मां दुर्गा की उपासना का पवित्र पर्व नवरात्रि चल रहा हैं। चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 2 अप्रैल से हुई। नवरात्रि में 9 दिनों तक भक्त मां दुर्गा के उनके अलग अलग स्वरूपों को पूजते हैं। साथ ही साथ कई लोग 9 दिनों तक व्रत भी रखते हैं। नवरात्रि में कन्या पूजन का सबसे अधिक महत्व रहता है। कन्याओं को साक्षात मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। कई लोग अष्टमी के दिन तो कुछ नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। इस बार अष्टमी तिथि 9 अप्रैल की है, तो वहीं नवमीं 10 अप्रैल को पड़ रही है। कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त से लेकर सही विधि तक यहां कुछ जानकारी हम आपके लिए लेकर आए हैं। चलिए जान लेते हैं…
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
सबसे पहले अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त की बात कर लेते हैं। अष्टमी तिथि 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 5 मिनट से लग रही हैं, जो 9 अप्रैल को देर रात 1 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। ऐसे में जो लोग अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन करते हैं, उनके लिए 9 अप्रैल सही तारीख है। इस दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक का है।
वहीं अब बात नवमी की कर लेते हैं। अष्टमी तिथि खत्म होने के बाद नवमी लग जाएगी। नवमी तिथि का समापन 11 अप्रैल दोपहर 03 बजकर 15 मिनट पर होगा। 10 अप्रैल को नवमी तिथि पड़ रही है। इस दिन सुबह से ही कन्या पूजन किया जा सकता है।
कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि में कन्या पूजन का खास महत्व होता हैं। मान्यताएं हैं कि इससे मां दुर्गा काफी प्रसन्न हो जाती हैं और मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मान्यता है कि बिना कंजक पूजा के नवरात्रि का शुभ फल प्राप्त नहीं होता।
मान्यताओं के मुताबिक कंजक पूजन के दौरान 2 से 10 साल की 9 कन्याओं का पूजन करना काफी शुभ माना जाता है। एक कन्या की पूजा करने से ऐश्वर्य मिलता हैं। तो वहीं दो कन्याओं से भोग व मोक्ष, तीन कन्याओं के पूजन से धर्म, अर्थ और काम की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही चार कन्याओं के पूजन से राजपद मिलता है। पांच कन्याओं की पूजा करने से विद्या, छह कन्याओं की पूजा से छह प्रकार की सिद्धियां, सात कन्याओं से सौभाग्य, आठ कन्याओं के पूजन से सुख-संपदा और 9 कन्याओं की पूजा करने करने से संसार में यश-कीर्ति बढ़ती है।
इस विधि से करें कन्या पूजन
आप जिस भी दिन कन्या पूजन कर रहे हैं, उस दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। साफ वस्त्र पहनें और मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा करें। कन्याओं के लिए भोजन तैयार करें और उन्हें अपने घर बुलाएं। कन्याओं के साथ एक बालक को भी आमंत्रित करें।
कन्याओं के आने पर एक थाली में थोड़ा सा दूध और पानी लें। इससे कन्याओं और बालक के पैर धोएं और फिर साफ कपड़े से पोंछ दें। इसके बाद उन सभी को आसन बिछाकर एक साफ जगह पर बैठाएं। कन्याओं के माथे पर अक्षत और कुमकुम लगाएं। आप चाहें तो कन्याओं पर चुनरी भी डाल सकते हैं। घी का दीपक जलाकर उनकी आरती उतारें। देवी मां का ध्यान करते हुए उन्हें भोजन कराएं। इसके बाद कंजकों को फल, अनाज के साथ कोई अन्य भेंट करें। पैर छूकर आशीर्वाद दे लें और मां का जयकारे लगाते हुए भूल चूक के लिए माफी मांगें। फिर कन्याओं को सत्कार के साथ विदा करें।
इस बातों का रखें खास ध्यान
– आपके लिए अगर घर बुलाकर कन्याओं का पूजन करना संभव नहीं, तो ऐसे में आप किसी मंदिर में अपनी यथाशक्ति के अनुसार भोजन निकालकर दान भी कर सकते हैं।
– इस बात का खास ध्यान रखें कि कन्याओं को बासी भोजन भूलकर भी ना कराएं।
– भोजन कराने के बाद कन्याओं को कुछ न कुछ दक्षिणा जरूर दें।
– कन्या पूजन में एक बालक को शामिल करें। बालक को भैरव बाबा का रूप माना जाता हैं।
– घर पर कन्या पूजन के लिए लहसुन-प्याज के बिना सात्विक भोजन बनाएं।