माघ मास में आने वाली सकट चौथ का विशेष महत्व होता है। हिन्दू धर्म में सकट चौथ पर गणपति जी की पूजा करने का विधान है। सकट चौथ के दिन खास तौर पर संतान के लिए व्रत रखा जाता है। महिलाएं अपने संतान की दीर्घायु और सुखद भविष्य की कामना के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। हर साल कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ माघ महीने में मनाया जाता है।
वहीं इस साल सकट चौथ 31 जनवरी यानी रविवार को मनाया जाएगा। हम आपको सकट चौथ का शुभ मुहूर्त, इसकी मान्यता और इसकी कथा के बारे में बता देते हैं…
सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ और वक्रकुंडी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विशेष तौर पर भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यूं तो हर महीने संकष्टी चतुर्थी का व्रत होता है लेकिन माघ महीने में पड़ने वाले संकष्टी चतुर्थी की महिमा काफी अधिक है।
सकट चौथ का शुभ मुहूर्त
सकट चौथ पर रात के करीब 08 बजकर 40 मिनट पर चंद्रदोय का समय है। 31 जनवरी की रात 08 बजकर 24 मिनट से चतुर्थी तिथि की शुरुआत हो जाएगी और 01 फरवरी को शाम 06 बजकर 24 मिनट पर चतुर्थी तिथि का समापन होगा।
सकट चौथ के दिन माताएं निर्जला व्रत रखती हैं और गणेश जी की पूजा कर कथा सुनती है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत संपन्न होता है। साथ में इस तिल की चीजों का खास महत्व होता है।
सकट चौथ की कथा
वैसे तो सकट चौथ को लेकर कई पौराणिक कथाएं है, लेकिन हम आपको एक प्रचलित कथा के बारे में बताने जा रहे है। कथा के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश जी अपने जीवन के बहुत बड़े संकट से निकलकर आए थे, जिसके चलते इसे सकट चौथ कहा जाता है। एक बार की बात जब मां पार्वती स्नान करने के लिए गईं, तो उन्होंने दरबारी तौर पर गणेश जी को खड़ा कर कहा कि वो किसी को भी अंदर ना आने दे। इसी दौरान जब शिव जी आए तो गणपति जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। ऐसे में शिव जी को क्रोध आया और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। अपने पुत्र का ऐसा हाल देखकर मां पार्वती विलाप करने लगीं और पुत्र को जीवित करने की हठ करने लगीं।
इस दौरान जब मां पार्वती ने भगवान शिव से काफी अनुरोध किया, तो उन्होंने गणेश जी के सिर के स्थान पर हाथी का सिर लगाकर दूसरा जीवन दिया, जिसके बाद से गणेश जी को गजानन कहा जाने लगा। इसके साथ ही गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का गौरव भी प्राप्त हुआ। सकट चौथ के मौके पर ही गणेश जी को 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद हासिल हुआ। इसके बाद से इस तिथि को गणेश पूजन की तिथि के तौर मनाया जाने लगा। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को गणेश जी खाली हाथ नहीं जाने देते।