आम्रपाली का नाम तो आपने भी कभी न कभी तो सुना ही होगा, लेकिन क्या आप उससे जुड़ी हिस्ट्री को जानते हैं। चलिए आपको उस अद्भूत महिला के बारे में बताते है जिसकी खुबसूरती ही उसके गले का फांस बन गई…
आम्रपाली जैसा खूबसूरत तब के वक्त में कोई नहीं था और यही खूबसूरती उसका दुर्भाग्य भी बन गया। दरअसल, राज्य के आदेश से बहुत ही कम उम्र में आम्रपाली को नगरवधू या यूं कहें ‘वेश्या’ बनना पड़ा और यहीं से आम्रपाली ने नगरवधू बनने से लेकर भिक्षुणी बनने तक की यात्रा पूरी की।
500 ईसा पूर्व भारत में लिच्छवी गणराज्य की वैशाली राजधानी हुआ करती थी, जहां गरीब पति पत्नी को आम के पेड़ के नीचे एक बच्ची मिली। आम के पेड़ के नीचे उसके मिलने की वजह से ही उसका नाम आम्रपाली रखा गया। आम्रपाली की सुंदरता के बारे में पाली ग्रन्थों में खूब चर्चा है। जिससे हर पुरुष विवाह करना चाहता था। पाली ग्रन्थों के मुताबिक क्या राजा, क्या व्यापारी हर कोई आम्रपाली को पाना चाहता था। आम्रपाली के लिए उसके माता-पिता किसी एक को चुनते, तो पूरे नगर में सभी पुरुष इसका विरोध करते और डर भी था कि कहीं नगर में अशांति न फैल जाए।
पाली ग्रन्थों के मुताबिक, वैशाली के संसद में आम्रपाली को लेकर संसद के सदस्यों ने चर्चा करने का फैसला किया। फिर तय किया गया कि वैशाली में एकता और शांति बनी रहे इसके लिए आम्रपाली को नगरवधू बनाना होगा और वो पूरे नगर की दुल्हन होगी। नगरवासी तो खुश हो गए, लेकिन ऐसा होने पर आम्रपाली अपनी ही खूबसूरती का शिकार हो गई। आम्रपाली को जनपथ कल्याणी की उपाधि मिली, जो कि किसी एक को साम्राज्य की सबसे खूबसूरत और सबसे प्रतिभाशाली महिला को ये उपाधि 7 साल के लिए दी जाती थी। शारीरिक संबंध बनाने के लिए आम्रपाली अपना पार्टनर अपने पसंद से चुन सकती थी। उसे दरबार की नर्तकी भी बना दिया गया।
मगध और वैशाली में हमेशा ही शत्रुता थी। ऐसे में मगध के राजा बिम्बिसार आम्रपाली से मिलने भेष बदलकर जाता। वो खुद भी एक संगीतकार था। फिर दोनों में प्यार हुआ और उनका एक बेटा भी हुआ, जो कि आगे जाकर बौद्ध भिक्षु बना। हालांकि एक बार बिंबिसार को आम्रपाली ने पहचान लिया और बिंबिसार से युद्ध रोकने को कहा, जिसे तुरंत बिंबिसार ने मान लिया। आम्रपाली को मगध की महारानी बनने का उसने उसके सामने प्रस्ताव भी रखा, लेकिन वैशाली से आम्रपाली को बहुत प्यार था और अगर वो बिंबिसार का प्रस्ताव मान लेती तो वैशाली और मगध में भयंकर युद्ध छिड़ जाता और काफी लोग मारे जाते। ऐसे में आम्रपाली ने मगध की महारानी बनने का प्रस्ताव त्याग दिया।
बिंबिसार का एक पुत्र अजातशत्रु थी जिसे आम्रपाली से प्यार हो गया और आम्रपाली को भी उससे प्रेम हुआ। जब वैशाली के लोगों को ये खबर हुई तो आम्रपाली को जेल में बंद कर दिया गया। इस बात से अजातशत्रु इतना गुस्से से भर गया कि उसने वैशाली पर आक्रमण किया और कई लोग मारे गए। वैशाली की ऐसी दशा देखकर आम्रपाली बहुत दुखी हुई और अजातशत्रु के प्रेम को ठुकरा दिया।
फिर एक समय आया जब आम्रपाली एक बौद्ध भिक्षु पर मोहित हो गईं और उसे अपने यहां खाने पर तो बुलाया ही साथ ही 4 महीने के प्रवास के लिए भी कहा, जिस पर बौद्ध भिक्षु ने कहा कि वो अपने गुरू बुद्ध की आज्ञा पर ही कुछ बता सकते हैं। हालांकि बुद्ध ने बौद्ध भिक्षु को इसकी अनुमति दे दी। फिर 4 महीने बीतने के बाद बौद्ध भिक्षु के साथ आम्रपाली आई और बुद्ध के चरणों में जा गिरी। उसने कहा कि मैं आपके बौद्ध भिक्षु को नहीं मोहित कर पाई, लेकिन उनकी आध्यात्मिकता ने मुझे उसी रहा पर चलने को विवश किया है। यहां से आम्रपाली एक बौद्ध भिक्षुणी बन गई और आगे ऐसे ही जीवन बिताया।