गुरु नानक जी और उनके चमत्कार दुनियाभर में मशहूर है, जिसकी चर्चा लोगों के जरिये कही-सुनी जाती है। इसी बीच आज हम आपको एक ऐसा आश्चर्यजनक चमत्कार बताने जा रहे है, जो गुरु जी ने कर दिखाया। जी हां आज हम आपको बताएंगे की गुरु जी ने कैसे भेड़ की साखी को जिंदा कर दिया। उनका ये चमत्कार देख लोगों के मन में क्या सवाल उठे और उन्होंने गुरु जी को कैसे गुरु जी के रूप में स्वीकार किया।
एक बार की बात है… गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ एक ऐसे नगर गए, जहां खाने के नाम पर अनाज ही नहीं था। सदियों से वहां एक परंपरा थी कि वहां के लोग भेड़ मारकर सूरज की गर्मी से उसका मांस पकाते थे। इसी से वे अपना पेट भरकर गुजारा करते थे। इसके अलावा उनके नगर में आए मेहमानों को भी वे भोजन में भेड़ का मांस ही परोसते थे।
चरवाहें ने भोजन करने का आग्रह किया
ऐसे में जब गुरु जी उस नगर पहुंचे तो वे वहां ध्यान में लीन हो गए। तभी गुरु जी के पास एक भेड़ चराने वाला चरवाहा आया। उसने गुरु जी से भोजन करने का आग्रह किया। चरवाहे ने कहा कि गुरु जी मैं आपके लिए भोजन की व्यवस्था कर रहा हूं, इसलिए मैं भेड़ मारकर उसे पकाने के बाद आपके लिए लेकर आता हूं। अगर आपने भोजन नहीं किया तो, मालिक मुझपर बहुत गुस्सा हो जाएंगे। चरवाहें की बात सुनकर गुरुजी ने कहा जैसी तुम्हारी इच्छा हो वैसा ही करो।
गुरु जी ने किया चमत्कार
ये बात सुनकर चरवाहा खुश हुआ और उसने सूरज की गर्मी से मांस पकाकर गुरुजी को खाने के लिए दिया। गुरु जी ने कहा कि पके हुए मांस में से भेड़ की खाल और हड्डियों को इकट्ठा करों। जिसके बाद चरवाहे ने वैसा ही किया। फिर गुरु जी पके मांस से बोले, हे भेड़ घास चरने लगो। बोलते ही भेड़ जिंदा हो गया औऱ घास चरने लगा। ये देखकर चरवाहा हैरान रह गया औऱ उसने ये पूरी बात नगर के धनी आदमी को जा बताई। जिसके बाद ये बात राजा के कानों तक भी पहुंच गई और वहां का राजा भी गुरु जी से मिलने दौड़ा चला आया।
नगरवासी बनें गुरु जी के शिष्य
गुरुजी ने राजा से कहा कि राजा अगर तुम ईश्वर को सच्चे दिल से पुकारों तो वो तुम्हें और तुम्हारी प्रजा को सबकुछ देगा। फिर गुरुजी ने कहां कि कहीं से भी थोड़ा सा अनाज ले आओ। अनाज लाने के बाद उसकी खेती कर दी गई, जिससे वो अनाज खेतों में खूब फला-फूला। गुरु जी ने लोगों से कहा कि ईश्वर का नाम लेकर सब काम करा करों तो ऐसे ही तुम्हें किसी चीज की घटी नहीं होगी। फिर गुरुजी ने सबको उपदेश दिया। ऐसे में वहां के सभी लोग गुरुजी के शिष्य बन गए।