Gurdwara in Moscow: रूस में सिख समुदाय की जड़ें 1950 के दशक से शुरू हुई सांस्कृतिक आदान-प्रदान की पहल में मिलती हैं। उस समय, सोवियत संघ ने सिख छात्रों और कम्युनिज्म समर्थकों को अध्ययन और काम के लिए आमंत्रित किया। अधिकांश सिख प्रवासी सोवियत संघ में रेडियो और प्रकाशन जैसे क्षेत्रों में कार्यरत थे, जहां उन्होंने भारतीय भाषाओं के मीडिया वितरण में योगदान दिया। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद सांस्कृतिक आदान-प्रदान में गिरावट आई, लेकिन 1990 के दशक के अंत में सिख प्रवासियों की संख्या फिर से बढ़ी।
सिख समुदाय की वर्तमान स्थिति- Gurdwara in Moscow
2020 तक रूस में सिखों की आबादी लगभग 300 से 1,000 के बीच आंकी गई है। इस संख्या का बड़ा हिस्सा अफगान शरणार्थियों का है, जो 2010 के दशक में रूस आए। मॉस्को में सिख समुदाय मुख्य रूप से व्यापार और धार्मिक गतिविधियों में संलग्न है। वे भारत से उत्पाद बेचने वाले व्यापारियों के रूप में काम करते हैं और धार्मिक रूप से गुरुद्वारा नानक दरबार के साथ जुड़े हुए हैं।
गुरुद्वारा नानक दरबार: मॉस्को में सिखों का धार्मिक केंद्र
मॉस्को में स्थित गुरुद्वारा नानक दरबार सिखों का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। गुरुद्वारा कानूनी तौर पर “सांस्कृतिक केंद्र” के रूप में पंजीकृत है, क्योंकि रूसी सरकार ने इसे आधिकारिक गुरुद्वारे का दर्जा नहीं दिया है। यह केंद्र 2005 में अफगान सिख समुदाय द्वारा वारशावस्को में खोला गया था।
गुरुद्वारे का महत्व
गुरुद्वारा नानक दरबार सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। मॉस्को के प्रमुख सिख नेता, गुरमीत सिंह, जो 25 साल पहले अफगानिस्तान के काबुल से रूस आए थे, ने इसे एकमात्र गुरुद्वारा बताया। गुरमीत सिंह ने कहा, “यहां सिख और हिंदू समुदाय शांति और सद्भाव के साथ रहते हैं। हमारा गुरुद्वारा हर धर्म के व्यक्ति के लिए खुला है।”
रविवार की प्रार्थना और गुरुपर्व जैसे आयोजनों में सिख समुदाय बड़ी संख्या में शामिल होता है। नियमित प्रार्थनाओं में औसतन 100 लोग भाग लेते हैं, जबकि त्योहारों के दौरान यह संख्या दोगुनी हो जाती है।
मॉस्को में सिखों की चुनौतियाँ
रूस में सिख समुदाय को कई प्रकार की सामाजिक और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
- गुरुद्वारा का आधिकारिक दर्जा: मॉस्को का गुरुद्वारा अब तक “सांस्कृतिक केंद्र” के रूप में पंजीकृत है। इसे कानूनी रूप से गुरुद्वारा मान्यता दिलाने की कोशिशें जारी हैं।
- संख्या में कमी: रूस में भारतीय छात्रों में सिख केवल 2% से भी कम हैं।
- अफगान शरणार्थियों का संघर्ष: अफगानिस्तान से आए सिखों ने अपनी जान बचाने के लिए रूस में शरण ली, लेकिन नई जमीन पर जीवन शुरू करना उनके लिए कठिन साबित हुआ।
सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक सद्भाव
रूस में सिख समुदाय अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। गुरुद्वारा नानक दरबार न केवल सिख धर्म के प्रचार का केंद्र है, बल्कि यह अंतरधार्मिक सहयोग और सद्भाव का प्रतीक भी है। गुरुद्वारा हर जरूरतमंद के लिए अपने दरवाजे खुले रखता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो।
भविष्य की संभावनाएं
रूस में सिख समुदाय की संख्या भले ही कम हो, लेकिन उनकी उपस्थिति ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। गुरुद्वारा नानक दरबार जैसे केंद्र सिखों को उनकी परंपराओं और मूल्यों के साथ जोड़े रखने में मदद कर रहे हैं। यदि गुरुद्वारे को आधिकारिक मान्यता मिलती है, तो यह सिख समुदाय को और सशक्त करेगा।
रूस में सिख समुदाय अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए संघर्षरत है। मॉस्को का गुरुद्वारा नानक दरबार उनकी एकता और समर्पण का प्रतीक है। यह न केवल सिख धर्म का केंद्र है, बल्कि सभी धर्मों के लिए एक सद्भावना स्थल भी है।