वृंदावन के श्रीहित प्रेमानंद महाराज जी को कौन नहीं जानता? देश-दुनिया में प्रसिद्ध प्रेमानंद महाराज वृंदावन में रहकर सिर्फ कृष्ण नाम का जाप करते हैं और भक्ति का उपदेश देते हैं। वर्तमान में महाराज जी वृन्दावन में रहते हैं और अपने पास आने वाले भक्तों को जीवन में सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं। हाल ही में पुणे से आए एक संत महात्मा जी ने महाराज जी से अपनी दुविधा का समाधान पूछा, जिसके जवाब में महाराज जी ने एक बहुत ही सुंदर बात कही जिसे हम सभी को सुनना चाहिए।
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पुणे वाले संत ने क्या कहा
हाल ही में पुणे के एक संत महात्मा प्रेमानंद महाराज के दरबार में आए और उन्हें अपने सारे दुख और परेशानियां बताईं। पुणे के संत महाराज कहते हैं कि तीन महीने पहले वे राधा कृष्ण प्राण प्रतिष्ठा के लिए महाराज से आशीर्वाद लेने आए थे, उस दिन के बाद से ही उन्होंने न जाने क्या गलती की कि उनका जीवन दुखमय हो गया और प्राण प्रतिष्ठा का झंडा भी आंधी में नीचे गिरने लगा। और वे 20 वर्षों से प्रयास कर रहे हैं कि उनके मुंह, कान या आंख से कोई पाप न हो, लेकिन 5 साल में एक बार उनसे कोई ऐसी गलती हो जाती है कि वे बहुत दुखी हो जाते हैं और कमरे के अंदर बैठकर अपनी गलती के लिए रोते हैं। तो इसके लिए वे अक्सर महाराज जी के पास प्रश्न पूछने आते हैं, लेकिन महाराज का तेज देखकर वे अपना प्रश्न नहीं पूछ पाते।
संत से ऐसा प्रश्न सुनकर महाराज जी कहते हैं कि इसमें दुखी होने की कोई बात नहीं ध्वज झुक जाए या गिर जाए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, कोई भी प्राकृतिक ध्वज गिर जाए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन हमारे अंदर जो धर्म का ध्वज है वह कभी नीचे नहीं गिर सकता। महाराज जी कहते हैं कि उत्तम भगवद् ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देता।
इसके बाद पुणे के संत कहते हैं कि उन्हें भी बहुत गुस्सा आता है। इस बारे में महाराज जी कहते हैं कि उन्हें भी बहुत गुस्सा आता है लेकिन गुस्सा तभ ठीक नहीं है जब उसके साथ अहंकार हो, धर्म युक्त गुस्सा ठीक है। महाराज जी कहते हैं कि अगर कोई हमें गाली देगा तो हम बर्दाश्त कर लेंगे और कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन अगर कोई हमारे धर्म के खिलाफ कुछ कहेगा तो वो उसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। महाराज जी के मुताबिक जितना हो सके अपने गुस्से पर काबू रखें लेकिन जब बात धर्म की हो तो चुप रहना पाप है।
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