हिंदू धर्म का पवित्र त्योहार नवरात्रि की शुरुआत 13 अप्रैल मंगलवार से होने जा रही हैं। नवरात्र का हिंदू धर्म में काफी विशेष महत्व होता है। इस दौरान दुर्गा मां के नौ स्वरूप की पूजा उनके भक्त करते हैं। कई लोग व्रत रखकर भी माता को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। वहीं मूर्ति और कलश स्थापना भी इस दौरान की जाती हैं। लेकिन इन सबकों करने के साथ भक्तों को मां की पूजा करते हुए कुछ चीजों का पालन करना होता है, नहीं तो व्रत का फल नहीं मिलता। आइए आज हम ऐसी ही कुछ बातों के बारे में बता देते हैं, जिनका नवरात्र के दौरान ख्याल रखा जाना चाहिए…
गलती से भी ना करें ये काम
– नवरात्रि के दौरान जो लोग व्रत रखें उनको भूलकर भी लहसुन, प्याज और नॉन वेज का सेवन नहीं करना चाहिए।
– व्रत रखने वालों को शराब और तंबाकू का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
– इसके अलावा दाढ़ी-मूंछ, बालों और नाखूनों को इन नौ दिन नहीं कटाना चाहिए।
– साथ में अगर आपने अपने घर में कलश स्थापना की है, अखंड ज्योति जला रखीं हैं या फिर माता की चौकी का आयोजन किया, तो घर को बिल्कुल भी खाली छोड़कर ना जाएं।
– पूजा के दौरान भूलकर भी काले रंग के कपड़े ना पहनें।
– नवरात्रि के दौरान शारीरिक संबंध नहीं बनाए जाने चाहिए।
– इसके अलावा महिलाएं मासिक धर्म के दौरान पूजा ना करें।
– नवरात्रि में जो लोग व्रत रख रहे हैं, उनको अनाज का सेवन भी नहीं करना चाहिए। हालांकि व्रत खोलने के लिए कुट्टू-सिंघाड़े का आटा, आलू, सेंधा नमक, मेवा, मूंगफली समेत दूसरी चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
– विष्णु पुराण के अनुसार नवरात्रि व्रत के दौरान दिन के वक्त सोना भी नहीं चाहिए।
कलथ स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि
चैत्र नवरात्रे 13 अप्रैल से शुरू होंगे और इनका समापन 21 अप्रैल को होगा। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। जिसके बाद ही नौ दिनों तक मां की पूजा-अर्चना होती है। आइए हम आपको कलश स्थापना का भी शुभ मुहूर्त और इसकी विधि भी बता देते हैं…
ऐसा माना जाता है कि कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में किया जाना अच्छा होता है। इस बार के नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 13 अप्रैल मंगलवार को सुबह 05:58 बजे से 10:14 बजे तक का है।
वहीं बात अब इसकी विधि की कर लेते हैं। कलश स्थापना के लिए आप सबसे पहले सुबह जल्दी उठें और स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहने। फिर मंदिर की भी साफ सफाई और सफेद या फिर लाल कपड़ा बिछा दें। कपड़े पर थोड़ चावल रखें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बोएं। इस पात्र पर जल से भरा कलश स्थापित करें।
कलश पर स्वास्तिक बनाएं और कलावा भी बाधें। साथ में कलश में सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें। इसके अलावा एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा बांधे। इस नारियल को कलश के ऊपर रखकर देवी दुर्गा का आवाहन करें। दीप जलाकर कलश की पूजा करें।