क्या आपने किसी सिख को कभी भी तंबाकू का सेवन करते या फिर सिगरेट पीते देखा है? नहीं देखा होगा। दरअसल, सिख तंबाकू का सेवन कभी करते ही नहीं और इसके पीछे की वजह है सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी। अब आप कहेंगे वो कैसे? तो आज हम इस पर ही बात करेंगे…
सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों के पवित्र धर्म ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब जी को पूरा किया। उन्होंने ही 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी और जीवन जीने के पांच सिद्धांत सिखों को दिए जिनको ‘पंच ककार’ को तौर पर आज जाना जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह के संदेश के हिसाब से पांच चीजों को खालसा सिखों में अनिवार्य माना गया है जो कि केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा है। जाप साहिब, अकाल उस्तत, बिचित्र नाटक, चंडी चरित्र, शास्त्र नाम माला, खालसा महिमा, जफरनामा जैसी कई रचनाएं की गुरु गोबिंद सिंह जी ने और गुरु जी ने जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई कई उपदेश भी दिए। गोबिंद सिंह जी ने कुरहितों में 4 चीजों को शामिल किया है ताकि जीवन को अनुशासित बनाया जा सके इनमें एक चीज है तंबाकू।
गोबिंद सिंहजी ने बताया है कि तंबाकू का सेवन किसी भी तरह से मत करना। सवाल ये है कि गुरु गोबिंद सिंहजी ने आखिर तंबाकू सेवन से मना क्यों किया?
वैसे तो वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो तंबाकू को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कहा गया है जिसके बुरे परिणाम को जानते हुए ही गुरुजी ने ये संदेश दिया था। जिसके पीछे एक बड़ी इंटरेस्ट्रेस्टिंग स्टोरी है। हुआ ये कि एक बार अपने अनुयायियों के साथ गुरु गोबिंद सिंहजी कहीं जा रहे थे कि तभी रास्ते में उनको तंबाकू का पौधा दिखाई पड़ा और गुरु जी बस वहीं रुक गए और शिष्यों को भी रोका और उन्होंने तंबाकू के पौधे को उखाड़कर फेंक दिया। गुरुजी के ऐसे करने पर सभी शिष्य आश्चर्य में पड़ गए। किसी को कुछ समझ में ही नहीं आया।
इस बीच एक शिष्य ने गुरुजी से पूछ ही डाला कि उन्होंने ऐसा किया क्यों? शिष्य के प्रश्न को सुन गुरु जी ने कहा कि शराब तो पीने वाले की सिर्फ एक पीढ़ी को बर्बाद करती है, लेकिन तंबाकू उसकी कई पीढ़ियों का नाश करती है। तंबाकू को बुरी लत गुरु जी ने बताया और समझाया कि इससे किस किस तरह की बीमारियां हो सकती है। गुरु की शिक्षा पर गौर करते हुए ताबंकू के सेवन को सिख समुदाय के लोग गलत मानते हैं।