31 अक्टूबर 1984 का दिन…दिल्ली सुलग उठी थी…दिल्ली के हर हिस्से में चीख पुकार मची हुई थी…दिल्ली में सिखों को पकड़ पकड़ कर मारा जा रहा था… सिख जान बचाकर भाग रहे थे…सिख बहन बेटियों के साथ रेप हो रहे थे और प्रशासन तत्कालीन कांग्रेसी सरकार के गोद में बैठा हुआ था…कांग्रेस समर्थकों की भीड़ ने पूरी दिल्ली को अपने आगोश में ले लिया था..हर ओर चीख पुकार मची हुई थी..इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेसियों ने दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के हर हिस्से में सिखों को अपना निशाना बनाया…उन्हें मारा, काटा और जिंदा जला दिया गया…ऑपरेशन ब्लू स्टार और सिख दंगा को करीब से देखने वाले जब भी इसका जिक्र करते हैं तो सबकी धड़कने तेज हो जाती है. पंजाबी सिंगर मलकीत सिंह ने भी ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर कई बातें बताई हैं, जिसे सुनकर आप भी कांप जाएंगे
और पढ़ें: जब 5 खालिस्तानियों ने अमरूद और संतरे के दम पर हाईजैक कर लिया था प्लेन, भिंडरावाले से है खास कनेक्शन
मलकीत सिंह का कौफनाक भारत दौरा
इंग्लैंड के बर्मिंघम के रहने वाले पंजाबी गायक मलकीत सिंह ने 1984 के सिख दंगे को काफी करीब से देखा था. लल्लनटॉप को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने कई बातें साझा की हैं. वो बताते हैं कि अगर भगवान की कृपा न होती तो वो भी आज इस दुनिया में नहीं होते. पंजाबी गायक मलकीत सिंह ने अपने इंटरव्यू में बताया कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान 1984 में वह भारत में थे। उनकी फ्लाइट 2 जून को थी। उन्हें बर्मिंघम वापस जाना था। जाने से पहले वह गुरुद्वारा श्री बंग्ला साहिब में मत्था टेकने गए लेकिन उनके बाहर निकलने से पहले ही बंगला साहिब में कर्फ्यू लगा दिया गया. वह गुरुद्वारे में ही फंस गए.
दरअसल, उस वक्त भिंडरावाले को लेकर पूरे पंजाब में अशांति का माहौल था और केंद्र सरकार जल्द ही पंजाब में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कुछ बड़ा करने के प्लानिंग में लगी थी. दूसरी ओर मलकीत सिंह बंग्ला साहिब गुरुद्वारे में ही फंसे हुए थे. पुलिस उन्हें निकलने नहीं दे रही थी. उन्होंने तीन दिन और तीन रातें बंग्ला साहिब में ही बिताई. इसी बीच, 5 जून 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पंजाब में स्थिति को संभालने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार लॉन्च किया. इस ऑपरेशन में जरनैल सिंह भिंडरावाले समेत कई खालिस्तानी मारे गए थे और स्वर्ण मंदिर के कई हिस्से बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे.
मलकीत सिंह भागने मे रहे कामयाब
इन सबके बीच पंजाब में भी कई जगहों पर कर्फ्यू लगा दिया गया था. मनकीत को समझ नहीं आ रहा था कि अब उन्हें क्या करना चाहिए क्योंकि उनकी फ्लाइट निकल चुकी थी और उनके पास रहने के लिए कोई जगह बची नहीं थी. वह न तो बंग्ला साहिब में ज्यादा दिनों तक रह सकते थे और पंजाब में कर्फ्यू के कारण वहां पहुंचना भी काफी मुश्किल था. लल्लनटॉप को दिए अपने इंटरव्यू में भांगड़ा किंग मलकीत कहते हैं कि किसी तरह वह अपने दोस्त के साथ बंगला साहिब से निकल गए और निकलते ही उन्होंने अपने रहने का इंतजाम करने के बारे में सोचा. लेकिन उस दौरान सिखों को कोई होटल भी नहीं दे रहा था. वह बताते हैं कि ऐसा लग रहा था कि मानो सिख होना गुनाह हो गया हो. स्थिति ऐसी बन गई थी. वह अपने दोस्त के साथ दर-दर भटक रहे थे. जब वह स्टेशन की ओर गए तो उन्हें एक मिलिट्री की गाड़ी दिखाई दी, जिसमें एक-दो सरदार थे, जो उन्हें अम्बाला ले गये. अम्बाला पहुंचने पर भी उन्हें कर्फ्यू का सामना करना पड़ा. लेकिन उनका कहना है कि यह भगवान की कृपा थी कि वह सुरक्षित अपने घर पहुंचने में कामयाब रहे. मलकीत का कहना है कि अब वह जब भी भारत आते हैं तो बांग्ला साहिब के दर्शन करने जरूर जाते हैं और अपने साथ हुई उस घटना को याद करते हैं और भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं.
बदले की आग मे जले सिख
आपको बता दें कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के 4 महीने बाद ही 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी. जिसके बाद पूरे देश में सिखों के खिलाफ कांग्रेसी सड़क पर उतर आए थे. सिखों को चुन चुन कर मारा जाने लगा था. पूरे देश में सिखों को मारा गया. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 3000 सिखों को मार दिया गया. वास्तव में यह आंकड़ा इससे बड़ा भी हो सकता है. उनके घर, दुकानें जला दी गईं, लूटपाट की गईं और उन्हें जिंदा जला दिया गया. हिंसा के दौरान सिखों को जिंदा रहने के लिए अपने बाल तक कटवाने पड़े थे.
और पढ़ें: कौन था ‘खालिस्तानी’ जनरल लाभ सिंह, जिसने पुलिस की नौकरी छोड़ चुनी थी आतंक की राह