Maha Kumbh 2025 Prayagraj: महाकुंभ 2025 के लिए प्रयागराज पूरी तरह से तैयार है। इस आयोजन को लेकर देश-विदेश से श्रद्धालु आने लगे हैं। पौष पूर्णिमा के साथ कुंभ स्नान की दिव्य परंपरा शुरू होगी। अनुमान है कि इस बार 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु कुंभ में शामिल होंगे। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि इसके पीछे छिपी पौराणिक कथाएं इसे और भी खास बनाती हैं।
महाकुंभ और अमृत की कथा- Maha Kumbh 2025 Prayagraj
पुराणों के अनुसार, महाकुंभ का आयोजन समुद्र मंथन से निकले अमृत की खोज का परिणाम है। यह कथा देवताओं और दानवों के बीच हुए संघर्ष और अमृत के वितरण की कहानी बताती है। हालांकि, कुंभ से जुड़ी एक और रोचक कथा ऋषि कश्यप, उनकी पत्नियों और नागों से भी जुड़ी है।
ऋषि कश्यप की कथा और नागों का योगदान
महाभारत के आस्तीक पर्व में उल्लेखित यह कथा ऋषि कश्यप और उनकी पत्नियों कद्रू तथा विनता से शुरू होती है। कद्रू ने हजार सर्पों की माता बनने का वरदान मांगा, जबकि विनता ने केवल दो शक्तिशाली संतानों का वरदान मांगा। कद्रू की संताने नाग कहलाए, जबकि विनता के पुत्र अरुण और गरुड़ बने।
विनता ने अपने जल्दबाजी में एक अंडा फोड़ दिया, जिससे अरुण अधूरा विकसित होकर पैदा हुए। अरुण सूर्यदेव के सारथी बन गए। गरुड़, जो पूरी तरह विकसित और शक्तिशाली थे, अपनी मां की दासता से मुक्ति के लिए नागों से अमृत लाने का वादा करते हैं।
गरुड़ का अमृत लाना और इंद्र से मित्रता
गरुड़ ने देवताओं की सुरक्षा के बीच से अमृत कलश प्राप्त किया। इंद्र ने गरुड़ की वीरता को देखकर उनसे मित्रता कर ली। गरुड़ ने अमृत नागों को सौंपने का वादा किया, लेकिन इंद्र ने उचित समय पर अमृत कलश वापस ले लिया। नागों ने कुश आसन को चाटना शुरू किया, जिससे उनकी जीभ दो हिस्सों में फट गई।
गरुड़ को भगवान विष्णु का वरदान
गरुड़ की मातृभक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें अपना वाहन बना लिया। जिस स्थान पर गरुड़ ने अमृत कलश रखा था, वह स्थल प्रयागराज ही था। यही कारण है कि प्रयागराज को कुंभ के आयोजन का मुख्य केंद्र माना जाता है।
प्रयागराज का धार्मिक महत्व
प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है। यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है। अमृत कलश की पौराणिक कथा ने इस स्थान के महत्व को और भी बढ़ा दिया है। यही वजह है कि हर 12 साल में यहां महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
महाकुंभ 2025: इतिहास और परंपरा का संगम
महाकुंभ 2025 सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, यह आस्था, परंपरा और पौराणिक इतिहास का संगम है। करोड़ों श्रद्धालु यहां स्नान कर अपनी आत्मा को शुद्ध करने और दिव्यता का अनुभव करने पहुंचते हैं। कुंभ का यह आयोजन न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई और समृद्धि को भी दर्शाता है।
इस बार का महाकुंभ दुनिया के लिए भारतीय धार्मिक परंपराओं और पौराणिक कथाओं को जानने का एक बड़ा अवसर होगा।