क्या ईश्वर वास्तव में अस्तित्व में है या हम बस किसी ऐसे व्यक्ति की पूजा कर रहे हैं जिसे हमने कभी नहीं देखा है? भगवान को लेकर कई बार लोगों के मन में ऐसे सवाल उठते हैं। लोग सोचते हैं कि जिस भगवान को हमने देखा ही नहीं, उसकी पूजा करना क्या उचित है? अगर आपके मन में भी भगवान के होने या न होने को लेकर ऐसे सवाल उठ रहे हैं तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि इन सभी सवालों का जवाब वृन्दावनवासी प्रेमानंद जी महाराज ने अपने हालिया प्रवचन में दिया है। दरअसल, महाराज जी कीर्तन में एक भक्त ने महाराज जी से अपनी समस्या बताई और कहा कि जब हमने भगवान को देखा ही नहीं तो उनपर विश्वास कैसे करें? जिसके बाद प्रेमानंद महाराज ने जो जवाब दिया वो सभी को जानना चाहिए। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
और पढ़ें: मरणोपरांत पिंड दान, पित्र तर्पण क्या सच में मरने वाले को मिलता है ? प्रेमानंद जी महाराज से जानिए
भगवान हैं या नहीं?
जब भक्त ने महाराज जी से भगवान के अस्तित्व पर प्रश्न उठाया कि जो भगवान दिखाई नहीं देता, उस पर विश्वास करना क्या उचित है? भक्त का ऐसा प्रश्न सुनकर महाराज ने पूछा, क्या तुमने कभी स्वयं को देखा है? क्या आपकी अपने बारे में जानकारी है? क्या आप अपने विवेक को जानते हैं? नहीं ना? फिर भी आप खुद से कितना प्यार करते हैं। अगर आप अपने अस्तित्व को जाने बिना खुद से इतना प्यार करते हैं तो भगवान कण-कण में मौजूद हैं। क्या आपने कभी सच्चे मन से भगवान को देखने की कोशिश की है? महाराज ने आगे कहा कि हमारी मां ही हमें बताती है कि हमारा पिता कौन है। हमने बिना शंका किए मान लिया की हाँ यही हमारे पिता है। इस प्रकार सद्गुरु हमें बताते हैं कि हमारा परमपिता कौन है।
महाराज जी कहते हैं कि मनुष्य को अपने भौतिक शरीर से बहुत प्रेम होता है। इंसान अपने लिए काम करता है, अपने लिए कमाता है। क्या आपने कभी भगवान के लिए समय निकाला है और दुख से रोते हुए कहा है कि हे कृष्ण, मैं अब तुम्हारे बिना जिया नहीं जा रहा। महाराज जी यहां कहते हैं कि जब तक व्यक्ति अपने सभी बुरे कर्मों को त्यागकर सांसारिक इच्छाओं को त्यागकर सच्चे मन से ईश्वर का चिंतन नहीं करेगा, तब तक उसे ईश्वर के दर्शन ही नहीं होंगे। महाराज जी कहते हैं कि अगर भगवान को देखना है तो अपने अंदर की सभी बुराइयों को दूर कर भगवान की भक्ति में लीन होना पड़ेगा, तभी आप भगवान के दर्शन कर पाएंगे।
और पढ़ें: भगवान में आस्था है पर पूजा पाठ में मन नहीं लगता तो क्या करें? प्रेमानंद महाराज से जानिए