वृंदावन के श्रीहित प्रेमानंद महाराज जी को कौन नहीं जानता? देश-दुनिया में प्रसिद्ध प्रेमानंद महाराज वृंदावन में रहकर सिर्फ कृष्ण नाम का जाप करते हैं और भक्ति का उपदेश देते हैं। वर्तमान में महाराज जी वृन्दावन में रहते हैं और अपने पास आने वाले भक्तों को जीवन में सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं। हाल ही में एक भक्त ने महाराज जी से पूछा की हमें कैसे पता चले कि हमें किस कर्म की सजा मिल रही है? इस प्रशन के जवाब में महाराज जी ने एक बहुत ही सुंदर बात कही जिसे हम सभी को सुनना चाहिए।
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कर्म और जिंदगी
महाराज जी कहते हैं कि यह बहुत अच्छी बात है कि हमें नहीं पता कि हमने पिछले जन्म में क्या किया था जिसकी सजा हम आज भुगत रहे हैं क्योंकि अगर किसी व्यक्ति को उसके गलत कर्मों के बारे में पता चल जाए तो वह उसे सहन नहीं कर पाएगा। महाराज जी कहते हैं कि यह ईश्वर की कृपा है कि उन्होंने हम से यह ज्ञान छिन लिया है ताकि हमें इस बात का आभास न हो सके की हमने पिछले जन्म में क्या गलत कर्म किया था। सोचों अगर हमें यह पता चल जाए कि हमने 9 महीने गर्भ में रहते हुए क्या-क्या कष्ट झेले हैं तो हमारा पूरा जीवन यह सोचने में ही निकल जाएगा कि हमने किस-किस तरह के कष्ट झेले हैं। इसी प्रकार यदि पूर्वजन्मों के कर्मों का ज्ञान हो जाए तो वो कष्ट सहन नहीं होगा।
महाराज जी कहते हैं कि यदि हम अपने पिछले जन्म में किए गए अच्छे-बुरे कर्मों को याद करने लगेंगे तो हमें अपने जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इसलिए शरीर बदलने के बाद भी हमें अपने सभी अच्छे-बुरे कर्मों का फल भोगना ही पड़ेगा। उदाहरण देते हुए महाराज जी कहते हैं कि जिस प्रकार चोर अपना भेष बदलता है लेकिन अंदर से चोर ही रहता है, उसी प्रकार मनुष्य भी विभिन्न योनियों में जन्म लेता है लेकिन उसके द्वारा किए गए कर्म कभी उसका पीछा नहीं छोड़ते। क्योंकि हमें हमारे कर्मों का फल देने वाला न्यायाधीश भली-भांति जानता है कि हमने क्या भेष धारण किया है।
कर्म चक्र से मुक्ति पाने के लिए क्या करें?
महाराज जी कहते हैं कि हमें अपने पिछले कर्मों के बारे में सोचने के बजाय यह सोचना चाहिए कि हमें इस जीवन में क्या करना चाहिए और कर्म के चक्र से कैसे बाहर निकलना चाहिए। महाराज जी कहते हैं कि ऐसा करने का एकमात्र तरीका भगवान की पूजा करना, उनका नाम जपना और शुद्ध शिक्षाओं को ग्रहण करना है। हमें पिछले जन्म के बारे में सोचने के बजाय इस जन्म के कर्मों को अच्छा करना चाहिए और भगवान का नाम लेकर पिछले जन्म के कष्टों को सहना चाहिए।
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