जब धर्म के नाम पर मरने-मिटने जैसी बड़ी बड़ी बातें की जाती हैं, तो एक नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है और वो नाम हैं सिखों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर जी का, जिनके बारे में हम जानेंगे।
बचपन में ये था गुरु तेग बहादुर जी का नाम
गुरु हरगोविंद सिंह जी के पांचवें बेटे गुरु तेग बहादुर जो अमृतसर में पैदा हुए। सिखों के जो आठवें गुरु ‘हरिकृष्ण राय’ जी थे, उन्होंने अकाल ही संसार छोड़ दिया जिसकी वजह से जनमत से गुरु तेगबहादुर को गुरु का पद दे दिया गया। गुरु तेग बहादुर जी के बचपन का जो नाम था वो त्यागमल था और जब गुरु जी 14 साल की छोटी उम्र में ही थे तभी छोटी सी आयु में उन्होंने वीरता दिखाई और मुगलों के हमले के खिलाफ अपने पिता के साथ उन्होंने युद्ध में भाग लिया।
उनकी वीरता तो देख पिता ने उनका नाम बदलकर तेग बहादुर रख दिया जिसका मतलब होता है तलवार के धनी। धैर्य, वैराग्य और त्याग वाला व्यक्तित्व था गुरु तेगबहादुर जी का जिन्होंने एकांत में लगातार 20 साल तक ‘बाबा बकाला’ नाम की एक जगह पर साधना की। धर्म के प्रसार लिए काफी सारी जगहों पर गुरु तेग बहादुर जी घूमने गए। गुरु जी इस यात्रा के दौरान आनंदपुर साहब से रोपण, सैफाबाद होकर खिआला यानी खदल गए और फिर प्रयाग, बनारस, पटना, असम जैसी जगहों पर भी गुरु तेग बहादुर जी गए।
इन जगहों पर उन्होंने आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक तौर पर विकास से जुड़े कई तरह के काम किए। गुरु तेग बहादुर जी ने एक काफी बेहतरीन काम ये किया कि उन्होंने रूढ़ियों, अंधविश्वासों की काफी निंदा की और कई अलग अलग तरह के आदर्श स्थापित किए। सामाजिक हित में उनका हर काम रहा जैसे कि कई कुएं खुदवाएं और धर्मशालाएं भी बनवाई।
जब गुरु जी के पास पहुंचे कश्मीरी पंडित और…
बादशाह औरंगजेब जिसने इस्लाम धर्म अपनाने का आदेश जारी कर दिया और इसके लिए एक अधिकारी को भी नियुक्त कर दिया। औरंगजेब ने आदेश जारी किया कि कह दो सबसे कि या तो इस्लाम कबूल करें या फिर मौत। ऐसे में कश्मीर के पंडित गुरु तेगबहादुर जी से मशविरा करने आए और औरंगजेब के फरमान को बताया। ऐसा न करने पर अत्याचार किया जा रहा है इस बारे में भी बताया गुरु तेग बहादुर जी को। उन्होंने अपने धर्म को बचाने की गुहार लगाई।
इसके बाद हुआ ये कि पंडितों से गुरु तेग बहादुर जी ने कहा कि औरंगजेब से जाकर कह दें कि अगर गुरु तेग बहादुर जी ने इस्लाम कबूल किया तो हम सभी पंडित भी इस्लाम कबूल कर लेंगे और अगर आप गुरु तेग बहादुर जी से इस्लाम नहीं कबूल करवा पाए तो हम भी इस्लाम कबूल नहीं करेंगे। बस इस बात को औरंगजेब ने मान लिया।
दिल्ली में औरंगजेब के दरबार में गुरु तेग बहादुर जी खुद गए और यहां शुरू हुआ औरंगजेब का पैंतरा वो गुरु जी को खूब लालच देता। उसने गुरु जी पर खूब जुल्म किए, गुरु जी को कैद में डाला और उनके दो शिष्यों को मारकर औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी को डराने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन वो नहीं माने।
हंसते हंसते दे दिया बलिदान
दरअसल, उन्होंने औरंगजेब से ये कहा कि अगर लोगों से जबरन इस्लाम धर्म कबूल करवाओगे तो तुम सच्चे मुसलमान नहीं होगे क्योंकि इस्लाम धर्म ऐसी शिक्षा नहीं देता है कि जुल्म करके किसी को मुसलमान बनाया जाए। औरंगजेब का गुस्सा सातवें आसमान को छू रहा था। ऐसे में उसने दिल्ली के चांदनी चौक पर ही गुरु तेग बहादुर जी के शीश को काटवा दिया और इस तरह से गुरु तेग बहादुर जी ने हंसते हुए अपने जीवन को धर्म के लिए बलिदान कर दिया। गुरु तेग बहादुर जी की याद में ही दिल्ली के चांदनी चौक पर ‘शहीदी स्थल’ पर गुरुद्वारे का निर्माण करवाया गया है। इसी गुरुद्वारे का नाम ‘शीश गंज साहिब’ है।