आज यानि 12 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार हैं, इसके साथ ही प्रदोष व्रत भी है. इस सावन माह में कुल चार सोमवार पड़े हैं. जिनमें पहला और दूसरा सोमवार कई खास योगों के साथ आया, वहीं तीसरा सोमवार पर नागपंचमी का दुर्लभ संयोग बना. जबकि सावन का चौथा यानि आखिरी सोमवार विशेष संयोग के साथ समाप्त हो रहा है. इस दिन मंदिरों में भक्तों की काफी भीड़ भी देखने को मिल रही है.
क्या है सावन में सोमवार का महत्व
दरअसल, हिन्दू धर्म में सावन के महीने का काफी महत्व है, माना जाता है कि इस पूरे माह में भगवान शिव धरती पर रहते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. वहीं सोमवार का दिन विशेषतौर पर भगवान शिव का माना जाता है. पहले से चली आ रही परंपरा के अनुसार सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत किया जाता हैं, जिसे सोमेश्वर कहा जाता है. जिसके दो अर्थ होते हैं, एक चंद्रमा और दूसरा देव, यानि जिसे सोमदेवभी अपना देव मानते हैं जोकि शिव हैं.
ये है सोमवार के व्रत की विधी
इस दिन आपको नाहने-धोने के बाद साफ वस्त्र पहनने चाहिए, उसके बाद अपने घर के मंदिर या पूजा स्थान को पहले साफ कर लें और फिर शिव जी के सामने घी का दीया प्रज्वलित करें. इसके बाद 108 बार ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद आप अपने घर के पास वाले मंदिर में शिवलिंग पर जल व दूध चढ़ाएं. साथ ही बेल के पत्ते, धातुरा, भांग, फूलों की माला आदि भी शिव जी को अर्पित करें, हो सके तो सावन के सोमवार में रुद्राभिषेक कराएं. माना जाता है कि रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति के हर पापों का नाश होता है और उस पर भगवान शिव की विशेष कृपा भी बनती है. वहीं अगर आपने व्रत रखा है तो पूजा के समय शिव जी की व्रत कथा भी जरूर सुने. वहीं जो लोग व्रत के दौरान भुखे नहीं रह पाते हैं तो वो दिन में एक बार फल ग्रहण कर सकते हैं.
आपको बता दें कि हिन्दू धर्म में श्रावण मास कहलाए जाने वाले सावन माह को बेहद खास माना जाता है. इसकी शुरुआत हुई थी और 15 जुलाई यानि रक्षा बंधन के दिन सावन महीने का आखिरी दिन होगा.