोगों को अन्य कंपनियों से सस्ती हवाई सेवा से लेकर सभी सुविधाएं मद्दे दामों में मिलने लगी। जिसके चलते कंपनी के कस्टमर्स का झुकाव दूसरी कंपनियों की ओर होने लगा।
बंद होने के बाद ऐसे हैं हालात
Real Story of Thomas Cook – आख़िरकार थॉमस कुक कंपनी ने खुद को मौत देना ज्यादा सटीक समझा। और अपना शटर डाउन कर लिया। इसके बाद ब्रिटेन में खलबली मच गई है। 22,000 लोगों पर बेरोजगारी का साया मंडरा रहा है। दुनियाभर में 6 लाख यात्री फंसे हुए हैं। जर्मनी में करीब 1,40,000 पर्यटक फंसे हुए हैं। इसके अलावा इन यात्रियों के वापिस लौटने का जरिया अचानक से छूमंतर हो गया है। इन सबको देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने ये साफ़ कर दिया है कि वो ब्रिटेन गए लोगों को तो वापिस ले आएगी लेकिन किसी दूसरे देश कूच करने वाले लोगों को अपना इंतज़ाम खुद करना पड़ेगा।
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