दिवाली पांच दिनों तक चलने वाला एक बड़ा त्यौहार है, जो विभिन्न परंपराओं और उत्सवों से भरा हुआ है। हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली का त्यौहार कई स्थानों पर 31 अक्टूबर को तथा कुछ स्थानों पर 1 नवंबर को मनाया जाएगा। वहीं, ये त्यौहार देश के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है जो धनतेरस से भाई दूज तक पांच दिनों तक मनाया जाता है। इन पांच दिनों में से प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व और परंपराएं हैं। आइए जानते हैं इन पांच दिनों के बारे में:
धनतेरस- Dhanteras
दिवाली के पांच दिनों में से पहला दिन धनतेरस को समर्पित है। इस दिन को घर में सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है, खास तौर पर सोना, चांदी और बर्तन। यह धन की देवी लक्ष्मी और धन्वंतरि की पूजा से जुड़ा है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि के प्रतीक हैं। इस धनतेरस त्योहार के पीछे की कहानी यह है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को मनाया जाता है।
नरक चतुर्दशी- Narak Chaturdashi
दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह बड़ी दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध कर लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। इस दिन घरों में दीये जलाए जाते हैं और शाम को पूजा की जाती है।
मुख्य दिवाली- Diwali
मुख्य दिवाली दीपावली के तीसरे दिन होती है। इस दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है, जिसमें देवी लक्ष्मी, गणेश और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। इसे धन और समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन घरों में दीये जलाए जाते हैं, पटाखे फोड़े जाते हैं और लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ बाँटते हैं। इस दिन व्यापारी अपने बही-खातों की पूजा करते हैं और नए साल की शुरुआत करते हैं।
गोवर्धन पूजा- Govardhan Puja
दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ा है। इस दिन घरों में खास पकवान बनाए जाते हैं और भगवान को भोग लगाया जाता है। गोवर्धन पूजा विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाई जाती है। इस खास दिन के पीछे मान्यता है कि, इस दिन भगवान कृष्ण ने अपने गांव वालों को इंद्रदेव की पूजा करने से रोका था और उन्हें गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी थी, जिससे इंद्रदेव नाराज हो गए थे और गांव पर भारी बारिश की थी, तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गांव वालों की रक्षा की थी।
भाई दूज- Bhai Dooj
दिवाली का पांचवा दिन भाई दूज को समर्पित है, यह दिन भी रक्षा बंधन जैसा ही है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली की प्रार्थना करती हैं। भाई दूज भी रक्षा बंधन जैसा ही है, जिसमें भाई-बहन के बीच प्यार और सुरक्षा का आदान-प्रदान होता है।
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