सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेगबहादुर जी ने आन्दपुर साहिब की स्थापना की थी, जिनकी हत्या मुग़ल सम्राट औरंगजेब द्वारा की गयी थी, जिसके बाद सिखों के गुरु गोबिद जी बने. सिखों के अंतिम गुरु गोबिद जी का जन्म 1666 में पौष माह के शुल्क पक्ष की सप्तमी तिथि को गुरु तेगबहादुर जी और माता गुजरी देवी के घर हुआ था. उस समय सिख गुरु सिख धर्म का प्रचार प्रसार काफी जोर शोर से कर रहे थे. गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की और सिख धर्म का प्रचार शुरु कर दिया था. गुरु जी ने सिख गुरु की विचारधारा, वचनों और वाणियो को इकठा कर श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी कि लिखा, जो अभी सिखों का गुरु मानी जाती है, जिससे सिख गुरुओं की उतराधिकारी के तौर पर मान्यता प्राप्त है. गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों को पांच कंकार भी दिए.
दोस्तों, आईये आज हम आपको बताएंगे कि सिखों के अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने औरंगजेब को ऐसा क्यों लिखा कि ‘हमारे बीच शांति संभव नहीं’.
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हमारे बीच शांति संभव नहीं – गुरुगोविंद सिंह जी
1699 में खालसा पंथ की शुरुवात के बाद से ही लगभग 1701 से 1704 तक के बीच में सिखों और पहाड़ी राजाओं के बीच मुतभेड चलती रही, जिसके बाद बिलासपुर के राजा भीम चंद और अजमेर चंद ने मुग़ल सम्राट से जाकर मुलाकात की और साथ मिलकर सिखों पर आक्रमण करने के लिए मदद मांगी थी.
मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने गुरु गोबिंद सिंह जी को पत्र लिखा कि “आपका और मेरा धर्म एक ईश्वर में यकीन करता है. हम दोनों के बीच ग़लतफ़हमी क्यों होनी चाहिए? आपके पास मेरी प्रभुसत्ता मानने के अलावा कोई चारा नहीं है जो मुझे अल्लाह ने दी है. अगर आपको कोई शिकायत है तो मेरे पास आइए. मैं आपके साथ एक धार्मिक व्यक्ति की तरह बर्ताव करूँगा. लेकिन मेरी सत्ता को चुनौती मत दें वर्ना मैं खुद हमले का नेतृत्व करूँगा”.
इस पत्र के जवाब में गुरु जी ने औरंगजेब को पत्र में लिखा कि “दुनिया में सिर्फ़ एक सर्वशक्तिमान ईश्वर है जिसके मैं और आप दोनों आश्रित हैं. लेकिन आप इसको नहीं मानते और उन लोगों के प्रति भेदभाव करते हैं, उन्हें नुक़सान पहुंचाने की कोशिश करते हैं जिनका धर्म आपसे अलग है. ईश्वर ने मुझे न्याय बहाल करने के लिए इस दुनिया में भेजा है. हमारे बीच शांति कैसे हो सकती है जब मेरे और आपके रास्ते अलग हैं”.
जिसके बाद मुग़ल सम्राट औरंगजेब सिखों के गुरु गोबिंद सिंह जी पर गुस्सा होकर पहाड़ी राजाओं के साथ मिलकर उन पर हमला करने का आदेश दे दिया था. जिसके बाद मुग़ल सेना और पहाड़ी सेना ने मिलकर आन्दपुर साहिब को चारो और से घेर लिया था.
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