‘अमृत’ सरोवर जिसकी वजह से बढ़ जाती है गोल्डन टेम्पल की खूबसूरती
पवन गुरु, पानी पिता, माता धरत महत’ गुरुवाणी के ये बोल श्री हरमंदर साहिब गुरुद्वारे की आस्था और संरचना पर आधारित है. गुरुवाणी के इन बोल को समझें तो इसका मतलब है हवा शिक्षा है पानी पिता है और पृथ्वी हमारी माता हैं श्री हरमंदर साहिब गुरुद्वारे से जुडी कई सारी बातें हैं लेकिन श्री हरमंदर साहिब का सरोवर कई अस्थाओं को अपने अन्दर समेटे है.
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अमृत में नजर आता है गोल्डन टेम्पल का दर्पण
श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा (Shri Harmandir Sahib Gurudwara) जिसे गोल्डन टेम्पल (Golden temple) के नाम से जाना जाता है उसका निर्माण कार्य 6 नवंबर 1573 को शुरू हुआ और 1577 में पूरा हुआ। श्री हरमंदर साहिब ‘स्वर्ण मंदिर’ के रूप में लोकप्रिय तब हुआ जब महाराजा रणजीत सिंह ने 1830 के दशक में इसकी ऊपरी मंजिलों को सोने की परत से सजा दिया था. जिसके बाद इस मंदिर की खूबसूरती बढ़ गयी. साथ ही मंदिर के इर्द-गिर्द बने सरोवर पर इस मंदिर का दर्पण जब पड़ता है तब इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है.
जानिए किस गहरा है ‘अमृत’ सरोवर
श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वार के इर्द-गिर्द बना सरोवर 500 फीट लंबा, 490 फीट चौड़ा और 17 फीट गहरा है। इसमें उतरने के लिए 11 सीढ़ियां बनी हैं। निचली सीढ़ियां, जो पानी में डूबी रहती हैं, सवा फीट चौड़ी और डेढ़ फीट ऊंची हैं। वैसे तो पहले ये सरोवर केवल बारिश के पानी से भरता था और बारिश न होने पर सूख जाता था जिसके बाद ब्रिटिश शासन के दौरान 1866 में इसे ऊपरी बारी दोआब नहर से जोड़ा गया था और तब से वहां से पानी की पूर्ति की जाती है।
सिखों के चौथे गुरू ने किया इस सरोवर का निर्माण
अमृत सरोवर एक मानव निर्मित झील है बताया जाता है कि इस झील का निर्माण सिखों के चौथे गुरू, गुरू रामदास जी द्वारा किया गया था। कहा जाता है कि इस झील का पानी बेहद पवित्र है और शरीर की शुद्धता के साथ-साथ मन की शुद्ध होता है. इस तालाब में कई हज़ार मछलियां हैं और इसी वजह से इस अमृत सरोवर ने स्नान करने वाले लोगों को साबुन और शैम्पू इस्तेमाल करने की मनाही होती है
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