मरणोपरांत पिंड दान, पित्र तर्पण क्या सच में मरने वाले को मिलता है ? प्रेमानंद जी महाराज से जानिए

Know from Premanand Maharaj Ji how to get rid of regrets caused by illegally earned money
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श्रीमद्भागवत गीता में बताया गया है कि, जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु और मृत्यु को प्राप्त होने वाले का जन्म निश्चित है और यही प्रकृति का नियम है। लेकिन इसमें ये भी बताया गया है कि, मृत्यु के बाद शरीर नष्ट हो जाता है लेकिन आत्मा कभी नष्ट नहीं होती, उसका पुनर्जन्म होता है और वो बार-बार जन्म लेती है। इसी पुनर्जन्म के आधार पर कर्मकांडों में श्राद्ध आदि का विधान बनाया गया है। लेकिन अधिकतर लोगों के मन में ये शंका होती है कि, पितरों के लिए दी गई चीजें वाकई उन तक पहुंचती हैं या नहीं। हमारे द्वारा दी गई चीजें उन तक कैसे पहुंचती हैं? क्या ब्राह्मण को भोजन कराने से पितरों को तृप्ति मिलती है? ऐसे न जाने कितने सवाल लोगों के मन में उठते हैं, जिनका जवाब अब वृंदावन के प्रेमानंद जी महाराज ने दिया है। दरअसल, हाल ही में महाराज जी के दरबार में एक भक्त ने उनसे पूछा कि गुरु जी क्या वाकई मृत्यु के बाद मृतकों को पिंडदान, पितृ तर्पण मिलता है? इसका जवाब महाराज जी ने बेहद सरल शब्दों में समझाया है जिसे आपको भी जानना चाहिए। ताकि अगर आप भी मृत्यु के बाद पिंडदान को लेकर असमंजस में हैं तो आपकी सारी शंकाएं दूर हो जाएं।

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प्रेमानंद जी महाराज से सुनिए पिंडदान का महत्व

हिंदू धर्म में पितरों का श्राद्ध करना महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे कर्तव्य के रूप में किया जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जो लोग पितरों का श्राद्ध नहीं करते हैं उन्हें पितृ दोष से पीड़ित होना पड़ता है। पिंडदान के संबंध में वृंदावन के प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जब हम पिंडदान करते हैं तो वह सबसे पहले भगवान तक पहुंचता है, फिर वह व्यक्ति (हमारे पूर्वज या पितृ) जहां भी होगा अगले जन्म में उन पिंडदानों का फल उसे पहुंचा दिया जाएगा। हम अपने पितरों के लिए जो भी पिंडदान या जो भी दान करते हैं उसका फल भगवान के माध्यम से ही उन तक पहुंचता है। हमारे पूर्वज चाहे किसी भी योनि में हों, हमारे द्वारा किए गए पिंडदान का फल उन तक जरूर पहुंचता है। अगर हमारे पूर्वज अगले जन्म में किसी पीड़ा से ग्रस्त हैं तो हमारे द्वारा किए गए दान से उनकी उन्नति होगी और उनका शुभ होना शुरू हो जाएगा। महाराज जी कहते हैं कि पितरों के लिए किया गया दान उन तक जरूर पहुंचता है। किसी भी व्यक्ति को यह नहीं सोचना चाहिए कि उसके द्वारा किया गया पिंडदान व्यर्थ जा रहा है।

क्योंकि पिंडदान का पूरा दायित्व भगवान पर है। हमारे दान का पुण्य सबसे पहले भगवान को जाता है और भगवान को पता होता है कि जिस व्यक्ति के लिए यह सब किया जा रहा है वह कहां है और किस अवस्था में है। अगर वह व्यक्ति खराब अवस्था में है तो उसके कर्म सुधर जाएंगे और अगर अच्छी अवस्था में है तो उसका जीवन और भी शुभ हो जाएगा। इस तरह से हर व्यक्ति को पिंडदान जरूर करना चाहिए।

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