भगवान के नाम में इतनी शक्ति है कि अगर कोई हर रोज भगवान के नाम का ध्यान करे तो उसका कल्याण निश्चित है। हमें नश्वर जीवन इसलिए मिला है ताकि हम अपने सांसारिक काम करते हुए भी भगवान का नाम जप सकें और पुण्य कमा सकें। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति हर सांस के साथ भगवान के नाम का ध्यान करता है, तो उसे इन सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और वह अंत में भगवान में समाह जाता है। अब अगर हम हिसाब लगाए तो हम दिन में करीब 22,000 बार सांस लेते और छोड़ते हैं। सांस लेने से ही हमें ऊर्जा मिलती है। इसका मतलब है कि हमें 22,000 बार भगवान का स्मरण और ध्यान करना है। अब ये सवाल बहुत से लोगों के मन में आ रहा होगा कि हर सांस के साथ भगवान का नाम लेना शायद मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इस मानव शरीर की कुछ जरूरतें हैं, जो हर सांस के साथ भगवान का नाम लेने में बाधा बन सकती हैं। जैसे जब हम सो जाते हैं, तो हर सांस के साथ भगवान का नाम लेना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में यदि हम एक बार में ही 22000 बार भी भगवान का नाम लें तो क्या हमें वही फल मिलेगा जो हर सांस के साथ भगवान का नाम लेने से मिलता? आइये इस बार इसका उत्तर वृंदावन के श्रीहित प्रेमानंद महाराज जी से जानते हैं।
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श्वासों की संख्या के बराबर नामजप कर लें तो क्या होगा
महाराज जी कहते हैं कि ये बात मैने नहीं रखती कि आप एक बार में कितनी बार प्रभु को याद करते हैं, बल्कि ये मायने रखता है कि आप अपने दिन में कितनी बार प्रभु को याद करते हैं। एक बार में 22000 बार प्रभु का नाम लेना सही है, लेकिन अगर हम पूरे दिन में एक बार में ही प्रभु को याद करते रहेंगे, तो मरने पर क्या करेंगे? महाराज जी के कहने का मतलब है कि मृत्यु कभी भी आ सकती है और अगर हम सुबह भगवान का नाम लेते हैं और रात को मर जाते हैं और हम उस समय नाम नहीं लेते हैं और परिवार की परिस्थितियों के बारे में सोचते हैं, तो हमें अगले जन्म में सांसारिक जीवन से मुक्ति नहीं मिलेगी। ऐसी स्थिति में, यदि हम मरने से पहले हिरण के बारे में सोचते हैं, तो हमें अगले जन्म में हिरण के रूप में जन्म लेना होगा। क्योंकि हमने भगवान का नाम नहीं लिया है, तो हम ऐसी स्थिति में सांसारिक मुक्ति की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। इसलिए हमें हर समय भगवान के नाम का चिंतन करने की आदत डालनी चाहिए। महाराज जी कहते हैं कि सांसारिक कार्य करते हुए शुरुआत में नाम जपने में थोड़ी परेशानी हो सकती है और हम सोते समय नाम नहीं जप पाएंगे, लेकिन जैसे ही हमें हर सांस के साथ भगवान का नाम लेने की आदत हो जाएगी, तो हमारा शरीर अपने आप हमारे अंदर भगवान का नाम जपता रहेगा।
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