Pujari Satyendra Das passed away: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने बुधवार सुबह लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि 3 फरवरी को ब्रेन हेमरेज होने के बाद उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह लंबे समय से मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से भी पीड़ित थे।
अयोध्या में शोक की लहर, अंतिम संस्कार कल- Pujari Satyendra Das passed away
आचार्य सत्येंद्र दास के निधन की खबर सुनते ही अयोध्या के संत समाज और मंदिरों में शोक की लहर दौड़ गई। उनके शिष्य प्रदीप दास ने बताया कि लंबी बीमारी के बाद उन्होंने सुबह करीब 8 बजे अंतिम सांस ली। उनका पार्थिव शरीर PGI से अयोध्या लाया जा रहा है, जहां 13 फरवरी को उनका अंतिम संस्कार सरयू नदी के किनारे किया जाएगा।
परम रामभक्त, श्री राम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य श्री सत्येन्द्र कुमार दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। विनम्र श्रद्धांजलि!
प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे…
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) February 12, 2025
33 साल तक रामलला की सेवा की
आचार्य सत्येंद्र दास ने करीब 33 साल तक राम जन्मभूमि मंदिर में पुजारी के रूप में सेवा की। फरवरी 1992 में जब विवादित ढांचे को लेकर प्रशासन ने नियंत्रण लिया, तब रामलला के पुराने पुजारी महंत लालदास को हटाने की चर्चाएं हुईं। इसके बाद 1 मार्च 1992 को बीजेपी सांसद विनय कटियार और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेता अशोक सिंघल की सहमति से सत्येंद्र दास को मुख्य पुजारी नियुक्त किया गया था।
योगी आदित्यनाथ ने दी श्रद्धांजलि
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा,
“परम रामभक्त, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है।”
संस्कृत में उच्च शिक्षा प्राप्त थी
आचार्य सत्येंद्र दास का जन्म 20 मई 1945 को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में हुआ था। उन्होंने 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री प्राप्त की और 1976 में अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त हुए। वहां 2007 तक सेवा देने के बाद वे पूर्ण रूप से रामलला की सेवा में लग गए।
राम मंदिर आंदोलन में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका
6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस के दौरान, सत्येंद्र दास ने रामलला की मूर्तियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने खुद बताया था कि जब ढांचा गिरने लगा, तब उन्होंने रामलला, भरत और शत्रुघ्न भगवान की मूर्तियों को गोद में लेकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
वेतन में हुआ था बदलाव
1992 में जब सत्येंद्र दास को मुख्य पुजारी नियुक्त किया गया, तब उन्हें मासिक वेतन केवल 100 रुपये मिलता था। 2018 तक उनका वेतन 12,000 रुपये प्रति माह था, जिसे 2019 में 13,000 रुपये प्रति माह किया गया।
धार्मिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति
आचार्य सत्येंद्र दास की सादगी और धार्मिक ज्ञान के कारण वह अयोध्या के संत समाज में विशेष रूप से सम्मानित थे। उनके निधन से धार्मिक जगत को एक अपूरणीय क्षति हुई है। उनका अंतिम संस्कार कल (13 फरवरी) अयोध्या के सरयू घाट पर संपन्न होगा।
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