गुरुद्वारा पक्का साहिब पातशाही से जुड़ी गुरु गोबिंद सिंह जी की ये कहानी नहीं जानते होंगे आप

Story of Guru Gobind Singh Ji related to Gurudwara Pakka Sahib Patshahi, Gurudwara Pakka Sahib Patshahi
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Gurudwara Pakka Sahib Patshahi details – सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना पूरा जीवन लोगों को सही रास्ते पर चलने का उपदेश देने में बिताया। वे जहां भी गए, केवल धर्म और अच्छा जीवन जीने के तरीके का प्रचार किया। उनसे जुड़ा एक ऐसा ही किस्सा गुरुद्वारा पक्का साहिब पातशाही से जुड़ा है। गुरुद्वारा पक्का साहिब पातशाही दसवीं मधेके गांव मोगा में है। यह गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह की यात्रा की याद दिलाता है। यह वही स्थान है जहां गुरु गोबिंद सिंह जी कुछ समय के लिए रुके थे।

यह उस समय की बात है जब गुरु गोबिंद सिंह जी ने 21 दिसंबर 1704 को चमकौर की लड़ाई के दौरान आनंदपुर साहिब छोड़ दिया था। उस दौरान वह तख्तपुरा होते हुए मोगा गांव पहुंचे और उन्होंने इसी स्थान पर विश्राम किया था। जब वह यहां पहुंचे तो उनकी उंगली पर कट लगा हुआ था, जिसे पंजाबी में पक्का कहा जाता है। उन्होंने उस उंगली पर पट्टी बांध रखी थी और घाव के कारण पट्टी उंगली से चिपक गई थी। जिसके बाद उन्होंने वैद्य को बुलाने के लिए कहा लेकिन उनके भक्तों ने उन्हें बताया कि यहां कोई वैद्य नहीं रहता है।

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मुस्लिम ने की हाथ पर पट्टी

वैद्य की अनुपस्थिति की खबर से गुरु गोबिंद सिंह बहुत निराश हुए। जिसके बाद उनसे मिलने आए एक भक्त ने कहा, गुरु जी, अगर आप आज्ञा दें तो क्या मैं पट्टी हटा सकता हूं? इस व्यक्ति का नाम उमरदीन था और वह एक मुसलमान था जो प्रतिदिन अपनी गाय चराने के लिए गुर जी के विश्राम स्थल के पास वाले खेत में आता था। जब उमरदीन को गुरु जी के आगमन का पता चला तो वह भी उनके दर्शन करने चला गया। जब उसने गुरु जी से अपनी पट्टी खोलने का अनुरोध किया तो उसने गुरु जी को यह भी बताया कि वह एक मुस्लिम है, जिसके बाद गुरु जी ने उससे कहा कि मेरी किसी भी धर्म से कोई दुश्मनी नहीं है। हम सिर्फ जुल्म के खिलाफ हैं। तुम पट्टी खोलो। जिसके बाद उमरदीन ने मुंह से फूंक मारकर पट्टी खोली।

Gurudwara Pakka Sahib Patshahi – उस व्यक्ति की मदद पाकर गुरु गोबिंद सिंह जी बहुत खुश हुए, जिसके बाद गुरु जी ने उमरदीन से कहा कि तुम ‘वटे दी साक’ और हुक्का से दूर रहो और फिर देखो तुम्हारा परिवार कितनी प्रगति करता है। जिसके बाद उमरदीन ने गुरु जी की बात मानकर अपने बुरे काम छोड़ दिए और जल्द ही उमरदीन का परिवार समृद्धि की ओर बढ़ने लगा।

वहीं, गुरु गोबिन्द सिंह जी ने मुस्लिम द्वारा यहां पट्टी बंधवाई थी। इसलिए यहां स्थापित स्मारक को गुरुद्वारा पक्का साहिब कहा जाता है। यहां का मुख्य उत्सव गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश दिवस है। हर साल गुरु अर्जन देव जी का शहीदी दिवस भी आयोजित किया जाता है।

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