15 जनवरी का दिन बहुत खास होता है क्योंकि इस दिन को भारतीय सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। अपनी सेना का नाम सुनते ही हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। भारतीय सेना की ही वजह से हम अपने घरों में सुरक्षित रहते है। वो अपने घर-परिवार सब कुछ छोड़कर देश की रक्षा करने के लिए सरहदों पर जाते हैं। ना वो गर्मी की फिक्र करते हैं और ना ही ठिठुरती हुई ठंड की।
चौबीसों घंटे तैनात रहकर वो बस भारत माता की रक्षा करते हैं। कई वीर जवान तो अपने देश के लिए शहीद तक हो जाते हैं. इस साल 15 जनवरी को 73वां भारतीय सेना दिवस मनाया जा रहा है।आइए आपको बताते हैं कि हर साल क्यों 15 जनवरी को ही भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है और इसको कैसे मनाते हैं..?
इसलिए इस दिन मनाया जाता है…
15 अगस्त 1947 का वो दिन भारत को आखिरकार ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई। उस समय माहौल काफी खराब था. कई जगहों पर दंगे हो रहे थे। कुछ शरर्णाथी पाकिस्तान से आ रहे थे, तो कुछ पाकिस्तान की ओर जा रहे थे। हालातों पर काबू पाने के लिए सेना को आगे आना पड़ा। उस समय सेना की कमान ब्रिटिसर्स कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर के हाथ में थी।
पहले भारतीय सेना चीफ बने थे करियप्पा
वहीं 15 जनवरी 1949 वो दिन था, जब फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के साथों में सेना की कमान सौंपी गईं। वो आजाद भारत के पहले भारतीय सेना चीफ बने। इसलिए हर साल 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस खास दिन के मौके पर बहादुर वीर सैनिकों को सम्मानित किया जाता है, तो वहीं देश के लिए कुर्बानी देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती हैं।
जब पहले भारतीय ने थलसेना की कमान संभाली तो ये पूरे देश के लिए गर्व का मौका था। जनरल केएम करियप्पा को लोग प्यार से किपर भी कहते बुलाते थे। जब वो भारत के पहले कमांडर इन चीफ बने तो उनकी उम्र केवल 49 साल थी। वो चार सालों तक आर्मी के चीफ रहे और 16 जनवरी 1953 को रिटारयर हुए।
जानिए कब हुआ था भारतीय सेना का गठन?
आधिकारिक तौर पर भारतीय थलसेना का गठन 1 अप्रैल 1895 को हुआ था। ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों को भारतीय थलसेना में शामिल किया गया था। उस दौरान इसे ब्रिटिश इंडियन आर्मी कहा जाता था। वहीं आजादी के बाद नेशनल आर्मी कहा गया। देश के आजाद होने के बाद भी ब्रिटिश सेना के ही अधिकारी आर्मी चीफ के पद पर तैनात रहे। फिर 15 जनवरी 1949 को जनरल केएम करियप्पा ने ब्रिटिश अधिकारी से भारतीय थलसेना का प्रभार लिया था।