नीरजा भनोत को तो हम सभी जानते हैं. उनके कहानी भी सभी ने सुनी ही होगी. नीरजा भनोत ने अपनी बहादुरी से 360 लोगों की जान बचाई थी और पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गई थी. लेकिन इस दौरान वो खुद को बचा नहीं पाई और आतंकियों ने उन्हें मार दिया था. इस घटना को हुए 34 साल पूरे हो गए है लेकिन आज भी वो नीरजा हम सबके दिलों में जिंदा है. आज भी उनके कामों के लिए नीरजा की हर कोई सराहना करता है. सिर्फ भारत ही नहीं पाकिस्तान ने भी उन्हें एक बहादुर लड़की मानते हुए सम्मानित किया था.
5 सितम्बर 1986 का था वो दिन
नीरजा की मौत हुए आज 34 साल पूरे हो गए है. 5 सितम्बर 1986 का वो दिन था जब पैन एएम 73 फ्लाइट में बैठे सभी यात्री पायलट के आने का इंतेजार कर रहे थे. तभी चार आतंकियों ने पाकिस्तान के कराची से पैन एएम 73 फ्लाइट को हाईजैक किया था. इस फ्लाइट में कुल 379 यात्री सवार थे. आतंकियों का मकसद इस फ्लाइट को क्रैश कराने का था लेकिन नीरजा के साहस ने आतंकियों के इस मंसूबों को नाकाम कर दिया. उन्होनें अपनी जान दांव पर लगाकर 360 यात्री को बचाया था.
आतंकियों ने प्लेन को किया था हाईजैक
जिन आतंकियों ने फ्लाइट को हाईजैक किया था वो सभी लिबिया की अबू निदल ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े हुए थे. उनका मकसद अपने फिलिस्तीनी साथियों की जेल से छुड़ाने का था. उन्होनें पाकिस्तान सरकार से पायलट भेजने की मांग की ताकि वो विमान को अपनी मन मुताबिक जगह ले जा सकें. लेकिन जब सरकार फ्लाइट में मौजूद सभी अमेरिकियों को मारने का फैसला किया. लेकिन फ्लाइट में एयर होस्टेस का काम कर रही नीरजा ने ऐसा नहीं होने दिया. आतंकियों ने नीरजा से सभी यात्रियों के पासपोर्ट लेने को कहा जिससे वो पता लगा सकें कि फ्लाइट में मौजूद कौन-कौन अमेरिकी है.
नीरजा की बहादुरी से बची थी कई जानें
लेकिन नीरजा की बहादुरी की वजह से एक भी अमेरिकी नागरिक इस आतंकियों के हाथ नहीं आ पाया. दरअसल, नीरजा ने सभी के पासपोर्ट छुपा दिए. इससे आतंकियों को गुस्सा आ गया और उन्होनें गेट पर ले जाकर एक अमेरिकी को गोली मार दी. इस विमान में कुल 44 अमेरिकी सवार थे, जिनमें से आतंकी केवल 2 को ही मार पाए.
विमान में कई बच्चें भी सवार थे, जो इस घटना से काफी डरे सहमे थे, लेकिन नीरजा ने उन्हें हिम्मत देते हुए फ्लाइट में मौजूद सभी लोगों का काफी अच्छे से ख्याल रखा. तभी नीरजा को याद आया कि विमान का ईंधन खत्म होने वाला है, जिससे अंधेरा हो जाएगा, ऐसे में परेशानी और बढ़ सकती है. नीरजा ने आतंकियों के ध्यान को भटकाते हुए विमान में मौजूद सभी यात्रियों को आपातकाल दरवाजों के बारे में बताया. तभी विमान का ईंधन खत्म हो गया और चारों ओर अंधेरा छा गया.
इसके बाद नीरजा ने कुशलता दिखाते हुए सभी यात्रियों को आपातकाल द्वार से बाहर निकालना शुरू किया. ऐसा होता देख आतंकी बौखला गए और उन्होनें गोलियां बरसानी शुरू कर दी. इसी बीच दूसरों की जान को बचाते-बचाते नीरजा आतंकियों की गोली से नीरजा की मौत हो गई.
केवल 22 साल की थी नीरजा
जिस समय ये घटना हुई उस समय नीरजा भनोत केवल 22 साल की थी. वो करीब 17 घंटे तक अकेले आतंकियों से लड़ी और लोगों की जान बचाई. इस घटना में नीरजा समेत कुल 20 लोगों की जान गई थी, जबकि 360 लोगों की जान नीरजा की वजह से बच गई. इस घटना के दो दिन बाद ही नीरजा का 23 वां जन्मदिन था. लेकिन इससे पहले भी वो शहीद हो गई.
पाकिस्तान भी कर चुका है नीरजा को सम्मानित
देश की इस बहादुर लड़की को ना सिर्फ भारत बल्कि पाकिस्तान ने भी सम्मानित किया है. नीरजा को भारत ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘अशोक चक्र’ से नवाजा है तो वहीं पाकिस्तान में उन्हें तमगा-ए-इन्सानियत से सम्मानित किया है.
अगर नीरजा की निजी जिंदगी की बात करें तो वो एयर होस्टेस होने के साथ-साथ एक मॉडल भी थी. उन्होनें कई ब्रॉन्ड्स के लिए मॉडलिंग की थी. वो अपने पति से अलग होकर अपने माता-पिता के साथ रहती थी.
नीरजा की कहानी पर बन चुकी है फिल्म
नीरजा की इस बहादुरी की कहानी को बताने के लिए साल 2016 में उनके ऊपर एक फिल्म भी बनाई गई है. सोनम कपूर ने इस फिल्म में नीरजा का किरदार निभाया है. फिल्म में नीरजा की निजी जिंदगी से लेकर फ्लाइट में हुई इस घटना को काफी बारीकी से दिखाया गया है. इस फिल्म को काफी पंसद भी किया गया है.