Gurudwara Nazarbagh Ayodhya: अयोध्या, जिसे भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है, केवल हिंदू धर्म के लिए ही नहीं, बल्कि सिख धर्म के अनुयायियों के लिए भी विशेष महत्व रखती है। इस पवित्र नगरी में स्थित गुरुद्वारा नज़रबाग़ सिख धर्म के दो महान गुरुओं—गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी के आगमन का साक्षी रहा है। यह ऐतिहासिक स्थल सिखों की आस्था और संस्कृति का प्रतीक है, जिसे अयोध्या रियासत के राजा मान सिंह ने गुरु गोबिंद सिंह जी को भेंट किया था।
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गुरुद्वारा नज़रबाग़ का ऐतिहासिक महत्व (Gurudwara Nazarbagh Ayodhya)
गुरुद्वारा नज़रबाग़ का इतिहास 16वीं और 17वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। अपनी तीसरी उदासी (धार्मिक यात्रा 1501 ई.) के दौरान गुरु नानक देव जी अयोध्या पधारे। उन्होंने अपने शिष्य भाई मरदाना को भगवान राम के जन्म की कहानी सुनाई थी। इस यात्रा के दौरान उन्होंने धर्म, एकता और प्रेम का संदेश दिया।
वहीं, 1673 ई. में गुरु गोबिंद सिंह जी का आगमन हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह जी, जो उस समय केवल 7 वर्ष के थे, पटना साहिब से आनंदपुर साहिब जाते हुए अयोध्या आए। यहां के राजा मान सिंह ने उन्हें एक सुंदर बाग भेंट किया, जिसे बाद में “नज़रबाग़” के नाम से जाना गया।
गुरुद्वारा नज़रबाग़ न केवल इन दो गुरुओं की चरणरज से पवित्र है, बल्कि संत बाबा सुंदर सिंह जी और बाबा राम सिंह जी जैसे महापुरुषों द्वारा भी इसकी सेवा की गई है।
गुरुद्वारा की आधारशिला
इस गुरुद्वारे के ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक महत्व को देखते हुए 19 नवंबर 1997 को देश के प्रसिद्ध संतों एवं महापुरुषों द्वारा एक भाव गुरुद्वारा की आधारशिला रखी गई थी। इसकी कार सेवा ब्रह्मलीन 108 संत बाबा राम सिंह जी नानकसर सिंगदा, करनाल, हरियाणा के संरक्षण में शुरू हुई थी, जो जत्थेदार बाबा महेंद्र सिंह जी के प्रबंधन में 2008 से निरंतर आगे बढ़ाई जा रही है। वर्तमान में गुरुद्वारा साहिब में लंगर सेवा निरंतर चल रही है, तथा भवन का रखरखाव एवं समय-समय पर सेवा की जाती है। इस सेवा में हर कोई अपने श्रम, समर्पण एवं आर्थिक सहयोग से भाग ले सकता है।
अयोध्या में सिख विरासत और गुरुद्वारों का गायब होना
गुरुद्वारा नज़रबाग़ अयोध्या में मौजूद चार ऐतिहासिक सिख गुरुद्वारों में से एक है। पिछले 90 वर्षों में तीन गुरुद्वारे गायब हो चुके हैं, जिनका ऐतिहासिक महत्व रहा है। 1931 में धन्ना सिंह पटियालवी नामक एक सिख यात्री ने अयोध्या में सात गुरुद्वारों का उल्लेख किया था। समय के साथ तीन गुरुद्वारे लुप्त हो गए, जिनकी भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया गया। वर्तमान में, केवल गुरुद्वारा नज़रबाग़ और तीन अन्य गुरुद्वारे ही अस्तित्व में हैं।
कैसे पहुंचे गुरुद्वारा नज़रबाग़?
अयोध्या के इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे तक पहुंचने के लिए कई मार्ग उपलब्ध हैं:
- रेल मार्ग: अयोध्या रेलवे स्टेशन से गुरुद्वारा 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्टेशन से ऑटो, टैक्सी, या रिक्शा के माध्यम से मात्र 10-15 मिनट में पहुंचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग: अयोध्या बस स्टेशन और फैजाबाद बस स्टेशन से गुरुद्वारा तक पहुंचना आसान है। फैजाबाद से अयोध्या की दूरी लगभग 7-8 किलोमीटर है।
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा है, जो लगभग 140 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी या बस द्वारा अयोध्या पहुंच सकते हैं।
- स्थानीय परिवहन: अयोध्या शहर में घूमने के लिए रिक्शा, टैक्सी और ऑटो आसानी से उपलब्ध हैं।
गुरुद्वारा नज़रबाग़: आस्था और विरासत का प्रतीक
गुरुद्वारा नज़रबाग़ सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि सिख इतिहास और भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह स्थान गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं को संजोए हुए है, जो मानवता, प्रेम और शांति का संदेश देती हैं।
आज, जब कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे विलुप्त हो चुके हैं, गुरुद्वारा नज़रबाग़ का अस्तित्व यह दर्शाता है कि सिखों की आस्था और उनकी समृद्ध विरासत अयोध्या में अब भी जीवित है। यह गुरुद्वारा न केवल सिख समुदाय के लिए बल्कि सभी श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र बना हुआ है।