मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती हैं। मकर संक्रांति पर स्नान, दान और सूर्य देव की अराधना का खास महत्व होता है। साथ ही इस दिन खिचड़ी बनने और पंतगबाजी की परंपरा भी चली आ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन खिचड़ी बनाने के पीछे की वजह क्या है? आइए इसके बारे में आपको बताते हैं…
मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की परंपरा सालों से चली आ रही हैं। बताया जाता है कि खिलजी के आक्रमण के दौरान नाथ योगियों को खाने की समस्या का काफी सामना करना पड़ता था। उनको भोजन बनाने का समय नहीं मिलता था। इसके चलते योगी भूखे रह जाते थे और वो कमजोर होने लगे। इस दौरान बाबा गोरखनाथ ने एक ऐसी सलाह दी जो काफी काम आई। बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जियों को एक साथ पकाने को कहा। ये खाने में काफी पौष्टिक और काफी स्वादिष्ट भी थीं। शरीर में इससे तुरंत ऊर्जा मिल रही थीं। बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा। इसी वजह से सालों से खिचड़ी खाने की परंपरा मकर संक्रांति के दिन चली आ रही हैं।
मकर संक्रांति पर जगह-जगह खिचड़ी का भोग चढ़ाया जाता है। गोरखपुर स्थिति बाबा गोरखनाथ मंदिर के पास मकर संक्रांति पर खिचड़ी मेला लगना शुरू होता है, जो कई दिनों तक चलता है। मेले में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और इसको प्रसाद के तौर पर बांटा भी जाता है।
इसके अलावा इस दिन दान भी किया जाता है। मकर संक्रांति पर दिन तिल, खिचड़ी, उड़द दाल, चावल, गुड़, मूली और द्रव्य का दान करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन सूर्य को आराध्य मानकर पितरों को भी तिल का दान करना पुण्यदायी होता है।