सरदार पर जोक बनाना बड़ा आसान लगता है। सरदारों का मजाक उड़ाने से पहले लोग जरा भी नहीं सोचते। लेकिन फिर भी सिर पर सरदार हमेशा खुशी में ही रहते हैं। पगड़ी और हाथ में कृपाण लिए इन सरदार पर कई लोग ’12 बज गए’ वाला जोक मारते हैं पर क्या आपको या पता है कि 12 बजे वाली कहानी का आखिर ऑरिजिन क्या है? इसके पीछे की सच्चाई क्या है? अगर आपको इस बारे में पता नहीं तो कोई बात नहीं हम आपको इस बारे में डीटेल में बताएंगे। इस बारे में जानकर आपकी नजरों में सरदारों के लिए इज्जत बढ़ जाएगी। सरदारों पर बने इस 12 बज गए जुमले के पीछे की हकीकत क्या है चलिए जानते हैं…
बात 17 सेंचुरी की है जब देश पर मुग़ल शासक नादिर शाह ने अटैक किया और दिल्ली को तबाह करके रख दिया। लूट मचाई जिससे पूरा का पूरा खौफनाक मंजर ही बन गया। उसकी सेना ने नरसंहार किए और शाह की सेना ने कई कई महिलाओं को बंदी तक बना लिया। कहते हैं कि शाह की सेना ने करीब करीब 2 हजार महिलाओं को बंदी बनाया और ऐसी हालत में सिखों ने फैसला किया कि वो इन बंदी महिलाओं को छुड़वाएंगे पर दुश्मन सेना बहुत बड़ी और ताकतवर थी। सिर्फ हौंसले के दम पर ही उसकी बड़ी सी सेना को हराया जा सकता था।
ऐसे में बहादुर सिखों ने गुरिल्ला युद्ध रणनीति अपनाया और शाह की सेना पर आधी रात 12 बजे अटैक कर दिया जिससे शाह की सेना बुरी तरह चौंक गई। फिर बाद में इन सिखों ने महिलाओं को आजाद कराकर उनके सेफ्टी के साथ घर भी पहुंचाया। इस लड़ाई में कई सिख तो शहीद हुए ही कई तो बुरी तरह जख्मी हुए। हालांकि सबसे अच्छी बात ये रही है कि महिलाएं आजाद हो गई पर इस बात को इतिहास के पन्नों में अजीब तरह से जगह दी गई।
इस घटना को इतिहास में इतनी जगह ही नहीं दी गई कि लोग इसके बारे में डीटेल में जान पाए। सिखों ने नारी सम्मान के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दिया। जाति, धर्म, मजहब को दरकिनार कर इंसानियत और वीरता दिखाई पर उन सरदारों को इज्जत की जगह मिला तो ’12 बज गए’ वाला जोक।