हम सब जानते है कि सिखों का पवित्र धार्मिक स्थल गुरुद्वारा है. विश्व के सभी सिखों के लिए अकाल तख्त का आदेश सबसे पहले होता है, सारे सिख तख्त का आदेश मानने के लिए बाध्य होते है. सिखों के पांच तख्त, भारत के पांच मुख्य गुरुद्वारों में है. इन पांचों तख्तों का निर्माण सिखों के गुरुओ द्वारा करवाया गया है. ऐसे ही सिखों के गुरुओं ने देश भर में विभिन्न गुरुद्वारों का निर्माण करवाया है. इसके साथ ही सिखों के अनुयायियों ने भी सिखों की यादों को सुरक्षित रखने के लिए बहुत सारे गुरुद्वारों का निर्माण करवाया है. आज हम एक ऐसे ही गुरूद्वारे के बारे में बात करेंगे. जिनका सम्बंध सिखों के गुरु हरगोविंद सिंह जी और गुरु गोविंद जी से है. यह गुरुद्वारा श्री गुरुगढ़ साहिब है, जो पंजाब राज्य के माजरा, रोपड़ में स्थित है. कहा जाता है कि यह धरती सिखों के दो गुरुओं के पैरें से पवित्र है. लोगों का मानना है कि सिखों के दो गुरुओं के पैर इस जगह की धरती पर पड़े है. इस गुरूद्वारे का निर्माण सिखों के गुरुओं की यादों को बचाएं रखने के लिए किया गया था.
दोस्तों, आईये आज हम आपको बतायेंगे गुरुद्वारा श्री गुरुगढ़ साहिब का निर्माण कब और किसने करवाया था ? इसके पीछे की क्या कहानी है…
गुरुद्वारा श्री गुरुगढ़ साहिब का निर्माण
वर्तमान गुरुद्वारा श्री गुरुगढ़ साहिब का निर्माण 1975 में किया गया था. इस गुरुद्वारे का निर्माण भिंडरा के भाई करतार सिंह के कहने पर किया गया था. इस गुरूद्वारे में जहाँ गुरु ग्रन्थ साहिब जी स्थापित है. वह कमरा वर्गाकार है. इस गुरूद्वारे के एक एकड़ वाले हॉल में भक्तों के लिए लंगर और बैठने की जगह बनाई है. यह गुरुद्वारा पंजाब राज्य के माजरा, रोपड़ में स्थित है. जिसकी कहानी सिखों के गुरु, गुरु हरगोविंद साहिब जी और गुरु गोविंद सिंह जी से जुडी है.
सिखों के दो गुरुओं से जुडी है इस जगह की कहानी
हम आपको बता दे कि इस जगह कीई कहानी सिखों के दो गुरुओं से जुडी है. यह बात उस समय की है जब गुरु हरगोविंद साहिब जी कुरुक्षेत्र से वापिस आते समय माजरा से गुजर रहे थे. रोपड़ के पठानों ने आस पास के गुज्जरों को इकठ्ठा करके गुरु जी पर हमला कर दिया था. क्यों कि मुसलमान 1635 में हुई हर का बदला लेना चाहते थे. जिसके चलते उन्होंने गुरु जी पर हमला कर दिया था.
उस यात्रा के दौरान गुरु हरगोविंद साहिब जी अपने साथ कम सिखों को लेकर चल रहे थे. मुसलमानों ने गुरु हरगोविंद साहिब जी के साथ कम सिखों को देखकर, उनका पीछा किया. गुरु जी अपने शिष्यों के साथ माजरा में रुके थे. मुसलमानों ने उनके ऊपर उसी जगह हमला किया था. इस युद्ध में गुरु जी और अन्य सिखों ने अपनी तीरंदाजी का शानदार प्रदर्शन किया था. जिसके बाद करतारपुर से और सेना भी आ गयी थी. इस लड़ाई में मुसलमानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था.
कहा जाता है कि इसी जगह पर गुरु के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी भी आए थे. जब गुरु जी अपने 2 बड़े बेटों और 40 सिखों के साथ चमकौर साहिब जा रहे थे. इसीलिए कहा जाता है कि माजरा की धरती पर सिखों के दो महान गुरुओं के पैर पड़े है.