360 लोगों की जान बचाने वाली देश की बहादुर बेटी नीरजा भनोट को भला कौन नहीं जानता होगा। उनके कहानी भी सभी ने सुनी ही होगी। वो पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गई थी, लेकिन इस दौरान नीरजा खुद को नहीं बचा पाई। इस घटना को हुए 35 साल पूरे हो गए है, लेकिन आज भी वो नीरजा हम सबके दिलों में जिंदा है। नीरजा ने प्लेन हाइजैकिंग के दौरान जिस तरह से साहस दिखाया और लोगों की जान बचाई, उसके लिए हर कोई आज भी उनकी सराहना करता है। सिर्फ भारत ही नहीं पाकिस्तान ने भी उन्हें एक बहादुर लड़की मानते हुए सम्मानित किया था।
आंतकियों ने हाईजैक किया था प्लेन
नीरजा की मौत को आज 35 साल बीत चुके है। 5 सितम्बर 1986 का वो दिन था जब पैन एएम 73 फ्लाइट में बैठे सभी यात्री पायलट के आने का इंतेजार कर रहे थे। तभी चार आतंकियों ने पाकिस्तान के कराची से पैन एएम 73 फ्लाइट को हाईजैक किया था। इस फ्लाइट में करीब 380 यात्री सवार थे। आतंकियों का मकसद इस फ्लाइट को क्रैश कराने का था, लेकिन नीरजा के साहस ने आतंकियों के इस मंसूबों को नाकाम कर दिया। उन्होनें अपनी जान दांव पर लगाकर 360 यात्री को बचाया था।
जिन आतंकियों ने फ्लाइट को हाईजैक किया था वो सभी लिबिया की अबू निदल ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े हुए थे। उनका मकसद अपने फिलिस्तीनी साथियों की जेल से छुड़ाने का था। उन्होनें पाकिस्तान सरकार से पायलट भेजने की मांग की, जिससे वो विमान को अपनी मन मुताबिक जगह ले जा सकें। लेकिन जब सरकार नहीं मानी, तो आतंकियों ने फ्लाइट में मौजूद सभी अमेरिकियों को मारने का फैसला किया।
नीरजा ने ऐसे बचाई थी लोगों की जान
हालांकि फ्लाइट में एयर होस्टेस का काम कर रही नीरजा ने ऐसा नहीं होने दिया। आतंकियों ने नीरजा से सभी यात्रियों के पासपोर्ट लेने को कहा, जिससे वो पता लगा सकें कि फ्लाइट में मौजूद कौन-कौन अमेरिकी है।
नीरजा की बहादुरी की वजह से अमेरिकी नागरिक आतंकियों के हाथ नहीं आ पाए। दरअसल, नीरजा ने सभी के पासपोर्ट छुपा दिए थे। इससे आतंकियों को गुस्सा आ गया और उन्होनें गेट पर ले जाकर एक अमेरिकी को गोली मार दीय़ इस विमान में कुल 44 अमेरिकी सवार थे, जिनमें से आतंकियों ने दो को मार दिया था।
विमान में कई बच्चें भी सवार थे, जो इस घटना से काफी डरे सहमे थे। नीरजा ने उन्हें हिम्मत देते हुए फ्लाइट में मौजूद सभी लोगों का काफी अच्छे से ख्याल रखा। तभी नीरजा को याद आया कि विमान का ईंधन खत्म होने वाला है, जिससे अंधेरा हो जाएगा। ऐसे में परेशानी और बढ़ सकती है। नीरजा ने आतंकियों के ध्यान को भटकाते हुए विमान में मौजूद सभी यात्रियों को आपातकाल दरवाजों के बारे में बताया। तभी विमान का ईंधन खत्म हो गया और चारों ओर अंधेरा छा गया। इसके बाद नीरजा ने कुशलता दिखाते हुए सभी यात्रियों को आपातकाल द्वार से बाहर निकालना शुरू किया।
ऐसा होता देख आतंकी बौखला गए और उन्होनें गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इसी बीच दूसरों की जान को बचाते-बचाते आतंकियों की गोली से नीरजा की मौत हो गई।
जिस समय ये घटना हुई उस समय नीरजा केवल 22 साल की थी। वो करीब 17 घंटे तक अकेले आतंकियों से लड़ी और लोगों की जान बचाई। इस घटना में नीरजा समेत कुल 20 लोगों की जान गई थी, जबकि 360 लोगों की जान बच सकी। नीरजा की मौत ऐसे वक्त में हुई, जब दो दिन बाद ही उनका 23वां जन्मदिन था।
पाकिस्तान भी कर चुका है नीरजा को सम्मानित
देश की इस बहादुर बेटी की दाद ना सिर्फ भारत में दी जाती, बल्कि पाकिस्तान तक नीरजा की बहादुरी का लोहा मान गया। इस वजह से ही पाकिस्तान ने भी नीरजा को सम्मानित किया। नीरजा को भारत ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘अशोक चक्र’ से नवाजा है, तो वहीं पाकिस्तान में उन्हें तमगा-ए-इन्सानियत से सम्मानित किया।
बात नीरजा की निजी जिंदगी की करें तो वो एयर होस्टेस होने के साथ-साथ एक मॉडल भी थी। उन्होनें कई ब्रॉन्ड्स के लिए मॉडलिंग की थी। वो अपने पति से अलग होकर अपने माता-पिता के साथ रहती थी।
नीरजा की कहानी बताने के लिए उन पर एक फिल्म भी बन चुकी है, जो साल 2016 में आई थीं। जिसमें सोनम कपूर नीरजा का रोल निभाते हुए नजर आई थीं। फिल्म में नीरजा की निजी जिंदगी से लेकर फ्लाइट में हुई इस घटना को काफी बारीकी से दिखाया गया था।