जब भी भारत के संविधान का जिक्र होता है तब बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम लिया जाता है. बाबा साहेब को Father of Indian Constitution कहा गया क्योंकि संविधान को तैयार करने में उनका सबसे बड़ा योगदान था. उसके कारण उन्हें ‘संविधान निर्माता’ कहा गया. लेकिन आखिर क्यों सविधान को बनाने के लिए बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को चुना गया और बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के साथ वो कौन थे जिन्होंने भारत के संविधान को जन्म देने में अपना अहम योगदान दिया.
कई कुर्बानियों के बाद भारत देश ब्रिटिश गुलामी से आजाद हुआ. दशकों तक चले संघर्ष और आंदोलनों के बाद अंग्रेजी हुकूमत भारत छोड़ने पर मजबूर हो गई और 14 अगस्त 1947 की आधी रात भारत के आजाद होने का ऐलान हुआ और सुबह के अखबार की सुर्खियाँ भारत के आजाद होने की खबर दे रही थी. भारत आजाद हुआ, उसके बाद संविधान बनाने की चर्चा हुई और चर्चा में एक नाम सामने आया- बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर.
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डाफ्टिंग कमेटी का गठन
भारत का नया संविधान तैयार करने के लिए 29 अगस्त, 1947 को एक ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन किया गया. कमेटी का अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर को बनाया गया. कमेटी में 7 सदस्य थे (Members of drafting committee). इनमे से कुछ IAS और वकील भी थे, जिन्होंने भारत के संविधान का निर्माण किया.
सबसे पहले बात बाबा साहेब की करते हैं…
बाबा साहेब 64 विषयों में मास्टर थे. उन्हें 9 भाषाओं का ज्ञान था. उनके पास कुल 32 डिग्रियां थीं और उन्होंने लगभग 21 वर्षों तक दुनिया के सभी धर्मों का तुलनात्मक तरीके से अध्ययन किया था. भीमराव अंबेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में सिर्फ 2 साल 3 महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी की थी. वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ नामक मूल्यवान डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति बने और इसी वजह से उन्हें सविधान का निर्माण करने की जिम्मेदारी दी गयी.
नरसिंह गोपालस्वामी अयंगर
बाबा साहेब के साथ संविधान का निर्माण करने के लिए नरसिंह गोपालस्वामी अयंगर को भी चुना गया. नरसिंह गोपालस्वामी अयंगर (N. Gopalaswami Ayyangar) संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमिटी के सदस्य होने के साथ-साथ राज्यसभा के नेता और भारत की पहली मंत्रिपरिषद में कैबिनेट मंत्री थे. वो मद्रास सिविल सर्विस में अधिकारी थे. उन्होंने वेस्टले स्कूल, प्रेसिडेंसी कॉलेज और मद्रास लॉ कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की थी और इस वजह से उन्हें सविधान का निर्माण करने के सदस्य के रूप में चुना गया था.
तीसरे सदस्य थे अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर
अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर (Alladi Krishnaswamy Iyer) भारतीय कानूनी विद्वान थे. उन्होंने 1899 में मैट्रिक की परीक्षा पास करके मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की थी. अपने खाली समय में वो कानून (Law Study) की क्लासेस अटेंड करते थे और साथ ही उन्होंने बीएल परीक्षा (BL Exam) भी पास की थी. जिसकी वजह से उन्हें भारतीय संविधान सभा के सदस्य के तौर पर चुना गया था.
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कन्हैयालाल मुंशी
संविधान सभा के चौथे सदस्य थे कन्हैयालाल मुंशी. उनके पास भी डॉ. की डिग्री थी जिसकी वजह से उन्हें डॉ. एम मुंशी (Dr. M Munshi) भी कहा जाता है. 30 दिसंबर 1887 को गुजरात के भरूच में जन्मे डॉ. एम मुंशी ने 1902 में बड़ौदा कॉलेज में एडमिशन लिया था और वह फर्स्ट क्लास से पास हुए थे. वहीं, 1907 में अंग्रेजी विषय में सबसे ज्यादा मार्क्स हासिल करके उन्हें बीए की डिग्री के साथ एलीट प्राइज (Elite prize) से सम्मानित किया गया था.बाद में इसी यूनिवर्सिटी से उन्हें ऑनर्स की डिग्री भी मिली. 1910 में मुंबई से एलएलबी की डिग्री हासिल करके उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील के तौर पर रजिस्ट्रेशन करवा लिया था और इन सभी उपलब्धियों को हासिल करने के बाद आजादी के पश्चात उन्हें भारतीय संविधान के निर्माण के लिए चुना गया था.
