कानपुर देहात जिले के बेहमई में 14 फरवरी 1981 को हुए नरसंहार में मारे गए नजीर खान के परिजनों ने अपना दर्द जाहिर किया। नजीर खान के परिजनों ने हाल ही में अल्पसंख्यक सोसायटी से मुलाकात कर इंसाफ ना मिलने की बात कही।
दरअसल, 1981 में नरसंहार में मारे गए नजीर खान को लेकर परिजनों ने अल्पसंख्यक सोसाइटी से बातचीत की। इस दौरान परिजनों ने बताया कि उन्हें घटना के 41 साल बाद भी अब तक इंसाफ नहीं मिला है।
फूलन देवी ने 20 लोगों की हत्या की थी
14 फरवरी 1981 को बेहमई गांव में फूलन देवी ने गिरोह के साथ मिलकर 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्या में तकरीबन क्षत्रिय समाज के 17 निर्दोष लोग मारे गए थे। इसके अलावा राजपुर कस्बे के रामऔतार कठेरिया, तुलसी राम कुशवाहा और नजीर खान भी गोलियों से छलनी किए गए थे।
पीड़ितों को आर्थिक मदद पहुंचाने की मांग
ऐसे में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री विनोद प्रताप सिंह के कहने पर लखनऊ से भारतीय अल्पसंख्यक सोसायटी के सदस्य सिकंदरा पहुंचे। सोसायटी के अध्यक्ष फरहान शेख ने मृतक नजीर खान के बेटे वजीर अहमद से मुलाकात की। इसके अलावा उन्होंने नरसंहार कांड के चश्मदीद गवाह शफी मोहम्मद से भी मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कई अहम बातों पर गौर किया। पीड़ितों ने बताया कि घटना के इतने सालों बाद भी सरकार की ओर से कोई भी सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है। अब तक कोर्ट से कोई फैसला भी नहीं मिल पाया है। इस वजह से परिवार के लोग बेहद दुखी है।
सोसायटी के अध्यक्ष फरहान शेख ने बताया कि अल्पसंख्यक सोसायटी में पीड़ितों को आर्थिक मदद पहुंचाने की मांग की जाएगी। इस दौरान क्षत्रिय महासभा के विनोद प्रताप सिंह, सुरुर खान, मोहम्मद लियाकत, मोहम्मद चांद, एडवोकेट वीरेंद्र कुमार भी मौजूद थे।
पीड़ितों को नहीं मिली कोई सुविधा
गौरतलब है कि फूलन देवी और उसके डाकू गिरोह को आत्म समर्पण करने पर कई सुविधाएं मुहैया करवाई गई थी। सरकार ने उनके परिवार को सरकारी नौकरी दी, जमीनें दी और इसके अलावा भी कई चीज़े उनके परिवार को सौंपी गई। हालांकि मारे गए बेगुनाह गरीबों में दलित समाज के रामअवतार कठेरिया, पिछड़ी जाति के तुलसीराम मौर्य और अल्पसंख्यक समाज से नजीर खान इनके अलावा बाकी ठाकुर समाज के परिवारों को घटना के 41 साल बाद भी सरकार की ओर से कुछ भी नहीं दिया गया है!
क्या है बेहमई कांड
कहा जाता है कि 14 फरवरी 1981 में की गई हत्या फूलन देवी के साथ हुए गैंग रेप का बदला लेने के लिए की गई थी। फूलन देवी और उसके गैंग के कई और डकैतों ने कानपुर देहात के बेहमई गांव में 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मारे गए लोगों में से 17 लोग ठाकुर समाज से थे। हालांकि फूलन देवी की ऑटो बायोग्राफी में लिखा है कि डकैत गिरोह का मुखिया विक्रम मल्लाह फूलन देवी से प्यार करता था। फूलन देवी की ऑटो बायोग्राफी में उनके विक्रम मल्लाह के साथ बिताई आखिरी रात के बारें में बताया गया है। उसमें लिखा है कि ”पहली बार मैं विक्रम के साथ पति-पत्नी की तरह सोई थी, गोली चलने की आवाज़ से नींद खुली। जिसके बाद श्रीराम ने विक्रम मल्लाह को गोलियों से भून डाला और उनको साथ ले गया। ऐसा माना जाता है कि मल्लाह और श्रीराम में विवाद हुआ था। इसके अलावा फूलन की ऑटो बायोग्राफी में कुसुम नाम की महिला का जिक्र किया है, जिसने श्रीराम की मदद की थी। ऑटो बायोग्राफी में आगे लिखा है कि ”उसने मेरे कपड़े फाड़ दिए और आदमियों के सामने नंगा छोड़ दिया। जिसके बाद श्रीराम और उसके साथियों ने फूलन को नग्न अवस्था में ही रस्सियों से बांधकर नदी के रास्ते बेहमई गांव ले गए।” इसके बाद “सबसे पहले श्रीराम ने मेरा रेप किया। फिर बारी-बारी से गांव के लोगों ने मेरे साथ रेप किया। वे मुझे बालों से पकड़कर खींच रहे थे।” इस घटना के बाद 14 फरवरी 1981 को बेहमई में फूलन ने अपना बदला लेने के लिए 20 लोगों की हत्या कर दी थी।
गांव वालों ने फूलन के रेप की घटना को मानने से नकारा
बता दें कि फूलन के रेप वाली घटना को गांव वालों ने मानने से नकार दिया है। गांव वालों का कहना है कि फूलन देवी सिर्फ लूटपाट के इरादे से गांव में दाखिल हुई थी। जिसका विरोध गांव वालों ने किया, तो गुस्से में आग बबूला होकर फूलन ने 20 लोगों को गोली से छलनी कर दिया। गांव वाले फूलन को डकैत और हत्यारी मानते है, जिसने 20 परिवारों को उजाड़ दिया। वहीं राजाराम सिंह का कहना है कि अगर फूलन को ठाकुरों से ही बदला लेना था, तो फूलन ने नजीर खान और रामअवतार जो कि दूसरे गांव के रहने वाले थे, उनकी हत्या क्यों की।