Brahmins sacrificed their life for Sikh – सिख धर्म सनातन से निकला हुआ धर्म है और स्वयं सिख भी इस बात को स्वीकार करते हैं. सिख गुरुओं ने अपना पूरा जीवनकाल समाज के कल्याण में, आक्रांताओं से अपनी मातृभूमि की रक्षा करने में बिताया. लोगों को सन्मार्ग पर चलने के उपदेश दिए और भी तमाम चीजें की. लेकिन इन सिख गुरुओं की लड़ाई में तमाम ब्राह्मणों ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था.
इतिहास की किताबों में भले ही ये बातें नहीं बताई जाती लेकिन ये सच कि तमाम ब्राह्मणों ने सिखों के लिए अपना बलिदान दिया है. जिन 35 लेखकों की रचनाओं को श्री गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किया गया है, उनमें से 16 ब्राह्मण थे. भट्ट ब्राह्मणों ने सिख गुरुओं की प्रशंसा में गाया और लिखा था…उनमें से 11 ब्राह्मणों ने गुरुओं के जीवनकाल के दौरान सिख धर्म के लिए प्राण भी न्योछावर किए थे, जिसके लिए गुरुओं द्वारा उन्हें मंजिस का सम्मान भी प्रदान किया गया था.
और पढ़ें: हरियाणा और पंजाब के इन 5 विवादित बाबाओं ने तार-तार कर दी मर्यादा की सारी हदें
पंडित प्रागा दास जी – Pandit Praga Das Ji
इसमें पहले नंबर पर हैं पंडित प्रागा दास जी. इनके पिता का नाम पंडित माई दास जी था. करियाला झेलम में इनका जन्म हुआ था, जो अभी वर्तमान पाकिस्तान में है. प्रागा दास जी एक छिबर ब्राह्मण थे…ये सिखों के पांचवे गुरु श्री अर्जुन देव जी के मुख्य सहयोगी रहे. इन्हें गुरु हरगोविंद सिंह जी यानी सिखों के छठे गुरु को युद्ध कला सीखाने का श्रेय प्राप्त है. 1621 में अब्दुला खान के साथ हो रहे युद्ध में इन्हें वीरगति की प्राप्ति हुई थी.
पंडित पेड़ा दास जी – Pandit Peda Das Ji
अगले बलिदानी हैं पंडित पेड़ा दास जी. ये पंडित प्रागा दास जी के छोटे भाई थे. पंडित पेड़ा दास जी भी गुरु अर्जुन देव जी के मुख्य सहयोगी थे और ये गुरु हरगोविंद सिंह जी की सेना के मुख्य सेनापति थे. इन्होंने सभी लड़ाईयों में हिस्सा लिया और अंत में अमृतसर की लड़ाई में शहीद हो गए.
पंडित मुकुंदा राम जी – Pandit Mukunda Ram Ji
तीसरे बलिदानी हैं पंडित मुकुंदा राम जी. इनका जन्म कराची में हुआ था, जो वर्तमान पाकिस्तान का हिस्सा है. ये गुरु अर्जुन देव जी के मुख्य सेवक थे और बाद में उनकी सेना के मुख्य सेनापति के तौर पर भी नियुक्त हुए. मुकुंदा साम जी चारों वेदों के ज्ञाता था और युद्ध कला में उतने ही निपुण थे…ये भी सिखों के लिए लड़ते हुए एक युद्ध में शहीद हो गए.
पंडित जट्टू जी – Pandit Jattu Ji
सिखों के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले अगले बलिदानी हैं पंडित जट्टू जी (Brahmins sacrificed their life for Sikh). इनका जन्म लाहौर में हुआ था. ये एक तिवारी ब्राह्मण थे. ये गुरु हरगोविंद सिंह जी के सेना में शामिल थे और बाद में इन्होंने सेना का कार्यभार भी संभाला. 1630 ईस्वी में मुहम्मद खान के साथ हुई लड़ाई में पंडित जट्टू जी ने ही उस आक्रांता को मौत के घाट उतारा था. हालांकि, मुहम्मद खान के साथ युद्ध करते हुए रणक्षेत्र में ये भी लहूलुहान हो गए थे और युद्ध क्षेत्र में ही वीरगति को प्राप्त कर गए.
और पढ़ें: कबीर दास के चरणों में क्यों लोट गया था यह मुस्लिम शासक, ये रही पूरी कहानी
पंडित सिंघा पुजारी जी – Pandit Singha Pujari Ji
हमारी इस लिस्ट के पांचवे ब्राह्मण वीर हैं पंडित सिंघा पुजारी जी. ये गुरु अर्जुन देव जी के मुख्य सेवक थे और ये गुरु हरगोविंद सिंह जी की सेना में सिपाही भी रहे. अमृतसर के नजदीक हुई एक लड़ाई में पंडित सिंघा पुजारी जी वीरगति को प्राप्त हो गए थे.
पंडित मालिक जी पुरोहित – Pandit Malik ji Purohit
अगले बलिदानी हैं पंडित मालिक जी पुरोहित. ये पंडित सिंघा पुजारी जी के बेटे थे. मुखलसखान के विरुद्ध हुई धुंआधार लड़ाई में इन्होंने सेना का नेतृत्व किया औऱ विजयी भी हुए. इन्हें गुरु हरगोविंद सिंह जी का दाहिना हाथ माना जाता था. हालांकि, 1645 में गुरुजी की मृत्यु के बाद भी ये सेना में बने रहे. 1687 में हुए भंगानी के युद्ध में इन्हें शहादत प्राप्त हुई थी.
पंडित किरपा राम जी – Pandit Kripa Ram Ji
सांतवे बलिदानी हैं पंडित किरपा राम जी. ये सिखों के नौंवे गुरु, गुरु तेगबहादुर जी के प्रमुख सहयोगी थे. इन्होंने ही गुरु गोविंद सिंह जी को शस्त्र विद्या सिखाई थी. कहा जाता है कि इनके जैसा वीर योद्धा पंजाब के इतिहास में नहीं हुआ….ये सिखों की समकालीन सेना के सेनापति थे और चमकौर की लड़ाई में ये शहीद हो गए थे.