आजकल सोशल मीडिया पर एक संत खूब छाए हुए हैं। नाम है प्रेमानंद महाराज। वृन्दावन के प्रेमानन्द जी महाराज अपने विचारों के कारण काफी लोकप्रिय हो गये हैं। लोग इन्हें देखने के लिए उत्सुक रहते हैं। आधी रात को जब वे वृन्दावन की सड़कों पर निकलते हैं तो लोग दर्शन के लिए कतार लगा लेते हैं। उनकी प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके दरबार में बड़ी-बड़ी हस्तियां भी हाजिरी लगाती हैं। वर्तमान में महाराज जी वृन्दावन में रहते हैं और अपने पास आने वाले भक्तों को जीवन में सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं। कुछ दिन पहले एक भक्त महाराज के दरबार में आया और पूछा, महाराज जी, अगर मन में किसी के प्रति नफरत है तो उसे कैसे खत्म किया जाए? इस प्रश्न को सुनने के बाद आपको महाराज जी द्वारा दिया गया उत्तर अवश्य सुनना चाहिए।
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मन के द्वेष को ऐसे करें खत्म
महाराज जी द्वेष की बात करते हुए कहते हैं, जब कोई हमारी आलोचना करता है तो उसके प्रति हमे बुरा नहीं मानना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से आपको शारीरिक कष्ट झेलना पड़ सकता है। दरअसल, जब कोई हमारी आलोचना करता है तो हमें बुरा लगता है और सोच-सोचकर परेशान होने लगते हैं। ऐसे में हमारे अंदर की शांति और हमारे अंदर के अच्छे कर्म ही खत्म होते है। महाराज जी कहते हैं कि जब भी कोई हमारी आलोचना करता है तो हमें उसे दोष नहीं देना चाहिए बल्कि आभारी होना चाहिए क्योंकि वह व्यक्ति हमारी आलोचना करके आपके पापों को दूर कर रहा है।
महाराज जी ने सुनाई कथा
अपने कथन को सरल शब्दों में समझाते हुए महाराज जी कहते हैं कि एक बार एक नगर में एक राजा कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गया जिसके कारण उसका शरीर सड़ने लगा। राजा अपनी सारी समस्या अपने गुरु को बताता है और पूछता है कि उसे यह सब क्यों सहना पड़ता है। राजा की प्रार्थना सुनकर गुरु कहते हैं कि ये सब तुम्हारे पाप हैं जो किसी दवा से खत्म नहीं होंगे बल्कि इसके लिए तुम्हें एक अलग रास्ता खोजना होगा। गुरु कहते हैं कि यदि सारा नगर तुम्हारी निंदा करेगा तो तुम्हारे पापा खत्म हो जाएंगे। गुरु की बात सुनकर राजा कहता है कि सारी नगरी मेरी निंदा कैसे कर सकती है? गुरु कहते हैं कि तुम्हारी एक विधवा भाभी है, तुम्हें रोज रात 8 बजे से 10 बजे तक उसके पास जाकर भगवत गीता का पाठ करना शुरू कर दो और इसके बारे में किसी को नहीं बताना। गुरु के दिखाए मार्ग पर चलते हुए राजा प्रतिदिन अपनी विधवा भाभी से मिलने जाते हैं और भगवत गीता का पाठ करते हैं।
नगर के लोग देखते हैं कि राजा प्रतिदिन रात को अकेले ही अपनी विधवा भाभी के पास छिपकर जाता है। जब यह खबर पूरे नगरी में फैल गई तो राजा की आलोचना होने लगी। राजा की निंदा से उसके भीतर के सारे पाप नष्ट हो गये और वह स्वस्थ हो गया। इसके बाद गुरु ने सभी लोगों को बुलाया और उन्हें राजा के बारे में सच्चाई बताई और कहा कि राजा के मन में अपनी भाभी के प्रति सम्मान आउर माँ की भावना है और वह मेरी अनुमति से ही अपनी भाभी के पास रात को भगवत गीता का पाठ करने जाते थे।
प्रेमानंद महाराज जी आगे कहते हैं कि जब भी लोग हमारी इस तरह से आलोचना करते हैं तो एक तरह से वे हमारा भला करते हैं और लोगो द्वारा हमारी निंदा करने से हमारे पाप धुल जाते हैं।
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