सर सैयद मुहम्मद सादुल्ला
वहीं, संविधान का निर्माण करने वाले पांचवे सदस्य थे सर सैयद मुहम्मद सादुल्ला. वह ब्रिटिशकालीन भारत में असम के प्रीमियर (प्रधानमंत्री) तथा राजनीतिज्ञ, कानूनी विद्वान, संविधान सभा के प्रमुख सदस्य और असम यूनाइटेड मुस्लिम पार्टी के प्रमुख राजनेता थे. उन्होंने गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज और कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की थी. उनके पास एमए व बीएल की डिग्री थी.
न्यापति माधव राव
संविधान का निर्माण करने हेतु चुने गए छठे सदस्य थे न्यापति माधव राव (Sir Nyapathi Madhava Rao). न्यापति माधव राव भारतीय सिविल सेवक और प्रशासक थे. उन्होंने 1941 से 1945 तक मैसूर स्टेट के दीवान के तौर पर कार्य किया था. बाद में वह भारतीय संविधान की डॉ.भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली प्रारूप समिति के सदस्य बने थे. एन एम राव ने फर्स्ट रैंक के साथ मैसूर सिविल सर्विस परीक्षा पास की थी. इसके लिए उन्हें Carmichael Medal से सम्मानित किया गया था. उन्होंने असिस्टेंट कमिश्नर के तौर पर भी काम किया था.
तिरवेल्लोर थत्ते कृष्णमाचारी
प्रारुप समिति के सातवें सदस्य तिरवेल्लोर थत्ते कृष्णमाचारी थे. उन्होंने बाद में 1956-1958 तक और 1964 से 1966 तक भारतीय वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला. उन्होंने तमिलनाडु में स्थित D.R.B.C.C.C. Hindu College से पढ़ाई की थी. उसके बाद मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था.
“हमें अंबेडकर का आभारी होना चाहिए”
एक लम्बा समय लगने के बाद भारत का संविधान तैयार हुआ. अंबेडकर को सिर्फ ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था लेकिन संविधान तैयार करने में इनकी भूमिका सबसे अहम रही है. इसका एक उदाहरण ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य रहे टी. टी. कृष्णमाचारी के उस भाषण से समझा जा सकता है, जो उन्होंने नवम्बर, 1948 को संविधान सभा में दिया था. अपने भाषण में अंबेडकर की भूमिका के बारे में बताते हुए टी. टी. कृष्णमाचारी ने कहा था कि संविधान को तैयार करने वाली ड्राफ्टिंग कमेटी में 7 सदस्य थे.
उनमें से एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया. एक सदस्य की मौत हो गई. एक सदस्य अमेरिका में थे और एक सदस्य सरकारी मसलों में इतना उलझे थे कि वो अपनी जिम्मेदारी को निभा नहीं पा रहे थे. दो सदस्य दिल्ली से दूर थे और कमेटी की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले पा रहे थे. इस तरह संविधान को लिखने का भार डॉ. अंबेडकर पर आ पड़ा. हम सबको उनका आभारी होना चाहिए क्योंकि इस जिम्मेदारी भरे काम को उन्होंने सराहनीय तरीके से अंजाम दिया है.
संविधान तैयार करने वाली ड्राफ्टिंग कमेटी में अध्यक्ष के तौर पर अंबेडकर का चयन यूं ही नहीं हुआ था. उनकी राजनीतिक योग्यता, कानूनी दक्षता और भाषायी ज्ञान के कारण उन्हें अध्यक्ष बनाया गया था. इतना ही नहीं, संविधान सभा में उठने वाले सवालों का जवाब देने और प्रावधानों के बीच संतुलन बनाने में अंबेडकर की भूमिका अहम रही. इसका असर भारतीय संविधान में देखने को मिलता है. इसलिए उन्हें संविधान निर्माता कहा गया. संविधान को बनने में 2 साल, 11 माह और 17 दिन का समय लगा. भारतीय संविधान पर संविधान सभा के जिन 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए, उनमें 15 महिलाएं भी शामिल थीं।
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