पांच ककारो को सिखो की आन बान शान कहा जाता है जिनमें से एक है कृपाण। जो कि वीरता साहस आत्मरक्षा के लिए एक सच्चे सिख को रखना और धारणा करना जरुरी होता है। इन सभी बातो में एक सवाल अक्सर सामने आता है कि क्या सिख हवाई यात्रा के वक्त भी कृपाण को अपने साथ रख सकते है। वैसे तो हवाई जहाजों में नौकीली चीज़े, धारदार हथियार जैसे तमाम सामान ले जाना वर्जित है। लेकिन अब फ्लाइट की इस गाइडलाइंस में सिखों के लिए बदलाव किए गए है। क्या आप जानते है कि ये बड़े बदलाव क्या है। अगर नहीं तो आइए आपको बताते है…
Ministry of civil Aviation ने सिख कर्मचारियों और यात्रियों को कृपाण लेकर सिर्फ भारत में यात्रा करने की इजाजत दे दी है। हालांकि इसके लिए कुछ शर्ते भी रखी गई है। इन शर्तों में ये कहा गया है कि कृपाण का ब्लेड 15.24 सेंटीमीटर और 6 इंच से ज्यादा लंबा नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही कृपाण की कुल लंबाई 9 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे पहले नागरिक उड्डयन मंत्रालय यानि कि Ministry of civil Aviation ने सिखों के जहाजों में कृपाण रखने पर प्रतिबंध लगा रखा था।
अब बताते है कि आखिर क्यों जहाजो में कृपाण ले जाने पर बदलाव हुआ? आखिर क्यों कृपाण लेने जाने के लिए अनुमति दी गई और क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह?
दरअसल, हाल ही में मार्च के महीने में अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सिख कर्मचारी को कृपाण रखने से रोका गया। जिसके बाद इसके खिलाफ सिख समुदाय ने अपनी आवाज बुलंद की। इसी के तहत शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने हाल ही में सिख कर्मचारी के कृपाण न पहनने देने पर ऐतराज जताया था। उन्होंने कहा था कि ऐसा करना सिख धर्म के सख्त खिलाफ है।
धामी ने किया था विरोध
इसी के ताल्लुक में हरजिंदर सिंह धामी ने नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने लिखा था कि ” हमारे देश में सिखों की स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है। केंद्र को कभी नहीं भूलना चाहिए कि देश की आज़ादी के लिए कुर्बानी देने में सिख सबसे आगे रहे हैं और देश कि संस्कृति आज भी कायम है, तो सिखों की वजह से है। इसी के बाद कृपाण ना ले जाने की पाबंदी हटा दी गई।
कृपाण सिखों वीरता की निशानी
जाहिर है कि सिख धर्म में कृपाण का विशेष महत्व होता है। एक सिख को जिन पांच चीजों को धारण करना चाहिए उसमें से ये बेहद अहम माना जाता है। कृपाण को सिख वीरता और साहस की निशानी समझते है, जिसे अपने साथ हमेशा रखना उनके लिए शान की बात होती है। सिख कृपाण को या तो कमर में में बांधते है या फिर उसे अपने साथ पर्स या बैग में रखते है।
इस वजह से हुआ था विवाद
तो सिखों के पांच महत्वपूर्ण चीजों में से सबसे अहम कृपाण को, सिखों की मांग पूरी करने और अपने ही देश में उनके धार्मिक आजादी को बढ़ावा देने के लिए ये कदम उठाया गया… जो कि काबिल-ए-तारीफ है। ये फैसला सरकार के उस नोटिफिकेशन के बदलाव में लिया गया जिसमें एक नोटिस जारी किया गया था कि घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर किसी भी कर्मचारी को कृपाण ले जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। खैर अब घरेलू हवाई जहाजों में कृपाण रखने की अनुमति दे दी गई है।