आज से संसद का बजट सत्र शुरू हो गया है। एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना तीसरा आम बजट पेश करने जा रही हैं। वैसे तो हर साल ही बजट का लोगों को काफी इंतेजार रहता है। लेकिन इस बार की अहमियत ज्यादा है। 2020 में आई कोरोना महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था को अस्त-व्यस्त करके रख दिया। महीनों तक लगे लॉकडाउन की वजह से लोगों की जिंदगी पर भी काफी असर पड़ा। ऐसे में इस बजट सत्र में सरकार किसको क्या सौगात देगी, ये जानने के लिए हर कोई उत्साहित है।
वैसे जब से नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई है, बजट सत्र में कई बदलाव देखने को मिले। मोदी सरकार के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री बनीं। 2019 में उन्होनें बजट को ब्रीफकेस में लेकर आने के ट्रेंड को ही खत्म कर दिया। इसकी जगह वो लाल रंग के मखमली कवर वाली फाइल में बजट लेकर पहुंची, जिसने खूब चर्चाएं भी बटोरीं।आइए आपको ब्रीफकेस से लेकर लाल कवर तक बजट से जुड़ी खास इतिहास के बारे में बताते हैं…
लाल कवर में बजट लाकर मोदी सरकार ने अग्रेंजों के जमाने से चली आ रही परंपरा को खत्म किया। 1733 में ब्रिटिश सरकार के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री रॉबर्ट वॉलपोल बजट पेश करने आए, तब उनके हाथ में एक चमड़े का थैला था। इस थैले को फ्रेंच भाषा में बुजेट कहा जाता था, जिसको बाद में इसी के आधार में बजट कहा जाने लगा।
इसके बाद 1860 में पहली बार लाल सूटकेस का इस्तेमाल हुआ। इस दौरान ब्रिटिश बजट चीफ विलिमय ग्लैडस्टोन सूटकेस लेकर पहुंचे थे, जिसको बाद में ग्लैडस्टोन बॉक्स भी कहा गया। इसके बाद से लगातार इस बैग में ही ब्रिटेन का बजट पेश होता रहा। लेकिन फिर इसकी हालत काफी खराब होने लगी। 2010 में इसको आधिकारिक तौर पर म्यूजिम में रख दिया गया।
1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद भी बजट की परंपरा अंग्रेजों वाली ही चलती रही। आजाद भारत का पहला बजट वित्त मंत्री आर के शानमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था, तब वो उस दौरान लेदर के थैले में इसको लेकर पहुंचे थे। जिसके बाद सालों तक इसी परंपरा के अनुसार बजट पेश होता रहा।
हालांकि कई बार ब्रीफकेस का रंग और आकार में बदलाव देखने को मिलता रहा है। 1958 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने काले रंग के ब्रीफकेस में बजट पेश किया था। वहीं 1991 में जब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे, तो उन्होनें लाल रंग के ब्रीफकेस में बजट पेश करने की परंपरा शुरू की। एक फरवरी 2019 को पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था, जिस दौरान भी लाल ब्रीफकेस का ही इस्तेमाल किया गया।
लेकिन इसके बाद लंबे समय से चली आ रही ब्रीफकेस की परंपरा टूटी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री बनीं और उन्होनें ब्रीफकेस की परंपरा को ही खत्म कर दिया। जब निर्मली सीतारमण अपना पहला बजट पेश करने बजट पहुंची, तो उनके हाथों में ब्रीफकेस की जगह एक मखमली लाल रंग के कवर में बजट था, जिस पर अशोक चिन्ह भी बना हुआ है। अब इसे ‘बही खाता’ कहा जाता है। दो बार से वित्त मंत्री ऐसे ही बजट पेश करती आ रही हैं और अब एक फरवरी को तीसरी बार भी लाल रंग के कवर में ही बजट लेकर संसद पहुंचेगीं।