साल 1997 था, तारीख 13 जून, दिन शुक्रवार और समय शाम के करीब 4.55। उस दौरान दक्षिणी दिल्ली के ग्रीन पार्क इलाके के उपहार सिनेमा में फिल्म चल रही थी ‘बॉर्डर’। सिनेमा के दीवाने इस फिल्म को देखने के लिए उत्सुक थे और वो उस दिन ये फिल्म देखने के लिए फर्स्ट डे, फर्स्ट शो की टिकट लेकर मूवी देखने पहुंच गए।
59 लोगों की हुई थी मौत
शो हॉउसफुल था और लोग थिएटर में बैठकर फिल्म का आनंद उठा ही रहे थे कि इस दौरान कुछ ऐसा हुआ, जिसके बाद 13 जून 1997 की ये तारीख कभी नहीं भूला देने वाली तारीख बन गई। इस दिन फिल्म के शो के दौरान ही उपहार थिएटर में ऐसी भीषण आग लग, जिसमें 59 लोग मौत के मुंह में समा गए। वहीं 100 सेभी ज्यादा लोग इस अग्निकांड के दौरान घायल हुए।
24 सालों बाद आया फैसला
इस घटना को 24 साल बीत चुके है। इसके बाद एक बार फिर उपहार कांड सुर्खियों में आया है। वजह है 24 सालों के लंबे इंतेजार के बाद इस हादसे में मारे गए लोगों और उनके परिजनों को इंसाफ मिलना। दरअसल, आज यानी सोमवार को उपहार सिनेमा के मालिक सुशील अंसल और गोपाल अंसल की सजा का ऐलान कर दिया। सबूतों से छेड़छाड़ करने के मामले में अंसल बधुओं को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 7-7 साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही दोनों पर सवा दो-दो करोड़ रुपये का जुर्माना भी कोर्ट ने लगाया।
इसके अलावा मामले के तीन और आरोपी पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद्र शर्मा, पीपी बत्रा और अनूप सिंह को भी कोर्ट ने 7-7 साल की सजा सुनाई। साथ ही तीनों पर 3-3 लाख का जुर्माना लगाया।
लापरवाही की वजह से हुआ था हादसा
दरअसल, उस दिन उपहार थिएटर के ट्रांसफॉर्मर कक्ष में भीषण आग लगी और ये देखते ही देखते बेहद तेजी से दूसरे हिस्सों में भी फैलने लगी। तब सीढ़ियों में धुंआ फैलता गया और सिनेमा हॉल में आ गया। आग लगते ही वहां भगदड़ का माहौल हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक लोग बिल्डिंग के ग्रांउड फ्लोर से बाहर आने लगे। जो ऊपर की मंजिलों पर थे, वो खिड़कियों से बाहर कूद रहे थे। लेकिन इस दौरान कई लोग अंदर भी फंसे रह गए। यहां लगी भीषण आग की वजह से 59 लोगों की मौत इस हादसे के दौरान हो गई, जिसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थे। वहीं 103 लोग इस दौरान घायल हुए।
ये पूरा अग्निकांड लापरवाही की वजह से हुआ। दरअसल, बताया जाता है कि इसी दिन 13 जून की सुबह उपहार थिएटर में ग्राउंड फ्लोर पर ट्रांसफॉर्मर का इंस्टालेशन ठीक से नहीं होने के चलते धमाका हुआ था। सैक्योरिटी गार्ड ने इस धमाके की आवाज सुनी और वहां से धुआं निकलता हुआ देखा, तो इसके बारे में उन्होंने वहां के प्रशासन को बताया। उस दौरान फिल्म को रोका नहीं गया और लापरवाही दिखाते हुए इसके बारे में फायर ब्रिगेड को सूचना दे दी। कुछ देर बाद इसे ठीक कर दिया गया।
फिर जब दोपहर का शो चल रहा थो, तो ट्रांसफॉर्मर में एक बार फिर धमाका हुआ और इस दौरान आग ने कुछ ही देर में विकराल रूप ले लिया। थिएटर में एग्जिट डोर तो बना हुआ था, लेकिन वहां पर एक्सट्रा सीटें लगा दी गई। जिसके चलते हालात और बिगड़ गए थे। सिनेमाहॉल में भगदड़ और दम घुटने की वजह से सबसे ज्यादा मौतें बालकनी में बैठे लोगों की हुई।
इस उपहार कांड के दौरान कई लोगों ने अपनों को खोया। जिन लोगों की मौत इस उपहार त्रासदी के दौरान हुई, उनके परिजनों के दिल में इस कांड की यादें उनके जहन से आज तक नहीं निकली होगी। वो उस दिन को कभी नहीं भूल नहीं भूला पाएंगे।