हिन्दू धर्म में तीज त्यौहार का काफी महत्व होता है. ये शिव जी और पर्वती के अटूट प्रेम को दर्शाता है. हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर पड़ने वाले हरियाली तीज को देशभर में मनाया जा रहा है. सावन में हर तरफ हरियाली छाई होती है इसी बीच तीज पड़ता है, जिसे हरियाली तीज कहा जाता है. वहीं जो सुहागन महिलाएं पहली बार इस त्यौहार पर व्रत रख रही हैं, उन्हें कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए, तो आइए आपको बताते हैं हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है और ये सुहागिन महिलाओं के लिए क्यों खास होता है, साथ ही किन पांच बातों का ध्यान रखना चाहिए…
क्यों मनाया जाता है हरियाली तीज ?
कहा जाता है कि सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मां पार्वती ने शिव जी को कठिन तपस्या के बाद पाया था. जिनके तप से खुश होने के बाद शिव जी ने उन्हें पत्नी के तौर पर स्वीकार किया था. इसलिए इस पर्व को मां पार्वती को समर्पित है. मान्यता है कि अगर किसी लड़की की शादी नहीं हो पा रही है और किसी न किसी तरह से विवाह में अड़चन आ रही है, तो उसे इस दिन मां पार्वती की पूजा-अर्चना और व्रत करना चाहिए. वहीं, सुहागिन महिलाओं को शिव जी और मां पार्वती दोनों की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
सुहागिनों के लिए है खास त्यौहार
हरियाली तीज सुहागिनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है. अगर आपकी इसी साल शादी हुई है और ये आपका पहला हरियाली तीज पड़ रहा है, तो इस व्रत जरूर रखें. इसके अलावा नवविवाहित महिलाएं इस त्यौहार को अपने मायके में ही मनाती हैं. इस दिन विवाहित महिलाओं को नई चूड़ियां, पैरों में अल्ता और मेहंदी सहित सोलह श्रृंगार जरूर करना चाहिए.
इन बातों का रखें ध्यान
- हरियाली तीज के दिन महिलाओं का सबसे पहले नहा लेना चाहिए, उसके बाद एक पटरे पर लाल कपड़ा बिछाकर मां पार्वती की मूर्ति को रेशमी वस्त्र और गहने से सजा दें. देवी के इस रूप को तीज माता भी कहा जाता है.
- ध्यान रहें माता की मूर्ति अर्धगोले आकार वाली ही हो, ये आपको आसानी से बाजार में मिल जाएगी. जिन्हें आपको पूजा स्थान में रखकर पूजा करनी हैं.
- इस त्यौहार की पूजा में विशेष महत्व व्रत कथा का है, जिसके चलते हरियाली तीज व्रत कथा जरूर सुनें और इस दौरान अपने घर-परिवार और खासतौर पर अपने पति का ध्यान करें.
- आपको बता दें कि इस तीज में व्रत के दौरान पानी नहीं पिया जाता है. साथी महिलाओं को पूरी तरह दुल्हन के जैसे ही सजना होता है.
- वहीं जब शाम होने वाली होती है तब सभी महिलाएं नाचती और गाती हैं. कुछ महिलाएं तो इस मौके पर झूला भी झूलती हैं.