“सजा-ए-मौत” ये शब्द जब अदालत की चार दीवारी में पुकारा जाता है तो इसकी गूंज अपराधी तक नहीं आस पास के सभी लोगों के दिलों तक छू सी जाती है. हालांकि जब कोई व्यक्ति ऐसा खतरनाक या कहें कि घिनौना काम करता है तभी उसे अदालत द्वारा “सजा-ए-मौत” की सजा सुनाई जाती है. वहीं, आज हम आपको एक ऐसा हैरान कर देने वाला किस्सा बताने जा रहे हैं, जिसमें केवल 14 वर्षीय बच्चे को मौत की सजा सुनाई गई थी.
दरअसल, ये किस्सा आज का नहीं बल्कि 75 साल पहले अमेरिका में हुआ है. सबसे हैरानी की बात तो ये है कि 14 साल के बच्चे को सजा सुनाने में अदालत ने केवल 10 मिनट लिए और उस बच्चे को “सजा-ए-मौत” दी थी, आइए आपको साल 1944 में घटी इस खौफनाक घटना के बारे में बताते हैं…
मौत की सजा पाने वाले बच्चे का नाम जॉर्ज स्टिनी था. ये अफ्रीकन-अमेरिकन यानी अश्वेत था. उस दौर में श्वेत लोग अश्वेत लोगों से रंग की वजह काफी भेदभाव करते थे, जिसके चलते ऐसा कहा जाता है कि बच्चे को सजा-ए-मौत देने का फैसला एकतरफा था क्योंकि इस दौरान जिस जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था, वो सभी श्वेत थे.
इस किस्से की शुरुआत 23 मार्च, 1944 को शुरू हुई थी. इस दिन जॉर्ज और उसकी बहन कैथरीन अपने घर के बाहर खड़े थे. इस दौरान वहां पर 2 लड़कियां 11 साल की बैटी जून बिनिकर और 8 साल की मेरी एमा थॉमस किसी फूल को ढूंढते हुए आईं. जिसके बारे में उन्होंने जॉर्ज और उसकी बहन कैथरीन से पूछा. जिसके चलते उन लड़कियों की मदद करने के लिए जॉर्ज उनके साथ चला गया और फिर बाद में वो अपने घर लौटकर आ गया, लेकिन वहां से वो दोनों लड़कियां गायब हो गईं.
दोनों लड़कियों की मिली लाशे
ऐसे में जब गायब हुईं दोनों लड़कियों को उनके घर वालों ने ढूंढना शुरू किया तो इस दौरान मालूम हुआ कि वो आखिरी बार जॉर्ज के साथ देखी गई थीं. जिसके चलते वो जॉर्ज के पिता के साथ लड़कियों को आसपास के इलाकों में ढूंढने लगे, लेकिन फिर भी वो नहीं मिली. बाद में दोनों लड़कियों की लाशे रेलवे ट्रैक के पास कीचड़ में मिली. सिर पर गहरी चोट लगी हुई थी जिस वजह से दोनों की मौत हो गई थी.
“11 वर्षीय बैटी से बनाना चाहता था संबंध”
वहीं, दोनों की लाश मिलने के बाद पुलिस ने शक के आधार पर जॉर्ज को गिरफ्तार किया और उससे पूछताछ की. जिसके बाद पुलिस ने बताया कि जॉर्ज द्वारा अपना जुर्म कबूल कर लिया गया है और उसी ने दोनों लड़कियों को मारा है. पुलिस के मुताबिक जॉर्ज 11 साल की बैटी के साथ संबंध बनाना चाहता था, मगर वो 8 साल की मेरी के रहते ये नहीं कर सकता था तो इस वजह से उसने मेरी को मारने का प्रयास किया और फिर दोनों लड़कियां उससे भिड़ गईं. इसके बाद जॉर्ज ने लोहे के रॉड से दोनों लड़कियों के सिर पर मारा, जिससे उनकी मौत हो गई. पुलिस के अनुसार दोनों लड़कियों की चोट इतनी भयंकर थी कि उनके सिर के चार से पांच टुकड़े हो गए थे.
