गुरुद्वारा नानक झिरा साहिब: दक्षिण भारत का ऐतिहासिक और पवित्र तीर्थ स्थल

Gurudwara Nanak Jhira Sahib, guru nanak
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Gurudwara Nanak Jhira Sahib: दक्षिण भारत में कर्नाटक राज्य के बीदर जिले में स्थित गुरुद्वारा नानक झिरा साहिब (Karnataka Historical Gurudwara Jhira Sahib) सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र स्थल है। यह गुरुद्वारा न केवल अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) द्वारा यहाँ किए गए एक चमत्कार से भी जुड़ा है, जिसने हजारों लोगों के जीवन को बदल दिया। खूबसूरत पहाड़ियों और शांत वातावरण से घिरा यह स्थान श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का आध्यात्मिक केंद्र है, जहाँ लोग आस्था और शांति की तलाश में आते हैं। कहा जाता है कि इस धार्मिक स्थल का महत्व सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की दूसरी उदासी (धार्मिक यात्रा) से जुड़ा है।

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इतिहास की झलक- Gurudwara Nanak Jhira Sahib

1514 के आसपास गुरु नानक देव जी अपनी दूसरी उदासी के दौरान नागपुर, खंडवा और नर्मदा नदी पर स्थित प्राचीन ओंकारेश्वर मंदिर गए। वहां से वे नांदेड़, हैदराबाद और गोलकुंडा होते हुए बीदर पहुंचे। इस यात्रा के दौरान उन्होंने कई मुस्लिम संतों से भी मुलाकात की। फिर जलालुद्दीन तथा याकूब अली से मिलने बीदर आए।

Guru Nanak dev, Gurudwara Nanak Jhira Sahib
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बीदर में खारे पानी की समस्या

गुरु साहिब भाई मरदाना के साथ बीदर के बाहरी इलाके में रुके जहाँ अब नानक झिरा गुरुद्वारा स्थित है, पास में मुस्लिम फ़कीरों की झोपड़ियाँ थीं जो गुरु देव से शिक्षा और उपदेश प्राप्त करने के लिए बहुत उत्सुक थे। जल्द ही यह खबर पूरे बीदर और उसके आस-पास के इलाकों में फैल गई और उत्तर से पवित्र संत और लोग बड़ी संख्या में गुरु देव के पास आने लगे।

बीदर पहुंचने पर स्थानीय निवासियों ने गुरु साहिब जी को अपनी पीड़ा सुनाई। उस समय इलाके में पानी की बहुत बड़ी समस्या थी। लोगों ने कुएं खोदे थे, लेकिन उनमें से दूषित और खारा पानी ही निकलता था। गुरु नानक देव जी ने इस समस्या के समाधान के लिए ईश्वर का ध्यान किया और एक पहाड़ी के कोने पर अपने पैर के अंगूठे से मलबा हटाया। चमत्कारिक रूप से वहां से ठंडे और मीठे पानी का एक झरना निकलने लगा। इस घटना के कारण इस स्थान का नाम “नानक झिरा” पड़ा।

गुरुद्वारा की विशेषताएं

इस घटना के बाद से यह स्थान नानक झिरा के नाम से जाना जाने लगा (Gurudwara Nanak Jhira Sahib)। उस धारा के किनारे एक सुंदर गुरुद्वारा बनाया गया। यहां का प्रमुख आकर्षण “अमृत कुंड” है, जहां से मीठे पानी का प्रवाह आज भी निरंतर जारी है। श्रद्धालु इस जल को अपने साथ घर ले जाते हैं और इसे औषधीय गुणों वाला मानते हैं।

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इसके अलावा, यहां 24 घंटे चलने वाला लंगर (सामुदायिक रसोई) गुरु साहिब जी की करुणा और सेवा भावना का प्रतीक है। इस गुरुद्वारे में एक संग्रहालय भी स्थित है, जो नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी को समर्पित है। यहां से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर गुरुद्वारा माई भाग्गो जी भी स्थित है, जो एक और ऐतिहासिक स्थल है।

आधुनिक योगदान

गुरुद्वारा नानक झिरा साहिब (Gurudwara Nanak Jhira Sahib) के पास ही ‘गुरु नानक देव इंजीनियरिंग कॉलेज’ भी स्थापित किया गया है। यह संस्थान तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं प्रदान करके देश को नए कौशल से जोड़ने और प्रगति की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

सभी के लिए खुले दरवाजे

गुरुद्वारा नानक झिरा साहिब हर धर्म और समुदाय के लोगों का स्वागत करता है। लोग अपनी आस्था और विश्वास के साथ यहां दर्शन करने आते हैं। यह स्थान न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का भी केंद्र है।

परिवहन सुविधाएँ

दक्षिण भारत में स्थित इस गुरुद्वारे तक पहुँचना बहुत आसान है। बेंगलुरु से ट्रेन और फ्लाइट की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा यह स्थान सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

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