पेरियार के वो 15 विचार जिसके जरिये उन्होंने हिंदू धर्म और ब्राहम्णवादों का जमकर विरोध किया। उस दौरान पेरियार ने तर्कवाद, आत्म सम्मान और महिला अधिकार जैसे मुद्दों पर जोर दिया। लेकिन जाति प्रथा का घोर विरोध किया। यूनेस्कों ने पेरियार को ‘नए युग का पैगम्बर, समाज सुधारक, आन्दोलन का पिता, अज्ञानता, अंधविश्वास और बेकार के रीति-रिवाज़ों का कड़ा दुश्मन बताया है। आइये जानते है कौन से है इनके 15 विचार…
1. मैंने सब कुछ किया, मैंने सभी ब्राह्मण देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ डालीं। राम आदि की तस्वीरें भी जला दी। मेरे इन कामों के बाद भी मेरी सभाओं में मेरे भाषण सुनने के लिए अगर लोग इकट्ठा होते हैं, तो ये साफ है कि स्वाभिमान और बुद्धि का अनुभव होना जनता में जागृति का सन्देश है।
2. दुनिया के सभी धर्मो से मुझे सख्त नफरत है।
3. शास्त्र, पुराण और उनमें दर्ज देवी-देवताओं में मेरी कोई आस्था नहीं है, क्योंकि वो सारे के सारे दोषी हैं। मैं जनता से उन्हें जलाने और नष्ट करने की अपील करता हूं।
4. ‘द्रविड़ कड़गम आंदोलन’ का क्या मतलब है? इसका केवल एक ही निशाना है कि इस आर्य ब्राह्मणवादी और वर्ण व्यवस्था का अंत कर देना। जिसके कारण समाज ऊंच और नीच जातियों में बांटा गया है। द्रविड़ कड़गम आंदोलन उन सभी शास्त्रों, पुराणों और देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखता, जो वर्ण और जाति व्यवस्था को जैसे का तैसा बनाए रखे हैं।
5. ब्राह्मण हमें अंधविश्वास में बनाने के लिए तैयार करता है। वो खुद आरामदायक जीवन जी रहा है और तुम्हें अछूत कहकर निंदा करता है। मैं आपको सावधान करता हूं कि उनका विश्वास ना करें।
6. ब्राह्मणों ने हमें शास्त्रों और पुराणों की मदद से गुलाम बनाया है। अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए उन्होंने मंदिर, ईश्वर और देवी-देवताओं की रचना की।
7. सभी मनुष्य एक समान पैदा हुए हैं तो फिर अकेले ब्राह्मण ऊंचा और बाकी के लोग नीच कैसे हो सकते है?
8. आप अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई क्यों इन मंदिरों में लुटाते हो। क्या कभी ब्राह्मणों ने इन मंदिरों, तालाबों या किसी और परोपकारी संस्थाओं के लिए एक रुपया भी दान दिया है?
9. हमारे देश को आजादी तब मिलेगी, जब ग्रामीण लोग, देवता ,अधर्म, जाति और अंधविश्वास से छुटकारा पा जाएंगे। ये बात समझनी चाहिए।
10. आज विदेशी लोग दूसरे ग्रहों पर संदेश और अंतरिक्ष यान भेज रहे हैं। और हम ब्राह्मणों के जरिये श्राद्धों में परलोक में बसे अपने पूर्वजों को चावल और खीर भेज रहे हैं। क्या ये बुद्धिमानी है?
11. ईश्वर की सत्ता स्वीकारने में किसी बुद्धिमत्ता की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन नास्तिकता के लिए बड़े साहस और दृढ विश्वास की जरुरत पड़ती है। ये स्थिति उन्हीं के लिए मुमकिन है जिनके पास बुद्धि और तर्क करने की शक्ति हो।
12. ब्राह्मणों के पैरों पर क्यों गिरना? क्या ये मंदिर हैं? क्या ये त्यौहार हैं? नही, ये सब कुछ भी नही हैं। हमें बुद्धिमान व्यक्ति कि तरह व्यवहार करना चाहिए।
13. ब्राह्मण देवी-देवताओं को देखो, एक देवता तो हाथ में भाला/ त्रिशूल उठाकर खड़ा है। दूसरा धनुष बाण और बाकी के देवी- देवता कोई गुर्ज, खंजर और ढाल के साथ खड़ा हैं। यह सब क्यों है? एक देवता तो हमेशा अपनी ऊँगली के ऊपर चारों तरफ चक्कर चलाता रहता है, यह किसको मारने के लिए है?
14. उन देवताओ को नष्ट कर दो जो तुम्हें शुद्र कहे, उन पुराणों और इतिहास को ध्वस्त कर दो, जो देवता को शक्ति देते हैं। उस देवता की पूजा करो जो वास्तव में दयालु, भला और समझने वाला है|
15. हम आजकल के समय में रह रहे हैं। क्या ये मौजूदा समय इन देवी-देवताओं के लिए सही नहीं है? क्या वे अपने आप को आधुनिक हथियारों से लैस करने और धनुषवान के बदले मशीन या बंदूक धारण क्यों नहीं करते? रथ को छोड़कर क्या श्रीकृष्ण टैंक पर सवार नहीं हो सकते? मैं पूछता हूं कि जनता इस परमाणु युग के समय में इन देवी-देवताओं के ऊपर विश्वास करते हुए क्यों शर्मिंदगी महसूस नही करती?
ये सभी 15 विचार periyar E.V Ramasamy ने कहे थे, जो कि उनके नास्तिक होने का प्रमाण है। इसके साथ ही वे समाज में सुधार के लिए अज्ञानता, अंधविश्वास और बेकार के रीति-रिवाज़ों का विरोध करते रहे। जो कि समाज के प्रति अपने कर्तव्य को निभाने के लिए हर व्यक्ति को पालन करना चाहिए। तो पेरियार के इन 15 विचारों पर आपकी क्या राय है, कमेंट में जरुर बताएं।