कबूलनाम पर नहीं था हस्ताक्षर
पुलिस अधिकारी द्वारा एक लिखित बयान दिया गया, जिसमें लिखा कि जॉर्ज ने अपनी गलती को मान लिया, लेकिन इसमें हैरानी वाली बात ये रही कि उस लिखित बयान पर जॉर्ज के हस्ताक्षर ही नहीं थे. हालांकि किसी ने भी इसपर ध्यान नहीं दिया. उसके बाद करीब तीन महीनों तक जॉर्ज को कोलंबिया की जेल में रखा गया. इस दौरान जॉर्ज को उसके परिवार तक से मिलने नहीं दिया गया.
14 साल का बच्चा नहीं होता नाबालिग
जॉर्ज के मामले की सुनवाई के लिए केवल एक दिन में ही एक ज्यूरी का गठन किया गया. कोर्ट द्वारा जॉर्ज के बचाव में वकील चार्ल्स प्लोडन को रखा गया. इन्होंने जॉर्ज के बचाव में केवल एक ही दलील दी कि उससे किसी वयस्क की तरह पेश न आया जाए, हालांकि उस दौर में अमेरिका में 14 साल के बच्चे को वयस्क ही माना जाता था, जिसके चलते चार्ल्स की दलील खारिज हो गई.
अश्वेतों को कोर्टरूम में नहीं जाने दिया
इस मामले में हैरानी की बात ये रही कि मामले की सुनवाई करने वाले सभी जज श्वेत थे. सुनवाई के दौरान कोर्टरूम में 1 हजार से भी अधिक लोग थे, लेकिन उनमें एक भी अश्वेत नहीं था क्योंकि उनको अंदर घुसने नहीं दिया गया था. इस केस में जज की बेंच ने जॉर्ज के खिलाफ 3 गवाहों को पेश किया गया था, जिसमें पहला लड़कियों की लाश ढूंढने वाला शख्स था, दूसरा दोनों लड़कियों का पोस्टमॉर्टम करने वाला डॉक्टर. वहीं, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार दोनों लड़कियों के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था. वहीं, जॉर्ज के वकील ने कोर्ट में 1 भी गवाह पेश नहीं कर सके थे.
जॉर्ज को अपने बचाव में नहीं बोलने दिया
इतना ही नहीं, इस मामले में हैरानी की बात ये रही कि कोर्ट में जॉर्ज के सवालों को क्रॉस चेक भी नहीं किया जा रहा था और ना ही उसे अपने बचाव में बोलने दिया जा रहा था. इस मामले के लगभग ढाई घंटे तक सुनवाई चली और केवल 10 मिनट में ही कोर्ट ने उसे दोषी करार करते हुए मौत की सजा सुना दी थी. इस दौरान एक और खासियत ये थी कि जॉर्ज अपने आप को बेकसूर बता रहा था, हालांकि उसको ये साबित करने के लिए मौका ही नहीं दिया गया.
इलेक्ट्रिक चेयर से दी दर्दनाक मौत
आपको बता दें कि उस दौर में लोगों को मौत की सजा इलेक्ट्रिक चेयर से दी जाती थी, जिसके चलते जॉर्ज को इलेक्ट्रिक चेयर से बांधा गया. ऐसा कहा जाता है कि जॉर्ज की लंबाई 5 फीट कम थी, जिस वजह से वो कुर्सी पर फिट नहीं हो पा रहा था जिसके चलते उसे किताबों पर बिठाया गया. कुछ लोगों का कहना है कि वो किताब बाइबिल थी. वहीं, जॉर्ज को इस तरह से बैठाने के बाद 2400 वोल्ट का बिजली का तेज झटका दिया गया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई.
70 साल बाद दोबारा खोली गई मामले की फाइल
अमेरिका में सबसे कम उम्र में मौत की सजा पाने वाले में जॉर्ज का नाम शामिल है. बता दें कि जॉर्ज की मौत के 70 साल बाद यानी साल 2014 में उसके केस को एक बार फिर खोला गया था, जिसके अनुसार जॉर्ज के साथ अन्याय हुआ था. जॉर्ज के बयान साफ नहीं थे जिससे ये पता चले कि उसी ने दोनों लड़कियों का खून किया था, जिसके चलते उसे बेगुनाह करार दिया गया. आपको बता दें कि इस मामले को अमेरिका के कानूनी इतिहास में एक काला अध्याय माना जाता है, इसमें एक बेगुनाह को दर्दनाक तौर पर सजा-ए-मौत दी गई थी.