दीवाली में क्या है दीयों का महत्व? जानिए कब, कहां और किस तरह जलाने चाहिए?

दीवाली में क्या है दीयों का महत्व? जानिए कब, कहां और किस तरह जलाने चाहिए?

दीवाली अगर किसी के बिना पूरी तरह से अधूरी है तो को है दिए। जी हां मिट्टी के दिए। दीवाली की शाम को अमावस्या के अंधेरे को दूर करने के लिए दिए जला कर रोशनी की जाती है। लेकिन क्या आप दिया जलाने के महत्व के बारे में जानते है। और साथ ही क्या आप ये जानते है कि आप किस तरह से दिया जलाएं, जिससे आपके घर पर आने वाली सारी विपदाएं दूर हो जाये। आज हम आपको दिए जलाने के तरीकों के बारे में बताने जा रहे है।

घी या सरसो तेल का दीपक – ज्यादातर दीवाली में पूरे घर में दिया जलाने के लिए सरसो तेल का और पूजा के लिए घी का इस्तेमाल किया जाता है। तेल या फिर घी के दिए जलाने से घर की सारी नकारात्मक शक्ति बाहर चली जाती है । घर के लोगों को प्रसिद्धि मिलती है।

लक्ष्मी पूजन के समय जो दिया जलाया जाता है उसे उत्तर दिशा में जलाए। इसके अलावा दीवाली की रात में जलने वाली अखंड ज्योति को पूजा स्थल के आग्नेय कोण में रखे, इससे आपके शत्रुओं का विनाश होता है। दीपक जलाने से रोगों का निवारण भी होता है।

कैसे जलाए दीपक?

पूजा के समय जो घी का दीपक आप जलाते है उसे सीधे जमीन पर कभी ना रखें। इसके लिए किसी भी अनाज जैसे कि चावल, गेंहू या फिर जौ की ढेरी बना कर उस पर दिया रखें। दीपक कहीं से भी टूटे हुए ना हो, ये अशुभता लाते हैं। इसके अलावा दिए को हमेशा लक्ष्मी गणेश की मूर्ति के सामने रखना चाहिए।

सबसे पहले मुख्य द्वार पर दिया जलाना चाहिए। इसके अलावा बेल पत्र के पेड़ के नीचे, तुलसी और शालिग्राम के पौधे के पास भी दिया जलाना चाहिए। अपने पास के मंदिर में जाकर एक दिया जरूर जलाना चाहिए। इन सब उपायों से माता लक्ष्मी की कृपा होती है। माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आपके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं।

दिए की लौ आपके आस पास मौजूद नकारात्मक ताकत का भी सर्वनाश होता है। और किसी भी तरह की बुरी नजर से आपके घर परिवार की रखा होती है।

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