तुम मुझे खून दो…मैं तुम्हें आजादी दूंगा, जय हिंद..जैसे नारे देने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस को भला कौन भूला सकता है। नेताजी भारत के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल हैं जिनसे आज के दौर में भी युवाओं को प्रेरणा देते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं। आज भारत के उन्हीं महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की जयंती हैं और इस खास मौके पर आज हर कोई उन्हें याद कर रहा है।
सुभाष चंद्र बोस की अगर जिंदगी पर नजर डालें तो ये किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहीं। देश की आजादी के लिए बोस ने विश्वभर में भ्रमण किया। साथ ही ब्रिटेन के विरोधी देशों का साथ पाने के लिए उन्होंने प्रयास किए। इसी बीच सुभाषचंद्र बोस की मुलाकात जर्मनी में ऑस्ट्रियन मूल की महिला एमिली शेंकल से हुई। साल 1942 में दोनों ने विवाह रचा लिया।
सुभाषचंद्र बोस से जुड़ा एक बड़ा रहस्य आज तक बना हुआ है। वो है उनकी मौत का रहस्य। नेताजी की मौत कब और कैसे हुई, इसको लेकर पुख्ता तौर पर जानकारी नहीं है। बताया जाता है कि बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में रहस्यमयी ढंग से हुई थीं। उनकी मौत आज भी लोगों के लिए पहेली बनी हुई है।
नेताजी ने जापानी शासित फॉर्मोसा जो अब ताइवान के नाम से जाना जाता है वहां से जापान के लिए उड़ान भरी थी। लेकिन इस बीच ही उनका विमान ताइवान के ताइपे में ही दुर्घटना का शिकार हो गया। विमान में अचानक तकनीकी खराबी आई, जिसके चलते आग लग गई और जलते-जलते वो क्रैश हो गया। ऐसा कहा जाता है कि इस हादसे में नेताजी बुरी तरह जल गए थे। उन्होंने पास के ही जापान अस्पताल में दम तोड़ दिया।
एक संभावना ये भी जताई जाती है कि इस हादसे के दौरान नेताजी बच गए थे। विमान हादसे के दौरान जो शख्स बुरी तरह से जख्मी हुए, जिसकी मौत हुई थी और जिसने अस्तपाल में दम तोड़ा वो वाकई में सुभाषचंद्र बोस थे भी या नहीं। मामले में सरकार ने जांच के लिए कई समितियां भी गठित कीं, लेकिन आज तक नेताजी की मौत पर कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिल पाए। इसके बाद से ही सुभाष चंद्र बोस की मौत विवादों और रहस्यों से घिरी रहीं। रहस्य इसलिए भी गहरा गया कि जापान सरकार ने बाद में कहा कि ताइवान में उस दिन कोई विमान हादसा नहीं हुआ।
आज तक ये उठता है कि क्या नेताजी की मौत का क्या सच है? यही नहीं बाद में सुभाषचंद्र बोस के 1985 तक गुमनामी बाबा के रूप में रहने की बात भी सामने आई। हालांकि नेताजी की मौत पर कई रिसर्च हुई, लेकिन इनमें से किसी ने भी इसकी पुष्टि नहीं की। ना तो सुभाषचंद्र मौत की साजिश के सबूत मिल पाए और ना ही गुमनामी बाबा का राज सामने आया।