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Champa Vishwas Rape Case: बिहार में 90 का वो काला दशक! सत्ता, शासन और यौन शोषण के आरोप की धुंधली दास्तां

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90 का दशक बिहार के राजनीतिक इतिहास में सत्ता और अपराध के गठजोड़ के लिए जाना जाता है। उस समय राज्य की सत्ता पर लालू प्रसाद यादव का शासन (Lalu Yadav’s reign) था, जो समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों के मसीहा माने जाते थे। परंतु सत्ता की इस चकाचौंध में कुछ ऐसी घटनाएं घटीं, जिन पर न केवल सवाल उठे बल्कि सरकार और प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर संदेह किया गया। इनमें से एक घटना बिहार के एक प्रभावशाली विधायक के पुत्र से जुड़ी है, जिन पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगे थे। हम बात लार रहे हैं बिहार के चंपा विश्वास कांड (Champa Vishwas Rape Case) की।

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यौन शोषण का आरोप और सत्ता का समर्थन- Bihar IAS Wife Rape Case

इस मामले में एक दलित IAS अधिकारी की पत्नी, मां, उनकी भतीजी और घर की नौकरानियों ने आरोप लगाया कि विधायक के बेटे ने उनके साथ दो साल तक लगातार यौन शोषण किया। मामला तब और भी गंभीर हो गया जब सत्ता और प्रशासन ने न केवल पीड़ितों की मदद से मुंह मोड़ा, बल्कि आरोपी को बचाने का हरसंभव प्रयास किया। यहां तक ​​कि उस समय के राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी ने भी बिहार के गृह मंत्रालय से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने गहन जांच का हवाला देते हुए इसे आईएएस की पत्नी का मामला बताया। उन्होंने दावा किया कि हालांकि ये गंभीर आरोप हैं, लेकिन उस समय बिहार के डीजीपी नियाज अहमद ने स्वतंत्र रूप से इनकी जांच की थी। उन्होंने बताया कि हेमलता यादव के बेटे ने जांच करने के बाद कुछ नहीं किया। यह भी कहा जाता है कि राज्यपाल ने केंद्र को भी इस बारे में बताया था।

ये है पूरा मामला

दरअसल, 1982 बैच के दलित आईएएस अधिकारी बीबी विश्वास (Dalit IAS officer BB Biswas) ने 18 जुलाई 1990 को चंपा विश्वास से विवाह किया था। 2 नवंबर 1995 को वे पटना के बेली रोड में स्थानांतरित हो गए। समाज कल्याण विकास विभाग में डीडी विश्वास को सचिव पद की जिम्मेदारी दी गई। कद्दावर नेता और आरजेडी विधायक हेमलता यादव (RJD MLA Hemlata Yadav) को बिहार समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। साथ ही डीडी विश्वास और हेमलता यादव को एक-दूसरे से कुछ हद तक नजदीक घर दिए गए। 1995 में प्रसिद्ध कार्यकर्ता हेमलता यादव के 27 वर्षीय बेटे की चंपा विश्वास पर बुरी नजर पड़ी, जो उस समय डीयू हिंदू कॉलेज में छात्र था।

ऐसे शुरू हुई रेप की कहानी

आईएएस की पत्नी के साथ बलात्कार की कहानी 7 सितंबर 1995 को शुरू होती है, जब एक दिन हेमलता आईएएस की पत्नी चंपा को अपने घर बुलाती है। जब चंपा हेमलता के घर पहुंचती है, तो वह उसे एक कमरे में ले जाती है और पीछे से दरवाजा बंद कर देती है। हेमलता के बेटे मृत्युंजय (Mrityunjay Yadav) द्वारा कमरे के अंदर चंपा के साथ हिंसक बलात्कार किया जाता है।

मृत्युंजय न केवल चंपा का बलात्कार करता है, बल्कि उसकी भतीजी को भी अपनी हवस का शिकार बनाता है। वह आईएएस की दो नौकरानियों का भी अलग-अलग समय पर बलात्कार करता है। वह नौकरशाह के घर पर उनकी मां को भी छूता है। 1995 से 1997 तक चंपा विश्वास लगातार मृत्युंजय की हवस का शिकार होती रहती है। हेमलता का खौफ इतना है कि वह (चंपा) नाजायज बच्चे से बचने के लिए नसबंदी करवा लेती है।

हेमलता यादव vs कानून व्यवस्था

यह मामला तब लोगों के सामने आया जब 1997 में चंपा विश्वास ने पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पटना पुलिस ने उनकी शिकायत पर कुछ नहीं किया। उस समय सत्ता और दबाव का ऐसा माहौल था कि पीड़ित परिवार की आवाज को दबाने के लिए हर संभव कोशिश की गई। IAS अधिकारी की पत्नी और अन्य पीड़ितों ने कई बार न्याय के लिए गुहार लगाई, लेकिन प्रशासन का एक बड़ा हिस्सा सत्ता के प्रति वफादारी निभाने में व्यस्त था।

इस मामले ने सबसे ज़्यादा तूल तब पकड़ा जब बिहार के विपक्षी नेता और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चंपा विश्वास कांड का पर्दाफाश कर सबको चौंका दिया।

हेमलता और मृत्युंजय को हुई जेल

एक दिन चंपा विश्वास और उनके आईएएस पति बिहार के राज्यपाल के कार्यालय में पहुँचते हैं। 1997 में राज्यपाल के अनुरोध पर मृत्युंजय को हिरासत में लिया जाता है। इस मुद्दे ने मीडिया का भी ध्यान खींचा। दो महीने तक हेमलता पकड़ से बचती रही। दो महीने बाद हेमलता सरेंडर करती है। मृत्युंजय और हेमलता को पाँच साल की सजा के बाद तीन साल के लिए कैद किया गया। उसके बाद, दोनों को जमानत पर हिरासत से रिहा कर दिया गया। इस बीच, पटना स्थानीय न्यायालय का फैसला आता है। हेमलता को तीन साल की सजा मिलती है, जबकि मृत्युंजय को दस साल की सजा मिलती है। हेमलता को फिर से जेल जाने की ज़रूरत नहीं थी क्योंकि वह पहले तीन साल जेल में काट चुकी थी।

मृत्युंजय को मिली हाईकोर्ट से राहत

मृत्युंजय ने सज़ा के ख़िलाफ़ पटना हाई कोर्ट में अपील दायर की। निचली अदालत के फ़ैसले को पटना हाई कोर्ट ने पलट दिया। मृत्युंजय के वकील के मुताबिक, दोनों के बीच प्रेम संबंध थे। चंपा शादी करने के लिए दृढ़ थी। ऐसा न करने पर उसने परिवार को बदनाम करने की धमकी दी थी। साथ ही, यह भी कहा गया कि चंपा ने अपने नौकरशाह पति को भ्रष्टाचार के आरोपों से बचाने के लिए ये आरोप गढ़े। भर्ती घोटाले में सरकार ने डीडी विश्वास का नाम लिया। किसी ने चंपा का साथ नहीं दिया।

हालांकि, पीड़ितों को न्याय मिलना तो दूर, इस मामले में समय के साथ ध्यान कम हो गया और यह मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन 90 के दशक के इस अंधेरे दौर की ये घटनाएं आज भी समाज को याद दिलाती हैं कि किस तरह सत्ता और अपराध का गठजोड़ जनता के विश्वास को तोड़ने में सक्षम है।

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